श्री ब्रह्म कवचम्

॥ श्रीब्रह्मकवचम् ॥ ॐ श्रीब्रह्मणे नमः । कवचं शृणु चार्वङ्गि जगन्मङ्गलनामकम् । पठनाद्धारणाद्यस्य ब्रह्मज्ञो जायते ध्रुवम् ॥ परमात्मा शिरः पातु हृदयं परमेश्वरः । कण्ठं पातु जगत्त्राता वदनं सर्वदृग्विभुः ॥ करौ मे पातु विश्वात्मा पादौ रक्षतु चिन्मयः । सर्वाङ्गं सर्वदा पातु परब्रह्म सनातनम् ॥ श्रीजगन्मङ्गलस्यास्य कवचस्य सदाशिवः । ऋषिश्छन्दोऽनुष्टुबिति परब्रह्म च देवता ॥ चतुर्वर्गफलावाप्त्यै विनियोगः प्रकीर्तितः…

देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित

॥ देवी अपराध क्षमापन स्तोत्र ॥ न मत्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः। न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥१॥ माँ ! मैं न मन्त्र जानता हूँ, न यंत्र; अहो! मुझे स्तुति का भी ज्ञान नहीं है. न आवाहन…

मंत्र पुष्पम

।। मंत्र पुष्पम ।। यापम पुष्पम वेदा । पुष्पवान, प्रजावान पसुवान भवति । चंद्रमावा अपाम पुष्पम । पुष्पवान, प्रजावान पसुवान भवति । या एवम वेदा, योपा मायतनं वेदा आयतनवान भवति । अग्निर्वा अपामायतनं, आयतनवान भवति यो अग्नेरायतनम् वेदा, आयतनवान भवति अपोवा अग्नेरायतनम् , आयतनवान भवति या एवम वेदा, योपा मायतनं वेदा आयतनवान भवति वर्युरवा अपामायतनं,…

विद्या मित्रं प्रवासेषु – श्लोक अर्थ सहित

॥ विद्या मित्रं प्रवासेषु – श्लोक ॥ विद्या मित्रं प्रवासेषु, भार्या मित्रं गृहेषु च । व्याधितस्यौषधं मित्रं, धर्मो मित्रं मृतस्य च ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: ज्ञान यात्राओं में मित्र होता है, पत्नी घर में मित्र होती है। बीमार के समय औषधि मित्र होती है, और मरते समय…

संसारकटुवृक्षस्य – श्लोक अर्थ सहित

॥ संसारकटुवृक्षस्य – श्लोक ॥ संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे । सुभाषितरसास्वादः सङ्गतिः सुजने जने ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: संसार के कड़वे पेड़ के दो फल होते हैं जो अमृत के समान होते हैं। एक है मधुर शब्दों का स्वाद और दूसरा सज्जन व्यक्तियों की संगति। Sansaara-katu-vrksasya dve…

श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि – श्लोक अर्थ सहित

॥ श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि – श्लोक ॥ श्लोकार्धेन प्रवक्ष्यामि यदुक्तं ग्रन्थकोटिभिः । परोपकारः पुण्याय पापाय परपीडनम् ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: जो करोडो ग्रंथों में कहा है, वह मैं आधे श्लोक में कहता हूँ; दूसरों की हित करना पुण्यकारी है, दूसरों को पीड़ित करना पापकारी है। Shlokardhena pravakshyami yaduktam…

कर्मफल-यदाचरित – श्लोक अर्थ सहित

॥ कर्मफल-यदाचरित – श्लोक ॥ कर्मफल-यदाचरित कल्याणि ! शुभं वा यदि वाऽशुभम् । तदेव लभते भद्रे! कर्त्ता कर्मजमात्मनः ॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: मनुष्य जैसा भी कर्म करता है, वह चाहे अच्छा या बुरा हो, उसे वैसा ही फल मिलता है । कर्त्ता को अपने कर्म का फल…

धर्मज्ञो धर्मकर्ता च – श्लोक अर्थ सहित

॥ धर्मज्ञो धर्मकर्ता च – श्लोक ॥ धर्मज्ञो धर्मकर्ता च सदा धर्मपरायणः। तत्त्वेभ्यः सर्व शास्त्रार्थादेशको गुरुरुच्यते॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: जो धर्म को जानने वाला है, उसे धर्म का पालन करने वाला, और सदैव धर्मपरायण है। जो सभी शास्त्रों के अर्थ को समझकर उनका उपदेश करता है, वह…

दारिद्रय रोग दुःखानि – श्लोक अर्थ सहित

।। दारिद्रय रोग दुःखानि – श्लोक ।। दारिद्रय रोग दुःखानि बंधन व्यसनानि च। आत्मापराध वृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्।। हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: दारिद्र्य, रोग, दुख, बंधन और व्यसन व्यक्ति द्वारा किये गए पाप रूपी वृक्ष के फल अर्थात परिणाम होते हैं। इन फलों का उपभोग मनुष्य को करना ही…

मूर्खशिष्योपदेशेन – श्लोक अर्थ सहित

॥ मूर्ख शिष्योपदेशेन – श्लोक ॥ मूर्खशिष्योपदेशेन दुष्टास्त्रीभरणेन च। दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति॥ हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: मूर्ख शिष्य के उपदेश देने से और दुष्ट स्त्री के साथ रहने से, संकटपूर्ण परिस्थितियों के कारण पंडित भी दुःखित हो जाता है। Murkha-sishyopadesena dushtastribharanena cha, duhkhitah samprayogena pandito pyavasidati. English Meaning:…

येषां न विद्या – श्लोक अर्थ सहित

|| येषां न विद्या – श्लोक || येषां न विद्या न तपो न दानं ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः | ते मर्त्यलोके भुवि भारभूता मनुष्यरूपेण मृगश्चरन्ति || हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित: जिनके पास न विद्या है, न तप, न दान, न ज्ञान, न शील, न गुण, और न…

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय – श्लोक अर्थ सहित

।। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय – श्लोक ।। वासांसि जीर्णानि यथा विहाय, नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि। तथा शरीराणि विहाय जीर्णा – न्यन्यानि संयाति नवानि देही।। हिंदी अर्थ: यह श्लोक संसारिक अनुभवों को व्यक्त करने के लिए है और इसका मतलब है कि: जैसे कोई व्यक्ति पुराने और प्रयुक्त वस्त्रों को छोड़कर नए वस्त्र पहनता है, उसी…

धर्मो रक्षति रक्षित – श्लोक अर्थ सहित

।⁠। धर्मो रक्षति रक्षित – श्लोक ।⁠। धर्म एव हतो हन्ति धर्मो रक्षति रक्षितः। तस्माद् धर्मं न त्यजामि मा नो धर्मो हतोऽवधीत्।⁠। हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: जो धर्म का नाश करता है, धर्म उसी का नाश कर देता है और जो धर्म की रक्षा करता है धर्म उसकी…

परित्राणाय साधूनां – श्लोक अर्थ सहित

।। परित्राणाय साधूनां – श्लोक ।। परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम् । धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे।। हिंदी अर्थ: श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं: साधुओं की रक्षा के लिए और दुष्कर्मियों (पाप करने वालों) का नाश करने के लिए, और धर्म की स्थापना के लिए मैं युगों-युगों में प्रकट होता हूँ। Paritranaya sadhunam…

आलस्यं हि मनुष्याणां – श्लोक अर्थ सहित

।। आलस्यं हि मनुष्याणां – श्लोक ।। आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः। नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।। हिंदी अर्थ: आइये जानें इस संस्कृत श्लोक का अर्थ हिंदी में: मनुष्यों के लिए आलस्य उनके शरीर में बसा महान शत्रु है। उद्यमी व्यक्ति के लिए परिश्रम जैसा कोई मित्र नहीं होता, क्योंकि परिश्रम करने वाला कभी…

काक चेष्टा, बको ध्यानं – श्लोक अर्थ सहित

।। काक चेष्टा, बको ध्यानं – श्लोक ।। काक चेष्टा, बको ध्यानं, स्वान निद्रा तथैव च। अल्पहारी, गृहत्यागी, विद्यार्थी पंच लक्षणं।। हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित: विद्या के लिए प्रतिबद्ध विद्यार्थी (छात्र) मे यह पांच लक्षण होने चाहिए – कौवे की तरह जानने की चेष्टा, बगुले की तरह ध्यान, कुत्ते की…

सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् – श्लोक अर्थ सहित

।। सत्यं ब्रूयात प्रियं ब्रूयात् – श्लोक ।। सत्यं ब्रूयात् प्रियं ब्रूयात् न ब्रूयात् सत्यम् अप्रियम् प्रियं च नानृतम् ब्रूयात् एष धर्मः सनातन: हिंदी अर्थ: आइये जानें यह संस्कृत श्लोक अर्थ सहित: सत्य बोलें, प्रिय बातें बोलें, पर अप्रिय सत्य नहीं बोलें। प्रिय असत्य भी न बोलें, यही सनातन धर्म है। यह श्लोक मानवीय संवाद…

पंचदेव गायत्री मंत्र

।। पंचदेव गायत्री मंत्र ।। गणेश गायत्री मंत्र- ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात।। विष्णु गायत्री महामंत्र- ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।। वन्दे विष्णुम भवभयहरं सर्व लोकेकनाथम। मां दुर्गा मंत्र- या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ भगवान शिव- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्, उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय…

श्री राम स्तुति

॥दोहा॥ श्री रामचन्द्र कृपालु भजुमन हरण भवभय दारुणं । नव कंज लोचन कंज मुख कर कंज पद कंजारुणं ॥ कन्दर्प अगणित अमित छवि नव नील नीरद सुन्दरं । पटपीत मानहुँ तडित रुचि शुचि नोमि जनक सुतावरं ॥ भजु दीनबन्धु दिनेश दानव दैत्य वंश निकन्दनं । रघुनन्द आनन्द कन्द कोशल चन्द दशरथ नन्दनं ॥ शिर मुकुट…

श्री राम चालीसा

॥ दोहा ॥ आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम् पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं ॥ चौपाई ॥ श्री रघुबीर भक्त हितकारी । सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी ॥ निशि दिन ध्यान धरै जो कोई । ता सम भक्त और नहिं होई ॥…

शिव आवाहन मंत्र लाभ सहित

।। शिव आवाहन मंत्र ।। ॐ मृत्युंजय परेशान जगदाभयनाशन । तव ध्यानेन देवेश मृत्युप्राप्नोति जीवती ।। वन्दे ईशान देवाय नमस्तस्मै पिनाकिने । आदिमध्यांत रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।। नमस्तस्मै भगवते कैलासाचल वासिने । नमोब्रह्मेन्द्र रूपाय मृत्युनाशं करोतु मे ।। त्र्यंबकाय नमस्तुभ्यं पंचस्याय नमोनमः । नमो दोर्दण्डचापाय मम मृत्युम् विनाशय ।। नमोर्धेन्दु स्वरूपाय नमो दिग्वसनाय च…

श्री वाराही देवी ध्यानम मंत्र अर्थ सहित

।। श्री वाराही देवी ध्यानम मंत्र ।। पाथोरुहपीठगतां पाथोरुहमेचकां कुटिलदंष्ट्राम् । कपिलाक्षित्रितयां घनकुचकुम्भां प्रणत वाञ्छितवदान्याम् । दक्षोर्ध्वतोऽरिखङ्गां मुसलमभीतिं तदन्यतस्तद्वत् । शङ्खं खेटं हलवरान् करैर्दधानां स्मरामि वार्तालीम् । ।। श्री वाराही देवी ध्यानम मंत्र अर्थ सहित ।। पाथोरुहपीठगतां पाथोरुहमेचकां कुटिलदंष्ट्राम्: पत्थर के सीने में बैठी हुई और पत्थर की मूर्ति, कुटिल दंतों वाली धरा की छटा हुई…

कामदेव शाबर मंत्र लाभ सहित

।। कामदेव शाबर मंत्र ।। ‘ऊँ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।’ कामदेव मंत्र ऊँ कामदेवाय विद्महे, रति प्रियायै धीमहि, तन्नो अनंग प्रचोदयात्। मोहिनी कामदेव मंत्र “ॐ नमः काम-देवाय। सहकल सहद्रश सहमसहलिए वन्हे धुनन जनममदर्शनं उत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु-धर कुसुम-वाणेन हन हन स्वाहा।” कामदेव…

24 गायत्री मंत्र लाभ सहित

।। 24 गायत्री मंत्र ।। गणेश – गायत्री मन्त्र ओइम् एक दंष्ट्राय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो बुद्धिः प्रचोदयात्। नृसिंह – गायत्री मन्त्र ओइम् उग्रनृसिंहाय विद्महे बज्रनखाय धीमहि तन्नो नृसिंह प्रचोदयात्। विष्णु – गायत्री मन्त्र ओइम् नारायण विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्। शिव – गायत्री मन्त्र ओइम् पंचवक्त्राय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र प्रचोदयात्। कृष्ण…

नवनाथ शाबर मंत्र लाभ व विधि

नवनाथ शाबर मंत्र के लाभ: नवनाथ शाबर मंत्र का जाप करने से भय और दुःख का निवारण होता है। नवनाथ शाबर मंत्र का जाप करने से भूत, प्रेत, जादू, टोने का समाधान होता है। इस मंत्र के जाप से सुख-सौभाग्य में वृद्धि होती है। नवनाथ जी के रूप का ध्यान करके इस मंत्र का जाप…

नवनाथ स्तुति लाभ सहित

।। नवनाथ स्तुति ।। आदि-नाथ कैलाश-निवासी, उदय-नाथ काटै जम-फाँसी। सत्य-नाथ सारनी सन्त भाखै, सन्तोष-नाथ सदा सन्तन की राखै। कन्थडी-नाथ सदा सुख-दाई, अञ्चति अचम्भे-नाथ सहाई। ज्ञान-पारखी सिद्ध चौरङ्गी, मत्स्येन्द्र-नाथ दादा बहुरङ्गी। गोरख-नाथ सकल घट-व्यापी, काटै कलि-मल, तारै भव-पीरा। नव-नाथों के नाम सुमिरिए, तनिक भस्मी ले मस्तक धरिए। रोग-शोक-दारिद नशावै, निर्मल देह परम सुख पावै। भूत-प्रेत-भय-भञ्जना, नव-नाथों…

कौशल्या दशरथ के नंदन – भजन

कौशल्या दशरथ के नंदन कौशल्या दशरथ के नंदन, राम ललाट पे शोभित चन्दन, रघुपति की जय बोले लक्ष्मण, राम सिया का हो अभिनन्दन | अंजनी पुत्र पड़े हैं चरण में, राम सिया जपते तन मन में || मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी || राम सिया राम, सिया राम जय जय राम राम…

और भजले रे भाया – भजन

और भजले रे भाया और भजले और भजले रे भाया और भजले, और भजले रे भाया और भजले, सांवरिया रो ध्यान लगाले रे, रामजी ने और भजले || राम ने भजा तो बेडा पार होवेलो, श्याम ने भजा तो बेडा पार होवेलो, तू तो गोविन्द को गुण गाले रे, रामजी ने और भजले || मनक…

रामचंद्र कह गये सिया से – भजन

रामचंद्र कह गये सिया से हे रामचंद्र कह गये सिया से, ऐसा कलजुग आएगा, हंस चूगेगा दाना दुनका, हंस चूगेगा दाना दुनका, कव्वा मोती खाएगा || सिया ने पुछा :- कलजुग मे धरम करम को कोई नही मानेगा तो प्रभु बोले :- धरम भी होगा, करम भी होगा धरम भी होगा, करम भी होगा लेकिन…

ओ जाने वाले रघुवीर को – भजन

ओ जाने वाले रघुवीर को फ़िल्मी तर्ज – दिल लूटने वाले जादूगर ओ जाने वाले रघुवीर को, प्रणाम हमारा कह देना प्रणाम हमारा कह देना, सीताराम हमारा कह देना || श्री राम की माता कौशल्या, और दशरथ धीरज धारी को, श्री भरत की माता केकयी को, प्रणाम हमारा कह देना|| श्री भरत शत्रुघ्न भैया को,…

तेरे जैसा राम भगत- भजन

तेरे जैसा राम भगत तेरे जैसा राम भगत, कोई हुआ ना होगा मतवाला, एक जरा सी बात की खातिर, सीना फाड़ दिखा डाला || आज अवध की शोभी लगती, स्वर्ग लोक से भी प्यारी, चौदह वर्षों बाद राम के, राज तिलक की तैयारी, हनुमत के दिल की मत पूछो, झूम रहा है मतवाला, एक जरा…

ओम जय जगदीश हरे आरती

|| आरती || ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे भक्तजनों के संकट क्षण में दूर करे॥ जो ध्यावै फल पावै, दुख बिनसे मन का। सुख-संपत्ति घर आवै, कष्ट मिटे तन का ॐ जय जगदीश हरे…. मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं किसकी। तुम बिनु और न दूजा, आस करूं जिसकी ॐ जय जगदीश हरे……..

सुखकर्ता दुखहर्ता श्री गणेश आरती

|| आरती || सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची कंठी झलके माल मुकताफळांची जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति दर्शनमात्रे मनःकमाना पूर्ति जय देव जय देव रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा चंदनाची उटी कुमकुम केशरा हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया जय देव जय…

लोहड़ी की कहानी – पंजाबी लोक-कथा

।। लोहड़ी की कहानी – पंजाबी लोक-कथा ।। लोहड़ी का संबंध सुंदरी नामक एक कन्या तथा दुल्ला भट्टी नामक एक योद्धा से जोड़ा जाता है। इस संबंध में प्रचलित ऐतिहासिक कथा के अनुसार, गंजीबार क्षेत्र में एक ब्राह्मण रहता था जिसकी सुंदरी नामक एक कन्या थी जो अपने नाम की भांति बहुत सुंदर थी। वह…

कुबेर जी की आरती

|| आरती || ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे, स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे | शरण पड़े भगतों के, भण्डार कुबेर भरे, || ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे || शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े, स्वामी भक्त कुबेर बड़े | दैत्य दानव मानव से, कई-कई युद्ध लड़े || || ऊँ जय यक्ष कुबेर हरे…

श्री नरसिंह की आरती

|| आरती || ओम जय नरसिंह हरे, प्रभु जय नरसिंह हरे | स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, स्तंभ फाड़ प्रभु प्रकटे, जनका ताप हरे || || ओम जय नरसिंह हरे… || तुम हो दिन दयाला, भक्तन हितकारी, प्रभु भक्तन हितकारी | अद्भुत रूप बनाकर, अद्भुत रूप बनाकर, प्रकटे भय हारी || || ओम जय नरसिंह हरे……

लक्ष्मी जी की आरती

|| आरती || ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता । तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता। सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता। जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥ ॐ जय लक्ष्मी माता॥ तुम…

आरती पवन दुलारे की

|| आरती || आरती पवन दुलारे की, भक्त भय तारणहारे की || दोऊ कर चरण शीश नाऊँ, दास प्रभु तुम्हरो कहलाऊँ, जो आज्ञा तुम्हरी मैं पाऊँ, प्रेम से राम चरित गाऊँ | पार मेरा बेड़ा कर दीजो, शीश चरणों में रख लीजो | श्रष्टि सब करण, जाऊं बलि चरण, लाज रख लीजो भक्तन की, आरती…

आरती करो बृजनारी ले कंचन थारी

|| आरती || आरती करो बृजनारी, ले कंचन थारी, आरती करो बृज नारी || भावना भक्ति की ज्योति, अनमोल प्रेम के मोती, रसबुंदन सो भरी झारी | अति सुकुमारी, आरती करो बृज नारी || घनश्याम नंद के लाला, पहिरे पट पीत रसाला, संग सोहे वृषभानु दुलारी | श्री राधिका प्यारी, आरती करो बृज नारी ||…

भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे आरती

|| आरती || भोर भई दिन चढ़ गया मेरी अम्बे, हो रही जय जय कार मंदिर विच, आरती जय माँ, हे दरबारा वाली आरती जय माँ, है पहाड़ा वाली आरती जय माँ || काहे दी मैया तेरी आरती बनावा, काहे दी पावां विच बाती, मंदिर विच आरती जय माँ, तू हे चोलेयाँ वाली आरती जय…

राधा जी की आरती

|| आरती || आरती प्रीतम प्यारी की, कि बनवारी नथवारी की || आरती प्रीतम प्यारी की, कि बनवारी नथवारी की || दुहुँन सर कनक-मुकुट झलकै, दुहुँन श्रुति कुण्डल भल हलकै, दुहुँन दृग प्रेम सुधा छलकै, चसीले बैन, रसीले नैन, गँसीले सैन, दुहुँन मैनन मनहारी की || दुहुँनि दृग चितवनि पर वारि, दुहुँनि लट-लटकनि-छवि न्यारी, दुहुँनि…

देवी बगलामुखी सहस्रनामावली

।।देवी बगलामुखी सहस्रनामावली।। ॐ अंशुकवल्लभायै नमः। ॐ अंशुकायै नमः। ॐ अःफड्मन्त्रायै नमः। ॐ अकारादिक्षकारान्तायै नमः। ॐ अक्षाक्षरविभूषितायै नमः। ॐ अग्निनैरृतिवायव्येशान्यादिदिशे नमः। ॐ अग्निहोत्रफलप्रदायै नमः। ॐ अजपायै नमः। ॐ अजायै नमः। ॐ अजितायै नमः। ॐ अणिमायै नमः। ॐ अणिमासिद्धिदायिन्यै नमः। ॐ अणिमासिद्धिदायिन्यै नमः। ॐ अणुकर्यै नमः। ॐ अणुमद्भानुसंस्थितायै नमः। ॐ अदित्यै नमः। ॐ अधीरायै नमः। ॐ…

राणी ​​सतीजी की आरती

|| आरती || ॐ जय श्री राणी सती माता , मैया जय राणी सती माता , अपने भक्त जनन की, दूर करन विपत्ती || अवनि अननंतर ज्योति अखंडीत , मंडितचहुँक कुंभा, दुर्जन दलन खडग की , विद्युतसम प्रतिभा || मरकत मणि मंदिर अतिमंजुल , शोभा लखि न पडे, ललित ध्वजा चहुँ ओरे , कंचन कलश…

बाबोसा चूरू वाले की आरती

|| आरती || देवा बाबोसा चूरू वाले, भक्तो के है रखवाले, रिम झिम उतारे तेरी आरती, बाबोसा रिम झिम उतारे तेरी आरती || सिर पे मुकुट कान में कुंडल, हाथ में सोटा साजे, जग मग जग मग रूप निराला, जग मग जग मग रूप निराला, भुत प्रेत सब भागे, जय हो माता छगनी के लाले,…

मन में बसाकर तेरी मूर्ति – आरती

|| आरती || मन में बसाकर तेरी मूर्ति, उतारू में गिरधर तेरी आरती || करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन, भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन, करुणा करो कष्ट हरो ज्ञान दो भगवन, भव में फसी नाव मेरी तार दो भगवन, दर्द की दवा तुम्हरे पास है, जिंदगी दया की है भीख…

प्रियाकांतजू की आरती

|| आरती || प्रियाकांतजू की आरती उतारो हे अली, सोहे यशोदा को लाल किरत भानु की लली, प्रियाकांतजू की आरती उतारो हे अली || भावे जलज कुसुम चित आकर्षक छवि, लाजे कोटि मनोज कटे कौंधनी सजी, पित पटुका सुहावे मुक्त हीरक मिली, प्रियाकांत जू की आरती उतारो हे अली || गोपी ग्वाल धेनु मोर भृंग…

केशव कुञ्ज बिहारी की आरती

|| आरती || मैं आरती तेरी गाँउ, ओ केशव कुञ्ज बिहारी, मै नित-नित शीश नवाऊ, ओ मोहन कृष्ण मुरारी || है तेरी छवि अनोखी, ऐसी ना दूजी देखी, तुझ सा ना सुन्दर कोई, ओ मोर मुकुट धारी, मैं आरती तेरी गाऊं, ओ केशव कुञ्ज बिहारी || माखन की मटकी फोड़ी, गोपिन संग अंखिया जोड़ी, ओ…

डाकिया जा रे श्याम ने संदेशो दीजे – भजन

डाकिया जा रे श्याम ने संदेशो दीजे तर्ज – ओ बाबुल प्यारे ( सेठ डाकिया से ) डाकिया जा रे, श्याम ने संदेशो दीजे, श्याम ने जायत कह दीजे, भगत थारे दर्शन ने तरसे, डाकिया जा रे || ( डाकिया सेठ से ) कुण से गाँव थारो श्याम बस्यो है, इतनो म्हाने बता दे, सेवक…