उच्छिष्ट गणपति पंचांग एक अनमोल पुस्तक है जिसे पंडित खेमा राज कृष्णदास जी ने लिखा है। यह पुस्तक विशेष रूप से धार्मिक और आध्यात्मिक साधकों के लिए तैयार की गई है, जो उच्छिष्ट गणपति की साधना और उनसे जुड़ी तांत्रिक विधियों को समझने और अपनाने में रुचि रखते हैं।
उच्छिष्ट गणपति कौन हैं?
उच्छिष्ट गणपति भगवान गणेश का एक दुर्लभ और तांत्रिक स्वरूप है। यह स्वरूप मुख्य रूप से साधकों के लिए विशेष महत्व रखता है क्योंकि यह जीवन के जटिल पहलुओं को सरल बनाने, तंत्र-मंत्र के रहस्यों को सुलझाने और साधना में सफलता प्राप्त करने में सहायक माना जाता है। उच्छिष्ट गणपति को धन, सुख और समृद्धि के प्रदाता के रूप में भी पूजा जाता है।
उच्छिष्ट गणपति पंचांग पुस्तक की विशेषताएं
- इस पुस्तक में उच्छिष्ट गणपति से संबंधित तांत्रिक मंत्र, साधनाएँ और अनुष्ठानों का विस्तार से वर्णन किया गया है।
- पुस्तक में पंचांग की जानकारी, जैसे तिथि, नक्षत्र, योग और करण, का विवरण दिया गया है, जिससे साधक सही समय पर पूजा और अनुष्ठान कर सकें।
- उच्छिष्ट गणपति की साधना के लिए आवश्यक नियम, विधि और साधक की मानसिक तैयारी के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया है।
- खेमा राज कृष्णदास जी ने सरल और स्पष्ट शैली में पुस्तक लिखी है, जिससे यह जटिल विषय भी आसानी से समझा जा सकता है।