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जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति दिलाएगी वैकुण्ठ एकादशी, ये 5 काम करना न भूलें!

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सनातन धर्म में एकादशी (Ekadashi) का व्रत विशेष महत्व रखता है, लेकिन इन सबमें भी वैकुण्ठ एकादशी (Vaikuntha Ekadashi) का स्थान सर्वोपरि है। इसे ‘मोक्षदा एकादशी’ या पौष पुत्रदा एकादशी (Pausha Putrada Ekadashi) के नाम से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस पावन दिन स्वर्ग के द्वार (Swarg Dwar) खुल जाते हैं, और जो भक्त सच्चे मन से भगवान विष्णु (Lord Vishnu) की आराधना करते हैं, उन्हें जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति यानि मोक्ष (Moksha) की प्राप्ति होती है।

यह तिथि हमें जीवन की नश्वरता और आध्यात्मिक उन्नति (Spiritual Growth) का मार्ग दिखाती है। आइए जानते हैं क्या है वैकुण्ठ एकादशी का महत्व और वे कौन से 5 अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य हैं, जिन्हें इस दिन करना बिल्कुल न भूलें।

वैकुण्ठ एकादशी का महात्म्य (The Great Significance)

पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को वैकुण्ठ एकादशी मनाई जाती है। धार्मिक ग्रंथों, विशेषकर ‘पद्म पुराण’ (Padma Purana) में, इस दिन के महत्व का विस्तार से वर्णन किया गया है।

  • वैकुण्ठ द्वार का खुलना (The Opening of Vaikuntha Dwara) – मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने ‘मुर’ नामक भयंकर राक्षस का वध किया था, जिसके बाद उन्होंने देवी एकादशी को यह वरदान दिया कि जो भी इस दिन उनका व्रत करेगा, उसे वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होगी। इसलिए, इस दिन मंदिरों में ‘वैकुण्ठ द्वारम्’ या ‘उत्तरी द्वार’ (North Gate) को खोला जाता है। इस द्वार से गुजरना साक्षात वैकुण्ठ लोक में प्रवेश करने जैसा माना जाता है। यह प्रतीकात्मक रूप से अज्ञान से ज्ञान और भौतिकता से अध्यात्म की ओर बढ़ने का संकेत है।
  • सभी पापों का नाश – कहा जाता है कि इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत वाजपेय यज्ञ (Vajpeya Yajna) के समान फलदायी माना गया है, जिससे दरिद्रता और दुखों का नाश होता है।
  • संतान सुख की प्राप्ति – इसे पुत्रदा एकादशी भी कहते हैं, इसलिए निःसंतान दम्पतियों (Childless Couples) के लिए यह दिन विशेष फलदायी होता है। इस दिन व्रत रखने और श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा करने से योग्य एवं सुखी संतान की प्राप्ति होती है।

मोक्ष के लिए वैकुण्ठ एकादशी पर करें ये 5 आवश्यक कार्य

जन्म-मरण के चक्र से मुक्ति और भगवान विष्णु की असीम कृपा पाने के लिए वैकुण्ठ एकादशी के दिन ये 5 काम अवश्य करने चाहिए।

विधि-विधान से व्रत और पूजा (Strict Fasting and Worship)

एकादशी का मुख्य कार्य व्रत (Fast) रखना है। यह व्रत दशमी तिथि की संध्या से ही शुरू हो जाता है। वैकुण्ठ एकादशी पर निर्जला (जल रहित) या फलाहार व्रत रखने का संकल्प लें। पूरे दिन भगवान विष्णु का ध्यान करें और उनकी पूजा विधि-विधान से करें।

  • पूजन सामग्री – भगवान विष्णु को तुलसी दल, पीला चंदन, पीले वस्त्र और पीले फूल अर्पित करें।
  • मंत्र जाप – ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जितना संभव हो, उतना जाप करें।

वैकुण्ठ द्वार से गुजरना (Passing through the Vaikuntha Dwara)

अगर आपके आस-पास किसी विष्णु मंदिर में वैकुण्ठ द्वारम् (Vaikuntha Dwaram) की व्यवस्था हो, तो प्रातःकाल जाकर उस द्वार से अवश्य गुजरें। यह आध्यात्मिक उन्नति का एक सीधा मार्ग माना जाता है और आपको भगवान विष्णु के समीप ले जाता है। यदि मंदिर जाना संभव न हो, तो घर के पूजा स्थल पर ही उस द्वार का ध्यान करें।

‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ (Recitation of Vishnu Sahasranama)

इस दिन भगवान विष्णु के हजार नामों ‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके अलावा, श्रीमद्भागवत गीता (Bhagavad Gita) या अन्य धार्मिक ग्रंथों का पाठ भी करें। इन पाठों को सुनना या पढ़ना मन को शुद्ध करता है और आध्यात्मिक ऊर्जा (Spiritual Energy) प्रदान करता है, जिससे सत्य का ज्ञान होता है।

रात्रि जागरण और भजन-कीर्तन (Night Vigil and Chanting)

वैकुण्ठ एकादशी पर रात्रि जागरण का विशेष महत्व है। इस रात सोना नहीं चाहिए, बल्कि भगवान विष्णु के नाम का संकीर्तन (Sankirtan) करना चाहिए। भजन गाएं, कीर्तन करें और कथाएं सुनें। यह रात्रि जागरण मन को एकाग्र करता है और भक्त को सीधे परमेश्वर से जोड़ता है।

दान-पुण्य और परोपकार (Charity and Altruism)

एकादशी का व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब उसमें दान-पुण्य का समावेश हो। इस दिन जरूरतमंदों (Needy People) को वस्त्र, भोजन, अन्न या धन का दान अवश्य करें। गायों को चारा खिलाना और ब्राह्मणों को भोजन कराना भी शुभ फलदायी होता है। दान करने से न केवल पुण्य मिलता है, बल्कि आपके कर्मों का बोझ (Karma Burden) भी हल्का होता है।

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