Download HinduNidhi App
Shri Ganesh

साल 2025 में संकष्टी चतुर्थी कब-कब है? देखें पूरी लिस्ट

Shri GaneshHindu Gyan (हिन्दू ज्ञान)हिन्दी
Share This

संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह पर्व भगवान गणेश की पूजा के लिए समर्पित होता है और प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहा जाता है.

“संकष्टी” शब्द का अर्थ है संकटों का हरण करने वाला, और गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है जो भक्तों के सभी संकटों को दूर करते हैं। इस दिन व्रत रखने और भगवान गणेश की पूजा करने से मंगल का काम शुरू होता है, घर में सुख-शांति रहती है और परेशानियां दूर होती हैं।

इस दिन भक्त गणेश जी की पूजा-अर्चना करते हैं और उपवास रखते हैं। उपवास करने वाले भक्त पूरे दिन अन्न का सेवन नहीं करते और केवल फल, दूध और अन्य सात्विक पदार्थों का ही सेवन करते हैं। संध्याकाल में चंद्र दर्शन के बाद व्रत का पारण किया जाता है। पूजा के दौरान गणेश जी को दुर्वा, फूल, लड्डू और मोदक का भोग अर्पित किया जाता है।

वर्ष भर में कुल 12 संकष्टी चतुर्थी आती हैं, और प्रत्येक संकष्टी चतुर्थी का अलग-अलग महत्व और कहानी होती है। उनमें से कुछ प्रमुख संकष्टी चतुर्थी हैं अंगारक संकष्टी चतुर्थी, जिसे मंगल ग्रह के प्रभाव से जोड़कर देखा जाता है।

संकष्टी चतुर्थी का उत्सव विशेष रूप से महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है, जहां इस दिन गणेश मंदिरों में विशेष पूजा और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है। भगवान गणेश के भक्त इस दिन को बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाते हैं, यह मानते हुए कि गणेश जी उनकी सभी समस्याओं का समाधान करेंगे और उन्हें आशीर्वाद देंगे।

संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें.
  • पूजा स्थान की साफ-सफाई करें और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें.
  • गणेश जी को तिलक लगाएं, दूर्वा अर्पित करें और उनका प्रिय भोग मोदक या लड्डू चढ़ाएं.
  • दीप जलाएं और गणेश चालीसा या गणेश मंत्र का जाप करें.
  • संकल्प लें कि आप संकष्टी चतुर्थी का व्रत रख रहे हैं और भगवान गणेश से सुख-शांति का आशीर्वाद मांगें.
  • शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें.

संकष्टी चतुर्थी 2025 पूरी लिस्ट

माह तारीख शुभ मुहूर्त
जनवरी 2025 जनवरी 17, 2025, शुक्रवार- लंबोदर संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 04:06 ए एम, जनवरी 17

समाप्त – 05:30 ए एम, जनवरी 18

फरवरी 2025 फरवरी 16, 2025, रविवार- द्विजप्रिया संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 11:52 पी एम, फरवरी 15

समाप्त – 02:15 ए एम, फरवरी 17

मार्च 2025 मार्च 17, 2025, सोमवार- भालचंद्र संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 07:33 पी एम, मार्च 17

समाप्त – 10:09 पी एम, मार्च 18

अप्रैल 2025 अप्रैल 16, 2025, बुधवार- विकट संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 01:16 पी एम, अप्रैल 16

समाप्त – 03:23 पी एम, अप्रैल 17

मई 2025 मई 16, 2025, शुक्रवार- एकदंत संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 04:02 ए एम, मई 16

समाप्त – 05:13 ए एम, मई 17

जून 2025 जून 14, 2025, शनिवार- कृष्णापिंगला संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 03:46 पी एम, जून 14

समाप्त – 03:51 पी एम, जून 15

जुलाई 2025 जुलाई 14, 2025, सोमवार -गजानन संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 01:02 ए एम, जुलाई 14

समाप्त – 11:59 पी एम, जुलाई 14

अगस्त 2025 अगस्त 12, 2025, मंगलवार- हेरम्बा संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 08:40 ए एम, अगस्त 12

समाप्त – 06:35 ए एम, अगस्त 13

सितंबर 2025 सितम्बर 10, 2025, बुधवार- विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 03:37 पी एम, सितम्बर 10

समाप्त – 12:45 पी एम, सितम्बर 11

अक्टूबर 2025 अक्टूबर 10, 2025, शुक्रवार- वक्रतुंड संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 10:54 पी एम, अक्टूबर 09

समाप्त – 07:38 पी एम, अक्टूबर 10

नवंबर 2025 नवम्बर 8, 2025, शनिवार- गणाधिप संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 07:32 ए एम, नवम्बर 08

समाप्त – 04:25 ए एम, नवम्बर 09

दिसंबर 2025 दिसम्बर 7, 2025, रविवार- अखुरठा संकष्टी चतुर्थी प्रारम्भ – 06:24 पी एम, दिसम्बर 07

समाप्त – 04:03 पी एम, दिसम्बर 08

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App