स्कन्द षष्ठी व्रत कथा व पूजा विधि

।। स्कन्द षष्ठी व्रत पूजा विधि ।। सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और भगवान कार्तिकेय की बालस्वरूप प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। ऐसा करने के बाद भगवान कार्तिकेय को चंदन, धूप, दीप, पुष्प, वस्त्र इत्यादि अर्पित करें। फिर उन्हें एक मिष्ठान का भोग लगाएं। आज के दिन माता…

रामो राजमणि – श्लोक अर्थ सहित

॥ रामो राजमणि – श्लोक ॥ रामो राजमणिः सदा विजयते रामं रमेशं भजे रामेणाभिहता निशाचरचमूः रामाय तस्मै नमः । रामान्नास्ति परायणंपरतरं रामस्य दासोस्म्यहं रामे चित्तलयस्सदा भवतु मे भो राम मामुद्धर ॥ हिंदी अर्थ: राम (श्रीराम) सभी राजाओं में श्रेष्ठ रत्न हैं, और वे सदैव विजय प्राप्त करते हैं। मैं उन लक्ष्मीपति राम का भजन करता हूँ,…

माता रामो मत्पिता रामचन्द्र – श्लोक अर्थ सहित

॥ माता रामो मत्पिता रामचन्द्र – श्लोक ॥ माता रामो मत्पिता रामचन्द्रः । स्वामी रामो मत्सखा रामचन्द्रः ॥ सर्वस्वं मे रामचन्द्रो दयालु । नान्यं जाने नैव जाने न जाने ॥ हिंदी अर्थ: माता के रूप में भगवान राम हैं, पिता के रूप में भी भगवान रामचन्द्र हैं। स्वामी के रूप में भगवान राम हैं, सखा के…

गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु – श्लोक अर्थ सहित

।। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु – श्लोक अर्थ सहित ।। गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः। गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः।। हिंदी अर्थ: यह श्लोक गुरु की महानता और उनके अद्वितीय स्थान को दर्शाता है। इस श्लोक का अर्थ इस प्रकार है: “गुरु अर्थात् शिक्षक ही ब्रह्मा हैं, गुरु ही विष्णु हैं, गुरु ही देव महेश्वर अर्थात् शिव हैं।…

श्री हनुमत् प्रार्थना श्लोक

।। श्री हनुमत् प्रार्थना श्लोक ।। मनोजवं मारुततुल्यवेगं जितेन्द्रियं बुद्दिमतां वरिष्ठम्। वातात्मजं वानरयूथमुख्यं श्रीरामदूतं शिरसा नमामि।। अञ्जनानन्दनं वीरं जानकीशोकनाशनम्। कपीशमक्षहन्तारं वन्दे लङ्काभयङ्करम्।। गोष्पदीकृतवाराशिं मशकीकृतराक्षसम्। रामायणमहामालारत्नं वन्देऽनिलात्मजम्।। यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकाञ्जलिम्। बाष्पवारिपरिपूर्णलोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम्।। वन्दे वानर-नारसिंह-खगराट्-क्रोडाश्ववक्त्राञ्चितं नानालङ्करणं त्रिपञ्चनयनं देदीप्यमानं रुचाम्। हस्ताभैरसिखेटपुस्तकसुधाभाण्डं कुशाद्रीन् हलं खट्वाङ्गं फणिवृक्षधृद्दशभुजं सर्वारिगर्वापहम्।। सर्वारिष्टनिवारकं शुभकरं पिङ्गाक्षमक्षापहं सीतान्वेषणतत्परं कपिवरं कोटीन्दुसूर्यप्रभम्। लङ्काद्वीपभयङ्करं…

कराग्रे वसते लक्ष्मी श्लोक – अर्थ सहित

।। कराग्रे वसते लक्ष्मी – श्लोक ।। कराग्रे वसते लक्ष्मी करमध्ये सरस्वती। करमूले तु गोविन्दं प्रभाते करदर्शनम्।। हिंदी अर्थ: हमारे हाथों की अंगुलियों के अग्रभाग में माता लक्ष्मी का वास होता है, हाथों के बीच में माता सरस्वती का निवास है, और हाथों की जड़ में भगवान गोविन्द का स्थान है। इसलिए, सुबह के समय…

त्वमेव माता च पिता त्वमेव – श्लोक अर्थ सहित

।। त्वमेव माता च पिता त्वमेव – श्लोक ।। त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव। त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव !! हिंदी अर्थ: “आप ही मेरे माता हैं, आप ही मेरे पिता हैं, आप ही मेरे बंधु हैं और आप ही मेरे सखा हैं। आप ही मेरी विद्या हैं,…

Chhath Puja 2024 Samagri List – छठ पूजा सामग्री लिस्ट, छठ पूजा नियम

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पंचांग के अनुसार, छठ पूजा का आरंभ कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 5 नवंबर, 2024 को होगा, और इसका समापन अष्टमी तिथि यानी 8 नवंबर को होगा। इस अवधि में भक्त पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करेंगे। छठ पूजा में पूजा सामग्री का विशेष महत्व होता…

यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं – श्लोक अर्थ सहित

॥ यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं – श्लोक ॥ यत्र यत्र रघुनाथकीर्तनं तत्र तत्र कृतमस्तकांजलिम् वाष्पवारिपरिपूर्णालोचनं मारुतिं नमत राक्षसान्तकम् ॥ हिंदी अर्थ: जहाँ-जहाँ भगवान श्रीराम की महिमा का गान होता है, वहाँ-वहाँ भगवान हनुमान जी हाथ जोड़े खड़े रहते हैं। उनकी आँखें प्रेमाश्रुओं से भरी होती हैं। मैं उन हनुमान जी को प्रणाम करता हूँ, जो राक्षसों का…

सूर्यदेव की कृपा पाने का सरल उपाय – जानिए व्रत कथा, पूजा विधि और नियम

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सूर्य देव व्रत, जिसे रविवार व्रत के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा और उपवास करने का विधान है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्य और शत्रुओं से रक्षा प्राप्त होती है। इस…

सत्यमेव जयते नानृतम् – श्लोक अर्थ सहित

॥ सत्यमेव जयते नानृतम् – श्लोक ॥ सत्यमेव जयते नानृतम् सत्येन पन्था विततो देवयानः । येनाक्रमत् मनुष्यो ह्यात्मकामो यत्र तत् सत्यस्य परं निधानं ॥ हिंदी अर्थ: सत्य ही सदा विजय प्राप्त करता है, असत्य नहीं। सत्य के मार्ग पर ही देवयान की यात्रा की जाती है, जो परमात्मा तक पहुँचने का मार्ग है। जिस पथ पर…

करारविन्देन पदारविन्दं – श्लोक अर्थ सहित

॥ करारविन्देन पदारविन्दं – श्लोक ॥ करारविन्देन पदारविन्दं मुखारविन्दे विनिवेशयन्तम् । वटस्य पत्रस्य पुटे शयानं बालं मुकुन्दं मनसा स्मरामि ॥ हिंदी अर्थ: मैं अपने मन से उस बाल मुकुंद (भगवान कृष्ण) का स्मरण करता हूँ, जो वट वृक्ष के पत्ते पर शयन कर रहे हैं। जिनके कोमल हाथ कमल के समान हैं, जो अपने कमल समान…

नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि – श्लोक अर्थ सहित

॥ नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि – श्लोक ॥ नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः। न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः॥ हिंदी अर्थ: यह श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता से लिया गया है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि आत्मा को न तो कोई शस्त्र काट सकता है, न ही अग्नि जला सकती है। इसे पानी गीला नहीं कर…

Chhath Puja 2024 – छठ पूजा विधि, छठ पूजा मुहूर्त (नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य, उषा अर्घ्य)

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इस साल छठ महापर्व 05 नवंबर 2024 से प्रारंभ हो रहा है। ‘नहाय-खाय’ के साथ यह चार दिवसीय पर्व 08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा। छठी मैया और सूर्य देव की आराधना का यह पर्व, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं…

बुध प्रदोष व्रत कथा

|| बुध प्रदोष व्रत कथा || बुध त्रयोदशी प्रदोष व्रत करने से सर्व कामनाएं पूर्ण होती हैं। इस व्रत में हरी वस्तुओं का प्रयोग करना चाहिए। शंकर शिव जी की आराधना धूप, बेल पत्र आदि से करनी चाहिए। बुध प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार एक पुरुष का नया-नया विवाह हुआ। विवाह के 2 दिनों…

श्री कार्तिक मास कथा

|| कार्तिक मास की कथा || किसी नगर में एक ब्राह्मण दंपत्ति रहते थे। वे हर दिन सात कोस दूर गंगा और यमुना नदी में स्नान करने जाते थे। इतनी दूर आने-जाने से ब्राह्मण की पत्नी बहुत थक जाती थी। एक दिन उसने अपने पति से कहा, “अगर हमारा एक बेटा होता तो कितना अच्छा…

कार्तिक संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| कार्तिक संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || पार्वती जी ने पूछा, “हे लम्बोदर! जो सबसे भाग्यशाली हैं, और भाषण करने में श्रेष्ठ हैं! मुझे बताओ कि कार्तिक कृष्ण चतुर्थी के दिन किस नाम वाले गणेश जी की पूजा करनी चाहिए और किस विधि से?” श्रीकृष्ण जी ने कहा, “गणेश जी ने अपनी माता के…

श्री छठ माता की आरती

|| छठ माता की आरती || जय छठी मैया ऊ जे केरवा जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए। मारबो रे सुगवा धनुख से, सुगा गिरे मुरझाए॥ || जय छठी मैया  || ऊ जे सुगनी जे रोएली वियोग से, आदित होई ना सहाय। ऊ जे नारियर जे फरेला खबद से, ओह पर सुगा मंडराए॥…

कार्तिक मास में क्या करें, क्या न करें? कार्तिक 2024 माह क्यों है विशेष?

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कार्तिक मास हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र महीना माना जाता है। यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इस दौरान कई धार्मिक अनुष्ठान और व्रत किए जाते हैं। आइए जानते हैं कार्तिक मास 2024 में क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए, साथ ही इस महीने के महत्व और पौराणिक कथाओं के…

छठ पूजा कथा विधि

।। छठ पूजा 2024 का कार्यक्रम ।। छठ पूजा नहाय खाय- 05 नवंबर 2023, शुक्रवार सूर्योदय- 06:39 AM पर सूर्योस्त- 05:41 PM पर छठ पूजा खरना- 06 नवंबर 2023, शनिवार सूर्योदय- 06:39 AM पर सूर्योस्त- 05:26 PM पर छठ पूजा संध्या अर्घ्य- 07 नवंबर 2023, रविवार सूर्योस्त- 05:29 PM पर छठ पूजा उषा अर्घ्य- 08…

श्री विष्णु सहस्रनाम स्तोत्रम पाठ

।। श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: ॐ विश्वं विष्णु: वषट्कारो भूत-भव्य-भवत-प्रभुः । भूत-कृत भूत-भृत भावो भूतात्मा भूतभावनः ।। पूतात्मा परमात्मा च मुक्तानां परमं गतिः। अव्ययः पुरुष साक्षी क्षेत्रज्ञो अक्षर एव च ।। योगो योग-विदां नेता प्रधान-पुरुषेश्वरः । नारसिंह-वपुः श्रीमान केशवः पुरुषोत्तमः ।। सर्वः शर्वः शिवः स्थाणु: भूतादि: निधि: अव्ययः ।…

भैया दूज व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| भैया दूज व्रत कथा || भैया दूज के संबंध में पौराणिक कथा इस प्रकार से है। सूर्य की पत्नी संज्ञा से 2 संतानें थीं, पुत्र यमराज तथा पुत्री यमुना। संज्ञा सूर्य का तेज सहन न कर पाने के कारण अपनी छायामूर्ति का निर्माण कर उन्हें ही अपने पुत्र-पुत्री को सौंपकर वहाँ से चली गई।…

श्री चित्रगुप्त आरती

॥ आरती ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे, स्वामीजय चित्रगुप्त हरे । भक्तजनों के इच्छित, फलको पूर्ण करे॥ विघ्न विनाशक मंगलकर्ता, सन्तनसुखदायी । भक्तों के प्रतिपालक, त्रिभुवनयश छायी ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥ रूप चतुर्भुज, श्यामल मूरत, पीताम्बरराजै । मातु इरावती, दक्षिणा, वामअंग साजै ॥ ॐ जय चित्रगुप्त हरे…॥ कष्ट निवारक, दुष्ट संहारक, प्रभुअंतर्यामी । सृष्टि…

भैया दूज लोक कथा

|| भैया दूज लोक कथा || एक बुढ़िया माई थी, उसके सात बेटे और एक बेटी थी। बेटी की शादी हो चुकी थी। जब भी उसके बेटों की शादी होती, फेरों के समय एक नाग आता और उसके बेटे को डस लेता था। बेटे की वहीं मृत्यु हो जाती और बहू विधवा हो जाती। इस…

श्री चित्रगुप्त स्तुति

॥ चित्रगुप्त स्तुति ॥ जय चित्रगुप्त यमेश तव, शरणागतम् शरणागतम् । जय पूज्यपद पद्मेश तव, शरणागतम् शरणागतम् ॥ जय देव देव दयानिधे, जय दीनबन्धु कृपानिधे । कर्मेश जय धर्मेश तव, शरणागतम् शरणागतम् ॥ जय चित्र अवतारी प्रभो, जय लेखनीधारी विभो । जय श्यामतम, चित्रेश तव, शरणागतम् शरणागतम् ॥ पुर्वज व भगवत अंश जय, कास्यथ कुल,…

चित्रगुप्त कथा व पूजा विधि

।। चित्रगुप्त पूजा कथा ।। एक बार युधिष्ठिरजी भीष्मजी से बोले- हे पितामह! आपकी कृपा से मैंने धर्मशास्त्र सुने, परन्तु यमद्वितीया का क्या पुण्य है, क्या फल है यह मैं सुनना चाहता हूँ। आप कृपा करके मुझे विस्तारपूर्वक कहिए। भीष्मजी बोले- तूने अच्छी बात पूछी। मैं उस उत्तम व्रत को विस्तारपूर्वक बताता हूँ। कार्तिक मास…

श्री चित्रगुप्त चालीसा

॥ दोहा ॥ सुमिर चित्रगुप्त ईश को, सतत नवाऊ शीश। ब्रह्मा विष्णु महेश सह, रिनिहा भए जगदीश॥ करो कृपा करिवर वदन, जो सरशुती सहाय। चित्रगुप्त जस विमलयश, वंदन गुरूपद लाय॥ ॥ चौपाई ॥ जय चित्रगुप्त ज्ञान रत्नाकर। जय यमेश दिगंत उजागर॥ अज सहाय अवतरेउ गुसांई। कीन्हेउ काज ब्रम्ह कीनाई॥ श्रृष्टि सृजनहित अजमन जांचा। भांति-भांति के…

गोवर्धन महाराज आरती

Govardhan Pooja

।। गोवर्धन पूजा मुहूर्त ।। गोवर्धन पूजा का शुभ मुहूर्त 2 नवंबर 2024 को प्रातः 6:00 बजे से 8:00 बजे तक है। इसके अलावा, दोपहर 03:23 बजे से 05:35 बजे के बीच भी गोवर्धन पूजा की जा सकती है। ।। गोवर्धन महाराज आरती ।। श्री गोवर्धन महाराज, ओ महाराज, तेरे माथे मुकुट विराज रहेओ। तोपे…

दिवाली व्रत कथा और पूजा विधि

।। दीपावली व्रत कथा ।। एक बार की बात है एक जंगल में एक साहूकार रहता था। उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाया करती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाया करती थी उस पर पर मां लक्ष्मी निवास करती थी। एक दिन मां लक्ष्मी ने साहूकार की बेटी से कहा मैं…

Diwali 2024 लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि – जाने दिवाली का महत्व, क्यों जलाते हैं दीप और क्या है इसकी खासियत?

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इस बार दिवाली की तारीख को लेकर थोड़ा कन्फ्यूजन है क्योंकि अमावस्या तिथि दो दिन पड़ रही है – 31 अक्टूबर और 1 नवंबर। ऐसे में लोग सोच रहे हैं कि दिवाली किस दिन मनाई जाए और लक्ष्मी पूजन का सही समय क्या है। दिवाली का त्योहार हिंदू धर्म में भगवान राम से जुड़ा एक…

नरक चतुर्दशी कथा

|| नरक चतुर्दशी कथा || कार्तिक महीने में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रूप चौदस, नरक चतुर्दशी कहते हैं। बंगाल में इस दिन को मां काली के जन्मदिन के रूप में काली चौदस के तौर पर मनाया जाता है। इसे छोटी दीपावली भी कहते हैं। इस दिन स्नानादि से निवृत्त होकर यमराज का तर्पण कर…

Diwali Puja Samagri List 2024 – दीपावली लक्ष्मी पूजन सामग्री सूची, विधि और मंत्र

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दिवाली हमारे सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, और इसे कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल दिवाली 31 अक्टूबर 2024 को है। इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। दिवाली पर मां लक्ष्मी और श्री गणेशजी की पूजा का विशेष महत्व है। इस सामग्री सूची की…

महामृत्युञ्जय स्तोत्रम्

|| महामृत्युञ्जय स्तोत्रम् || रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम् । नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ १ ॥ नीलकण्ठं कालमूर्तिं कालज्ञं कालनाशनम् । नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ २ ॥ नीलकण्ठं विरूपाक्षं निर्मलं निलयप्रदम् । नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति ॥ ३ ॥ वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम् । नमामि…

बिल्वाष्टकम् – 2

|| बिल्वाष्टकम् – 2 || त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रियायुधं । त्रिजन्म पापसंहारं एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ १ ॥ त्रिशाखैः बिल्वपत्रैश्च अच्छिद्रैः कोमलैः शुभैः । तव पूजां करिष्यामि एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ २ ॥ कोटि कन्या महादानं तिलपर्वत कोटयः । काञ्चनं शैलदानेन एकबिल्वं शिवार्पणम् ॥ ३ ॥ काशीक्षेत्र निवासं च कालभैरव दर्शनं । प्रयागे माधवं दृष्ट्वा एकबिल्वं…

धनतेरस के दिन क्या खरीदें? जाने धनतेरस 2024 शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और खरीदारी से जुड़ी खास टिप्स

Dhanteras

दीपावली का त्यौहार 5 दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और भाई दूज के दिन खत्म होता है। हर साल धनतेरस 2024 कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और कुबेर देवता की पूजा होती है। इसके अगले दिन छोटी…

धनतेरस की पौराणिक कथा

|| धनतेरस की पौराणिक कथा || धनतेरस का त्योहार कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ मनाया जाता है। इस दिन धनवंतरी, माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा होती है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है जिसे जानना दिलचस्प है। कहानी कुछ इस तरह है…

रमा एकादशी व्रत 2024 – जानिए व्रत विधि, कथा, पारण का समय और महत्व

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रमा एकादशी हिंदू धर्म के पवित्र व्रतों में से एक है। यह व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस वर्ष रमा एकादशी का व्रत 28 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा। रमा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की कृपा…

रमा एकादशी व्रत कथा और पूजा विधि

।। रमा एकादशी पूजा विधि ।। एकादशी के दिन सुबह स्नान करें और उसके बाद पूजा शुरू करें, पूजा में धूप, तुलसी के पत्तों, दीप, नैवेद्य, फूल और फल का आदि चीजों का ध्यान रखें । इस दिन भगवान विष्णु का पीले वस्त्र और फूलों से श्रृंगार करना चाहिए । एकादशी व्रत का पारण द्वादशी…

सूर्य षष्ठी व्रत कथा और पूजा विधि

॥ सूर्य षष्ठी व्रत कथा ॥ कथा के अनुसार प्रियव्रत नाम के एक राजा थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और उसकी पत्नी बहुत दुखी रहते थे। उनकी पत्नी का नाम मालिनी था। दोनों की कोई संतान नहीं थी। इस बात से राजा और…

चौथ माता व्रत कथा और पूजा विधि

।। चौथ माता व्रत कथा ।। एक समय की बात है कि विष्णु भगवान का विवाह लक्ष्‍मीजी के साथ निश्चित हो गया। विवाह की तैयारी होने लगी। सभी देवताओं को निमंत्रण भेजे गए, परंतु गणेशजी को निमंत्रण नहीं दिया, कारण जो भी रहा हो। अब भगवान विष्णु की बारात जाने का समय आ गया। सभी…

संतान सप्तमी व्रत कथा व पूजन विधि

।। संतान सप्तमी व्रत पूजन विधि ।। संतान सप्तमी के दिन माताएं सुबह स्नानादि के पश्चात व्रत करने का संकल्प भगवान शिव और मां पार्वती के सामने लें। पूजा के लिए चौकी सजाएं और फिर शिव-पार्वती की मूर्ति रखने के पश्चात नारियल के पत्तों के साथ कलश स्थापित करें। इस दिन निराहार अवस्था में शुद्धता…

श्री हनुमान चालीसा

।। श्री हनुमान चालीसा ।। ।। दोहा ।। श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। ।। चौपाई ।। जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। रामदूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र…

श्री वेंकटेश्वर चालीसा

|| श्री वेंकटेश्वर चालीसा || || दोहा || रामानुज पदकमल का, मन में धर कर ध्यान। श्रीनिवास भगवान का, करें विमल गुण गान ।। तिरुपति की महिमा बड़ी, गाते वेद-पुरान । कलियुग में प्रत्यक्ष हैं, वेंकटेश भगवान ।। || चौपाई || जय श्रीवेंकटेश करुणा कर । श्रीनिवास स्वामी सुख सागर ।। जय जय तिरुपति धाम…

श्री कृष्ण चालीसा

|| श्री कृष्ण चालीसा || ॥ दोहा ॥ बंशी शोभित कर मधुर, नील जलद तन श्याम। अरुण अधर जनु बिम्बा फल, पिताम्बर शुभ साज॥ जय मनमोहन मदन छवि, कृष्णचन्द्र महाराज। करहु कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज॥ ॥ चौपाई ॥ जय यदुनंदन जय जगवंदन। जय वसुदेव देवकी नन्दन॥ जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।…

अभिलाषाष्टकम्

|| अभिलाषाष्टकम् || एकं ब्रह्मैवऽऽद्वितीयं समस्तं सत्यं सत्यं नेह नानास्ति किञ्चित् । एको रुद्रो न द्वितीयोव तस्थे तस्मादेकं त्वां प्रपद्ये महेशं ॥ १ ॥ कर्ता हर्ता त्वं हि सर्वस्य शम्भो नाना रूपेषु एकरूपोपि अरूपः । यद्वत् प्रत्यक् धर्म एकोऽपि अनेकः तस्मात् नान्यं त्वां विनेशं प्रपद्ये ॥ २ ॥ रज्जौ सर्पः शुक्तिकायां च रौप्यं नीरैः पूरः…

आदित्य हृदय स्तोत्रम्

|| आदित्य हृदय स्तोत्रम् || विनियोग ॐ अस्य आदित्यह्रदय स्तोत्रस्य अगस्त्यऋषि: अनुष्टुप्छन्दः आदित्यह्रदयभूतो। भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्माविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः॥ ततो युद्धपरिश्रान्तंसमरे चिन्तया स्थितम्। रावणं चाग्रतो दृष्ट्वायुद्धाय समुपस्थितम्॥1॥ दैवतैश्च समागम्यद्रष्टुमभ्यागतो रणम्। उपागम्याब्रवीद्राममगस्त्योभगवान् ऋषिः॥2॥ राम राम महाबाहोशृणु गुह्यं सनातनम्। येन सर्वानरीन् वत्ससमरे विजयिष्यसि॥3॥ आदित्यहृदयं पुण्यंसर्वशत्रुविनाशनम्। जयावहं जपेन्नित्यम्अक्षय्यं परमं शिवम्॥4॥ सर्वमङ्गलमाङ्गल्यंसर्वपापप्रणाशनम्। चिन्ताशोकप्रशमनम्आयुर्वर्धनमुत्तमम्॥5॥ रश्मिमंतं समुद्यन्तंदेवासुरनमस्कृतम्। पूजयस्व…

Ahoi Ashtami 2024 – अहोई अष्टमी व्रत, जाने तिथि, नियम और पूजा विधि सहित संपूर्ण जानकारी

Ahoi Ashtami

Ahoi Ashtami 2024 – अहोई अष्टमी का व्रत हर साल माताएं अपने बच्चों की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं। इस दिन माताएं पूरे दिन बिना पानी पिए व्रत रखती हैं और शाम को तारों को अर्घ्य देकर व्रत खोलती हैं। इस साल अहोई अष्टमी का व्रत 24 अक्टूबर 2024 को रखा जाएगा।…

श्री लक्ष्मीनृसिंह स्तोत्रम्

|| श्री लक्ष्मीनृसिंह स्तोत्रम् || श्रीमत्पयोनिधिनिकेतन चक्रपाणेभोगीन्द्रभोगमणिरञ्जितपुण्यमूर्ते। योगीश शाश्वत शरण्य भवाब्धिपोतलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥1॥ ब्रह्मेन्द्ररुद्रमरुदर्ककिरीटकोटिसङ्घट्टिताङ्घ्रिकमलामलकान्तिकान्त। लक्ष्मीलसत्कुचसरोरुहराजहंसलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥2॥ संसारघोरगहने चरतो मुरारेमारोग्रभीकरमृगप्रचुरार्दितस्य। आर्तस्य मत्सरनिदाघनिपीडितस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥3॥ संसारकूपमतिघोरमगाधमूलंसम्प्राप्य दुःखशतसर्पसमाकुलस्य। दीनस्य देव कृपणापदमागतस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥4॥ संसारसागरविशालकरालकालनक्रग्रहग्रसननिग्रहविग्रहस्य। व्यग्रस्य रागनिचयोर्मिनिपीडितस्यलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥5॥ संसारवृक्षमघबीजमनन्तकर्मशाखाशतं करणपत्रमनङ्गपुष्पम्। आरुह्य दुःखफलिनं पततो दयालोलक्ष्मीनृसिंह मम देहि करावलम्बम्॥6॥ संसारसर्पघनवक्त्रभयोग्रतीव्रदंष्ट्राकरालविषदग्धविनष्टमूर्तेः। नागारिवाहन सुधाब्धिनिवास शौरेलक्ष्मीनृसिंह मम…