|| सोमनाथ ब्रता कथा ||
एक दिनकरे कैळास शिखररे ईश्वर पार्बतीङ्कु सङ्गते घेनि आनन्दरे बिहार करुछन्ति । सेठारे तेतिशि कोटि देबता बसिछन्ति । एमन्त समय़रे पार्बती पचारिले, हे स्वामी ! केउँ ब्रत कले तुम्भ मनरे सन्तोष हुअइ मोते कहिबा हुअन्तु । मुँ से ब्रत करिबि । एहा शुणि ईश्बर हसि हसि कहिले, भो देबी पार्बती, ताहा कहुअछि शुण ।
आमर सोमनाथ ब्रत बोलि गोटिए प्रधान ब्रत अछि। तुमे से ब्रत कर। पार्बती पचारिले, से ब्रत कले किफळ मिळइ ? हे प्रिय़े कहुछि शुणा। पूर्बकाळरे माळब देशर बीरबिक्रम पाटिळि बोलि जणे राजा थान्ति । सेहि राज्य़कु आमर षाठिएकण कपोति गले । सेहि राज्य़र लोकमाने सोमनाथ ब्रत करुछन्ति ।
कपोतिमाने से नगर देखु बड़ सन्तोष हेले। कपोतिमाने राजसिंहद्वारे प्रबेश हेले। द्वारपाळकु कहिले आम्भे याइ राजाङ्कु भेटिबु । द्वारपाळ याइ राजाज्ञ कहिला, श्री सोमनाथङ्कर षाठिए जण कपोति आसिछन्ति, तुम्भङ्कु सोमनाथङ्कर प्रसाद हेबे । द्वारपाळ बचन शुणि राजा बड़ सन्तोष हेले । राजा कहिले, ताङ्कु घेनिआस ।
द्वारपाळ याइ कहिला हे कपोतिमाने, तुम्भे भितरकु आस । ए बचनशुणि कपोतिमाने राजाङ्क छामुकु गले। राजा कपोतीमानङ्कु अर्घ्य़देइ पूजा कले । कपोतिमाने सन्तोष होइ श्री सोमनाथङ्कु ब्रत बिभूति प्रसाद देले । राजा कपोतिमानङ्कु पचारिले, हे कपोत्रीमाने काहिँकि एठाकु आसिबा हेले, एहा कहिबा हेउ ?
कपोतिमाने कहिले, आम्भे पश्चिम सोमनाथङ्क कपोती, तुमर की शुणि एठाकु अइलु । एहा शुणि राजा बड़ सन्तोष हेले I हे कपोतामाने आजि मोहर बड़ भाग्य़ आजि मोहर पुररे रहि भोजन करिब । ए उ रु राजा रान्धुणिआमानङ्कु डकाइ कहिले, हे सुपकारमाने सोमनाथङ्कठारु षाठिए जण कपोति आसिछन्ति, सेमाने भोजन करिबे ।
एहाशुणि सुपकारमाने याइ षड़रस पाक निर्भाकले। राजाङ्कु याइ जणाइले भो देब, पाक निर्भा हेला I राजा कपोतिमानङ्कु कहिले स्नानकरि आस, बहुत उछुर हेलाणि । एहाशुणि कपोतिमाने स्नानकरि नित्य़कर्म सारि भोजन मन्दिरे प्रबेश हेले । राजा कपोतिमानङ्कु आसन देइ बसाइले । राजा बसिले पत्र पकाइले । सुबर्ण्ण झरिरे जळ देले ।
अन्न परसिले, नानादि ब्य़ञ्जन देले, घृत देले, खारि पिठा देले, लडु छेना देले। कपोतिमाने भोजन कले । कपोतिमाने कहिले आम्भे सन्तोष हेलु । हे राजा तुम्भे कि बर मागुछि माग। राजा कहिले मुँ कि बर मागिबि ? तुमे याचिकरि दिअ । कपोतिमाने कहिले आम्भर सोमनाथ ब्रत कर I पुत्रपुत्री अनेक सम्पद पाइब । राजा हरष होइ बोइले, हे कपोतीमाने से ब्रतर बिधान आम्भङ्कु कहिबा हेउ । कपोतिमाने बोइले हे राजाशुण ।
आश्विन मास शुक्ळ दशमी दिन ए ब्रत करिब प्रातःकाळु स्नान करिब, दशमे हळदी करिब, देश मे गन्ध करिब। दशखण्ड दान्तकाठि करिब, दशथर ताकु घषिब, गन्ध हळदी लगाइ दशथर स्नान करिब, शुक्ळ बस्त्र पिन्धिब, दण बर्षक फुल करिब । दशखुअ सुता करिब, ब्रतरे दश गण्ठि पकाइब । स्फटिक लिङ्ग करिब । नहेले मु कारे लिङ्ग तिआरि करिब । कुह मण्डळ काटि लिङ्ग स्थापन करिब । दशबर्ण्ण पूजा देइ दशगोटि पिठाकरि पूजा करिब ।
ब्राह्मणङ्क ठारु सोमनाथ ब्लड कथा शुणिब कथा शुणिपारि दूर्बाक्षत चढाइब, सूर्य्य़ङ्कु अर्घ्य़ देब । एहि बिधा अनुसारे ब्रत कले मनबाञ्छित फळ पाइब । रका ए बचन शुणि कहिले – हे कपोळिमाने ए ब्लड मो मनकु पाइलानि । त्रिलोकर राजा भल ब्रत कला बोलि लोके उपहास करिबे । राजाङ्क बचन शुणि कपोडिमाने कहिले – हे राजा, ए कथा शुणि आम मनरे कष्ट हेला। तुमे सेमनाथ ब्रत निन्दा कला । एतुकरि तुम देहरे कृष्णब्ध हेला I
कपोतिमाने एपरि शाप देइ बाहारिगले । सेहिक्षणि राजा देहरे कृष्णब्य़ हेला I कर चरण खणिआ हेला । राजा एहा देखु आश्चर्य्य़ होइ ताङ्क भारियाकु पूर्ब ब्ध त सबु कहिबारु राणी कहिले, तुमे श्री सोमनाथङ्कु निन्दा करिबारु दूमकु एहा हेला I तुमे श्री सोमनाथङ्क दर्शन करिबा सकाशे याए I तुमर एहि रोग भल हेब । राजा एहा शुणि श्री सोमनाथङ्कु दर्शन करिबाकु उद्योग कले I राणीङ्कु कहिले, आपे श्री सोमनाथङ्कु दर्शन करिबाकु याउछु ।
रोग भल हेब । एहा शुणि राणी कहिले, मुँ पतिब्रता काहाकु पेनिति । राजा कहिले आमर कठाउकु पूजा करिब । एहिपरि राजा कहिबारु राण कठाइ पूजाकरि रहिले। इजा समस्तङ्कु प्रबोधना देइ नथररु बाहारिगले । से पश्चिम सोमनाथङ्कु भेटिले। श्री सोमनाथङ्कु स्तुतिकरि भच पाठकले । चार बिक्रम पाटकि राजासर आज्र सहि नपारि कपोतिमाने श्री सोमनाथङ्कु कहिले, हे प्रभु बीरबिक्रम शळा राज्य़ छाड़ि तुरङ्कु दर्शन करिबाकु आसिछि ।
श्री सोमनाथ कहिले, ताकु छाड़ि नदेइ दूरे रख । कपेनिमाने याइ रहिले, हे राजा ! प्रभुसर अज्ञा नाहिँ। ता अज्ञा हेले आसिब, एहि मण्डपरे थाए । तेणे राज्य़ हतलक्ष्मी हेला । राज्य़र पुअ भिक्षामाणि आणिले राणी रन्धा करन्ति । एहिरूपे केतेदिन गला । दिने रजा पुअ गोटिए ग्रामकु भिक्षा मागि याइथिला ।
से ग्रामर यात्र मन्त्री पचारिले तुमे ओ बिक्रम राजाङ्कर पुअ, काहिँकि भिक्षा करुअछि । एहाशुणि राजकुमार ताङ्कु कहिला – आम राज्य़ सोमनाथङ्कर ब्लड निन्दा करिबारु ताङ्क हात गोड़ ओणिआ होइ हलक्ष्मी हेले। तेणु मुँ भिक्षा करुछि । पात्रमन्त्रीमाने राणीङ्कु राज्य़रु घउड़ि देले । से राज्य़रे पात्र राहाहेले । राणी दूरगोटि घोउलि धरि ब्राह्मण शासनरे रहिले ।
एक दिनरे श्री सोमनाथङ्क कपोतिमाने पूणि सेहि ब्राह्मण शासनकु गले । ब्राह्मणामाने श्री सोमनाथङ्क कपेजीमानङ्कु देखि पूजा कले । कपेनीमाने कहिले – तुमेमाने श्री सोमनाथ ब्लड कर । एहि ब्रत कले धन, जन, गोपलक्ष्मी पाइब । एहाशुणि ब्राह्मणीमाने कहिले, से ब्रत किपरि कहन्तु । कपोरीमाने कहिले, से चुतर बिधान शुणा दर्शबर फुल तरिब, दश बर्षर फळ करिब, दूत दणनाड़ करिब, दशगोटि शुक्त उआचारन करिब ।
दशखिअ सूता करिब, ब्रतरे दश गण्ठि पकाइब, दशबर्षर पुर पुरदेइ दशटि पिठा करिब, रुद्म मण्डळ काटिब, अर्घ्य़ देब, दशबर्षर पुरदेइ पि पिठाकरि सोमनाथङ्कु पूजा करिब ओ चन्द्रङ्कु अर्घ्य़ देब । एहाशुणि ब्राह्मणीमाने हऋष ऋष होइ ब्रत कले I 21 एमन्त समय़रे राणीङ्क पोइलि देखु राणिङ्कि कहिले। रा । राणी कहिले मुँ सूता कटाइ, तु कटाइ, तु पाणि आम्भे कि ब्रत करिबा। पोइलि कहिला ब्राह्मणीमानङ्कु ब्रत मागिबा । पोइलि पाइलि याइ ब्राह्मणिङ्कि ब्राह्मणिङ्कि ब्रत मागिला ।
ब्राह्मणीमाने ब्रत देले। राणी बिधा अनुसारे ब्रत कले। ब्रत करिबा सोमनाथङ्कर दय़ा हेला । केतेदिन उ रु राजार गोड़ सोमनाथङ्कु दर्शन कले। कपोतिमाने कहिले हे राजा, कखारु फुलरे देह क करइ बोलि कहिलु। मण्डापिठारे ताळु छिड़इ बोलि कहिलु। सेथियोगुँ ए दुःख पाइलु तोर भारिजा बिधू अनुसारे श्री सोमनाथ ब्रत करिबारु सोमनाथ प्रभुङ्का दय़ाहेला तु राज्य़रु याअ । राजा कहिले, तुमर बचन नाय़ि करिबारु मुँ कष्ट पाइलि ।
एहाशुणि राज्य़कु गले । देखुले राज्य़रे राणी नाहान्ति । लोक पठाइ ब्राह्मण शासनरु राणीङ्कु आणिले। राणी सकळ कथा राजाङ्कु कहिबारु राजा गातखोळि पात्रर बंशसारा पोताइ देने राजा राणी पुत्र पौत्री धरि सुखरे रहिले । नारीमाने बिधू अनुसारे धनधान्य़ पुत्र पौत्री धरि घर करन्ति । अन्ते सद्गति लभन्ति । देले ।
॥ इति श्री सोमनाथ ब्रतकथा सम्पूर्ण्ण ॥
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