भारत अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यहां हर कदम पर आपको एक ऐसी कहानी या रहस्य मिलेगा जो आपको हैरान कर देगा। हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत पहाड़ियों के बीच बसा नैना देवी मंदिर (Naina Devi Temple) एक ऐसा ही पवित्र स्थल है, जिसके रहस्य और इतिहास की चर्चा दूर-दूर तक होती है। यह मंदिर न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि इसे 51 शक्ति पीठों (Shakti Peethas) में से एक माना जाता है, जहां मां सती के नेत्र (eyes) गिरे थे। क्या यह सिर्फ एक पौराणिक कथा है या इसमें कोई सच्चाई है? आइए, इस ब्लॉग में हम नैना देवी मंदिर के इतिहास, महत्व और इससे जुड़े रहस्यों को गहराई से समझते हैं।
नैना देवी मंदिर का परिचय
नैना देवी मंदिर, हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में शिवालिक पर्वतमाला (Shivalik range) की सुरम्य पहाड़ियों पर स्थित है। यह मंदिर गोविंद सागर झील (Govind Sagar Lake) के किनारे स्थित है, जो भाखड़ा-नांगल बांध (Bhakra-Nangal Dam) के कारण बनी है। मंदिर तक पहुंचने के लिए आप सड़क मार्ग से जा सकते हैं, और फिर एक रोमांचक केबल कार (cable car) की सवारी कर सकते हैं, जो आपको सीधे मंदिर के द्वार तक ले जाएगी। यह यात्रा ही अपने आप में एक अविस्मरणीय अनुभव है।
शक्ति पीठ की पौराणिक कथा – क्या सचमुच गिरे थे मां के नयन?
नैना देवी मंदिर का सबसे बड़ा रहस्य इसकी शक्ति पीठ की स्थिति है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, जब भगवान शिव (Lord Shiva) अपनी पत्नी, देवी सती के मृत शरीर को लेकर दुखी होकर तांडव कर रहे थे, तो भगवान विष्णु (Lord Vishnu) ने अपने सुदर्शन चक्र (Sudarshan Chakra) से सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया। ये सभी अंग जहां-जहां गिरे, वे स्थान शक्ति पीठ कहलाए।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, नैना देवी मंदिर वही स्थान है जहां देवी सती के ‘नयन’ यानी ‘नेत्र’ गिरे थे। इसी कारण इस स्थान का नाम ‘नैना देवी’ पड़ा। यह सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि लाखों भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है जो इस बात में पूरी तरह विश्वास करते हैं।
मंदिर का इतिहास और वास्तुकला
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 15वीं शताब्दी में राजा बीर चंद (Raja Bir Chand) ने करवाया था, जो बिलासपुर के शासक थे। समय के साथ, मंदिर का कई बार जीर्णोद्धार (renovation) किया गया है। वर्तमान मंदिर की वास्तुकला काफी आकर्षक है, जिसमें भारतीय और पहाड़ी शैलियों का मिश्रण देखने को मिलता है। मंदिर के अंदर, मुख्य गर्भगृह में मां नैना देवी की सुंदर प्रतिमा स्थापित है। उनके साथ ही, मां काली (Maa Kali) और भगवान गणेश (Lord Ganesha) की भी मूर्तियां हैं।
मंदिर के मुख्य द्वार पर दो सिंहों (lions) की मूर्तियां हैं, जो इस पवित्र स्थल की भव्यता को और बढ़ाती हैं। मंदिर परिसर में एक हवन कुंड (Hawan Kund) भी है, जहां भक्त अपनी मनोकामनाएं पूरी होने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं।
मंदिर का महत्व और धार्मिक गतिविधियां
नैना देवी मंदिर का धार्मिक महत्व बहुत अधिक है, खासकर नवरात्रों (Navratri) के दौरान। इन नौ दिनों में, हजारों भक्त मां के दर्शन के लिए यहां आते हैं। मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, जिससे पूरे परिसर में एक सकारात्मक ऊर्जा (positive energy) का प्रवाह होता है।
- चैत्र और शारदीय नवरात्रों में यहां विशेष मेलों (fairs) का आयोजन होता है, जिसमें देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं।
- भक्तों का मानना है कि यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है। लोग अपनी मन्नत पूरी होने पर मंदिर में घंटी या चुनरी चढ़ाते हैं।
- यह स्थान केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी मन को शांति प्रदान करता है। गोविंद सागर झील का शांत वातावरण (calm atmosphere) और आसपास की हरियाली भक्तों को एक अलग ही सुकून का अनुभव कराती है।
क्या नैना देवी मंदिर के रहस्य का कोई वैज्ञानिक प्रमाण है?
शक्ति पीठों की कहानियां आस्था पर आधारित हैं, और इनका कोई वैज्ञानिक प्रमाण (scientific proof) नहीं है। लेकिन, यह भी सच है कि इन स्थानों पर एक अदृश्य शक्ति (invisible power) का अनुभव होता है। लाखों लोगों की अटूट आस्था और विश्वास ही इन मंदिरों को जीवंत बनाता है। नैना देवी मंदिर का रहस्य इस बात में नहीं है कि क्या सचमुच मां के नयन गिरे थे, बल्कि इस बात में है कि इस एक कहानी ने लाखों लोगों को एक-दूसरे से और ईश्वर से जोड़ा है।
नैना देवी मंदिर की यात्रा कैसे करें? (How to reach Naina Devi Temple?)
- वायु मार्ग – सबसे नजदीकी हवाई अड्डा चंडीगढ़ (Chandigarh Airport) है, जो यहां से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। वहां से आप टैक्सी किराए पर ले सकते हैं।
- रेल मार्ग – नजदीकी रेलवे स्टेशन आनंदपुर साहिब (Anandpur Sahib) है, जो मंदिर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है।
- सड़क मार्ग – नैना देवी मंदिर सड़क मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। दिल्ली, चंडीगढ़, और शिमला जैसे प्रमुख शहरों से बसें और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
Found a Mistake or Error? Report it Now

