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श्री नरहर्यष्टकम्

Sri Narahari Ashtakam Sanskrit

MiscAshtakam (अष्टकम संग्रह)संस्कृत
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|| श्री नरहर्यष्टकम् ||

यद्धितं तव भक्तानामस्माकं नृहरे हरे ।
तदाशु कार्यं कार्यज्ञ प्रलयार्कायुतप्रभ ॥ १ ॥

रटत्सटोग्र भ्रुकुटीकठोरकुटिलेक्षण ।
नृपञ्चास्य ज्वलज्ज्वालोज्ज्वलास्यारीन् हरे हर ॥ २ ॥

उन्नद्धकर्णविन्यास विवृतानन भीषण ।
गतदूषण मे शत्रून् हरे नरहरे हर ॥ ३ ॥

हरे शिखिशिखोद्भास्वदुरः क्रूरनखोत्कर ।
अरीन् संहर दंष्ट्रोग्रस्फुरज्जिह्व नृसिंह मे ॥ ४ ॥

जठरस्थ जगज्जाल करकोट्युद्यतायुध ।
कटिकल्पतटित्कल्पवसनारीन् हरे हर ॥ ५ ॥

रक्षोध्यक्षबृहद्वक्षोरूक्षकुक्षिविदारण ।
नरहर्यक्ष मे शत्रुपक्षकक्षं हरे दह ॥ ६ ॥

विधिमारुतशर्वेन्द्रपूर्वगीर्वाणपुङ्गवैः ।
सदा नताङ्घ्रिद्वन्द्वारीन् नरसिंह हरे हर ॥ ७ ॥

भयङ्करोर्वलङ्कार वरहुङ्कारगर्जित ।
हरे नरहरे शत्रून् मम संहर संहर ॥ ८ ॥

वादिराजयतिप्रोक्तं नरहर्यष्टकं नवम् ।
पठन्नृसिंहकृपया रिपून् संहरति क्षणात् ॥ ९ ॥

इति श्रीमद्वादिराज पूज्यचरण विरचितं श्री नरहर्यष्टकम् ।

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