हिन्दू धर्म में मार्गशीर्ष माह को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायक माना गया है। इसे ‘अगहन’ मास भी कहते हैं। शास्त्रों के अनुसार, यह महीना भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। स्वयं श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” अर्थात् महीनों में मैं मार्गशीर्ष हूँ। इस माह में भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
भगवान श्रीकृष्ण के साथ ही इस माह में देवी तुलसी की पूजा का भी विशेष महत्व बताया गया है। तुलसी को ‘विष्णुप्रिया’ कहा जाता है और मार्गशीर्ष के पावन काल में तुलसी महारानी का पूजन और उनकी स्तुति करना साधक के लिए सुख-समृद्धि के द्वार खोल देता है। जो भक्त इस पूरे माह में रोजाना तुलसी के समक्ष घी का दीपक जलाकर तुलसी चालीसा का पाठ करते हैं, उन पर भगवान श्रीकृष्ण और माता तुलसी की कृपा सदैव बनी रहती है।
|| तुलसी चालीसा पाठ के चमत्कारी लाभ ||
तुलसी चालीसा माता तुलसी के महिमा का बखान करती है और उनके गुणों का स्मरण कराती है। इस चालीसा का पाठ करने से जीवन के कई संकट दूर होते हैं और साधक को अतुलनीय पुण्य प्राप्त होता है।
- संकटों से मुक्ति – चालीसा की पहली चौपाई में ही कहा गया है: “जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।” यानी तुलसी महारानी अपने भक्तों के भयंकर से भयंकर संकटों को भी तुरंत नष्ट कर देती हैं।
- सुख-समृद्धि की प्राप्ति – तुलसी को तिहुँ लोक की सुखखानी (सुखों का खजाना) कहा गया है। उनके पूजन से घर में सुख-संपत्ति का वास होता है। जो नारी प्रतिदिन उनका पूजन करती है, वह सुख-संपत्ति से हमेशा सुखी रहती है।
- विष्णु कृपा – मान्यता है कि जिस घर में माता तुलसी का निवास नहीं होता, उस पर भगवान विष्णु भी वास नहीं करते। इसलिए तुलसी चालीसा का पाठ करने से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की स्थायी कृपा प्राप्त होती है।
- कार्य सिद्धि – जो भक्त नित्य तुलसी का सुमिरन करते हैं, उनके सभी बिगड़े हुए कार्य पूर्ण हो जाते हैं। चालीसा में कहा गया है: “करै सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।”
- विवाह में सफलता – कार्तिक मास में तुलसी पूजन का विशेष महत्व होता है। जो कुँवारी कन्याएँ श्रद्धापूर्वक उनका पूजन करती हैं, उन्हें सुन्दर और योग्य वर प्राप्त होता है।
- मोक्ष और भक्ति – वृद्धा नारी यदि उनका पूजन करती है, तो उसे भक्ति की प्राप्ति होती है। जो श्रद्धा से माता को पूजता है, वह भवसागर से पार हो जाता है और मोक्ष प्राप्त करता है।
- रोगों से मुक्ति – तुलसी को औषधि रूप माना गया है। चालीसा में कहा गया है: “औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता।” उनके पूजन और स्मरण से व्यक्ति रोग-क्लेश से मुक्त रहता है।
॥ श्री तुलसी चालीसा ॥
मार्गशीर्ष माह में इन लाभों को प्राप्त करने के लिए प्रतिदिन पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ निम्न तुलसी चालीसा का पाठ करना चाहिए:
॥ दोहा ॥
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय ।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय ।।
॥ चौपाई ॥
नमो नमो तुलसी महारानी ।
महिमा अमित न जाए बखानी ।।
दियो विष्णु तुमको सनमाना ।
जग में छायो सुयश महाना ।।
विष्णु प्रिया जय जयति भवानि ।
तिहूं लोक की हो सुखखानी ।।
भगवत पूजा कर जो कोई ।
बिना तुम्हारे सफल न होई ।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा ।
उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा ।।
करे सदा जो तव नित सुमिरन ।
तेहिके काज होय सब पूरन ।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा ।
ताको जानत सब संसारा ।।
तव पूजन जो करैं कुंवारी ।
पावै सुन्दर वर सुकुमारी ।।
कर जो पूजा नितप्रीति नारी ।
सुख सम्पत्ति से होय सुखारी ।।
वृद्धा नारी करै जो पूजन ।
मिले भक्ति होवै पुलकित मन ।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई ।
भवनिधि से तर जावै सोई ।।
कथा भागवत यज्ञ करावै ।
तुम बिन नहीं सफलता पावै ।।
छायो तब प्रताप जगभारी ।
ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी ।।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन में ।
सकल काज सिधि होवै क्षण में ।।
औषधि रूप आप हो माता ।
सब जग में तव यश विख्याता ।।
देव रिषी मुनि और तपधारी ।
करत सदा तव जय जयकारी ।।
वेद पुरानन तव यश गाया ।
महिमा अगम पार नहिं पाया ।।
नमो नमो जै जै सुखकारनि ।
नमो नमो जै दुखनिवारनि ।।
नमो नमो सुखसम्पत्ति देनी ।
नमो नमो अघ काटन छेनी ।।
नमो नमो भक्तन दु:ख हरनी ।
नमो नमो दुष्टन मद छेनी ।।
नमो नमो भव पार उतारनि ।
नमो नमो परलोक सुधारनि ।।
नमो नमो निज भक्त उबारनि ।
नमो नमो जनकाज संवारनि ।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि ।
नमो नमो सब सुख उपजावनि ।।
जयति जयति जय तुलसीमाई ।
ध्याऊं तुमको शीश नवाई ।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ ।
बिगड़े कारज आप बनाओ ।।
करूं विनय मैं मात तुम्हारी ।
पूरण आशा करहु हमारी ।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं ।
निशदिन तेरे ही गुण गाऊं ।।
करहु मात यह अब मोपर दया ।
निर्मल होय सकल ममकाया ।।
मांगू मात यह बर दीजै ।
सकल मनोरथ पूर्ण कीजै ।।
जानूं नहिं कुछ नेम अचारा ।
छमहु मात अपराध हमारा ।।
बारह मास करै जो पूजा ।
ता सम जग में और न दूजा ।।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे ।
फिर सुंदर स्नान करावे ।।
चंदन अक्षत पुष्प चढ़ावे ।
धूप दीप नैवेद्य लगावे ।।
करे आचमन गंगा जल से ।
ध्यान करे हृदय निर्मल से ।
पाठ करे फिर चालीसा की ।
अस्तुति करे मात तुलसी की ।।
यह विधि पूजा करे हमेशा ।
ताके तन नहिं रहै क्लेशा ।।
करै मास कार्तिक का साधन ।
सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं ।।
है यह कथा महा सुखदाई ।
पढ़ै सुने सो भव तर जाई ।।
॥ दोहा ॥
यह श्री तुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय ।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय ।।
|| तुलसी चालीसा पाठ की सही विधि ||
मार्गशीर्ष मास में प्रतिदिन इस विधि से तुलसी पूजन और चालीसा पाठ करना अत्यंत फलदायी माना जाता है:
- सबसे पहले प्रातःकाल उठकर पवित्र होकर स्नान करें।
- यदि संभव हो तो तुलसी के पौधे को शुद्ध जल से स्नान कराएं।
- चंदन, अक्षत (चावल), पुष्प (फूल), धूप, दीप, और नैवेद्य (भोग) की व्यवस्था करें।
- पूजन आरंभ करने से पहले गंगाजल से आचमन करें।
- माता तुलसी के समक्ष शुद्ध घी का दीपक प्रज्वलित करें।
- चंदन, अक्षत और पुष्प अर्पित करें। धूप और दीप दिखाएं तथा नैवेद्य लगाएं।
- हृदय को निर्मल करके एकाग्र मन से माता तुलसी का ध्यान करें।
- इसके बाद श्रद्धापूर्वक तुलसी चालीसा का पाठ करें। पाठ के बाद माता तुलसी की स्तुति करें।
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