Tulsi Mata

हर एकादशी और द्वादशी पर करें तुलसी स्तोत्र का पाठ, पाएं मोक्ष और पुण्य, तुलसी स्तोत्र से नाश होते हैं 36 प्रकार के पाप

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हिंदू धर्म में तुलसी को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना जाता है। इसे भगवान विष्णु की प्रिय मानी जाती है और इसके दर्शन मात्र से ही पापों का नाश होता है। शास्त्रों में तुलसी के गुणों का विस्तार से वर्णन किया गया है, और तुलसी स्तोत्र का पाठ विशेष रूप से फलदायी माना गया है। खासकर एकादशी और द्वादशी तिथियों पर इस स्तोत्र का पाठ करने से असाधारण पुण्य की प्राप्ति होती है और 36 प्रकार के पापों का नाश होता है, जिससे मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।

तुलसी स्तोत्र का महत्व

तुलसी स्तोत्र, जिसे वृंदा स्तोत्र के नाम से भी जाना जाता है, तुलसी देवी को समर्पित है। इसमें तुलसी के विभिन्न नामों और गुणों का गुणगान किया गया है। मान्यता है कि इस स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक शांति मिलती है, धन-धान्य की वृद्धि होती है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है। यह स्तोत्र न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि इसमें सकारात्मक ऊर्जा का संचार करने की भी अद्भुत शक्ति है।

एकादशी और द्वादशी पर विशेष फल

एकादशी और द्वादशी तिथियां भगवान विष्णु को समर्पित हैं। इन दिनों व्रत रखने और पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व है। जब इन पवित्र तिथियों पर तुलसी स्तोत्र का पाठ किया जाता है, तो इसका प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।

  • एकादशी: यह तिथि भगवान विष्णु की पूजा के लिए समर्पित है। इस दिन तुलसी स्तोत्र का पाठ करने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह पापों का नाश कर पुण्य में वृद्धि करता है।
  • द्वादशी: एकादशी के ठीक अगले दिन द्वादशी होती है। इस दिन भी तुलसी स्तोत्र का पाठ करना उतना ही फलदायी माना जाता है। द्वादशी को व्रत का पारण किया जाता है और इस दिन तुलसी की पूजा से यज्ञों का फल मिलता है। इन दोनों दिनों में तुलसी स्तोत्र का पाठ करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति में सहायता मिलती है और वह 36 प्रकार के पापों से मुक्ति पाता है।

तुलसी स्तोत्र से नष्ट होने वाले 36 पाप

तुलसी स्तोत्र का पाठ केवल एक धार्मिक कर्म नहीं, बल्कि एक अत्यंत शक्तिशाली साधना है जो हमारे द्वारा अनजाने में या जानबूझकर किए गए कई प्रकार के पापों को नष्ट करने में सक्षम है। शास्त्रों में वर्णित है कि तुलसी स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ करने से 36 प्रकार के पापों का नाश होता है।

नीचे उन 36 पापों की सूची दी जा रही है जिनका नाश तुलसी स्तोत्र के प्रभाव से होता है:

  1. ब्रह्म हत्या (ब्रह्मज्ञानी की हत्या)
  2. गो हत्या (गाय की हत्या)
  3. भ्रूण हत्या (गर्भस्थ शिशु की हत्या)
  4. बाल हत्या
  5. स्त्री हत्या
  6. गुरु हत्या
  7. माता-पिता की अवज्ञा
  8. परस्त्री गमन
  9. परनिंदा
  10. झूठ बोलना
  11. चोरी करना
  12. छल-कपट करना
  13. धोखाधड़ी करना
  14. रिश्वत लेना/देना
  15. शराब और नशे का सेवन
  16. मांसाहार करना
  17. देवता की निंदा करना
  18. पवित्र स्थानों की उपेक्षा करना
  19. स्त्री या गुरु का अपमान
  20. वाणी से दूसरों को दुख देना
  21. धर्म का उपहास उड़ाना
  22. अपवित्र भोजन करना
  23. व्रत का उल्लंघन करना
  24. यज्ञ या पूजा में अशुद्धि फैलाना
  25. अंधविश्वास फैलाना
  26. असत्य प्रचार करना
  27. हिंसा करना
  28. ईर्ष्या करना
  29. द्वेष करना
  30. परपीड़ा करना
  31. निर्दोष को दंड देना
  32. पवित्र नदियों या स्थानों का अपमान
  33. अतिथि का अपमान करना
  34. ध्यान या जप में विघ्न डालना
  35. अपशब्द बोलना
  36. बिना कारण क्रोध करना

तुलसी स्तोत्र का पाठ कैसे करें?

तुलसी स्तोत्र का पाठ करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि आपको इसका अधिकतम लाभ मिल सके:

  • पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  • कुश या ऊनी आसन पर बैठें।
  • यदि संभव हो, तो तुलसी के पौधे के सामने बैठकर पाठ करें।
  • पाठ करते समय मन को शांत रखें और तुलसी देवी का ध्यान करें।
  • स्तोत्र का स्पष्ट और सही उच्चारण करें।
  • एकादशी और द्वादशी पर पाठ करने के साथ-साथ, आप इसे अपनी सुविधानुसार प्रतिदिन भी कर सकते हैं।

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