|| आरती ||
जय जय जाहरवीर हरे, जय जय गोगावीर हरे ।
धरती पर आकर के भक्तों के कष्ट हरे ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
जो कोई भक्ति करे प्रेम से,भागे दुःख परे।
विघ्न हरन मंगल के दाता, जन -जन का कष्ट हरे ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
जेवर राव के पुत्र कहाए, रानी बाछल माता ।
बागड़ में जन्म लिया गुगा ने, सब जय -जयकार करे ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
धर्म कि बेल बढाई निशदिन, तपस्या रोज करे ।
दुष्ट जनों को दण्ड दिया, जग में रहे आप खरे ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
सत्य अहिंसा का व्रत धारा, झुठ से सदा डरे ।
वचन भंग को बुरा समझ कर, घर से आप निकरे ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
माडी में करी तपस्या अचरज सभी करे ।
चारों दिशाओं से भगत आ रहे, जोड़े हाथ खड़े ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
अजर अमर है नाम तुम्हारा, हे प्रसिद्ध जगत उजियारा ।
भुत पिशाच निकट नहीं आवे, जो कोई जाहर नाम गावे ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
सच्चे मन से जो ध्यान लगावे ,सुख सम्पति घर आवे ।
नाम तुम्हारा जो कोई गावे ,जन्म जन्म के दुःख बिसरावे ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
भादो कृष्ण नोमी के दिन जो पुजे ,वह विघ्नों से नहीं डरे ।
जय-जय जाहर वीर हरे , जय श्री गोगा वीर हरे ॥
जय जय जाहरवीर हरे…
॥ इति श्री जाहरवीर आरती संपूर्णम् ॥
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