हिंदू धर्म में भगवान गणेश को ‘प्रथम पूज्य’ माना गया है। किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत हो या संकटों का निवारण, सबसे पहले गणपति बप्पा को ही याद किया जाता है। हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विघ्नेश्वर चतुर्थी (विनायक चतुर्थी) के रूप में मनाया जाता है।
यदि आप इस बार पहली बार यह व्रत रखने का संकल्प ले रहे हैं, तो मन में उत्साह के साथ-साथ थोड़ा संकोच होना स्वाभाविक है। पूजा कैसे होगी? नियम क्या हैं? कहीं कोई गलती तो नहीं हो जाएगी? आपकी इन्हीं शंकाओं को दूर करने के लिए हमने यह खास गाइड तैयार की है।
विघ्नेश्वर चतुर्थी व्रत का संकल्प और मानसिक तैयारी
किसी भी व्रत की शुरुआत ‘संकल्प’ से होती है। पहली बार व्रत रख रहे हैं तो यह समझ लें कि यह केवल भूखे रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह अपने अनुशासन और भक्ति की परीक्षा है।
- सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र (संभव हो तो पीले या लाल रंग के) धारण करें। हाथ में जल और अक्षत लेकर बप्पा के सामने अपने व्रत को पूरा करने का संकल्प दोहराएं।
विघ्नेश्वर चतुर्थी पूजा के अनिवार्य नियम
विघ्नेश्वर चतुर्थी की पूजा विशेष रूप से दोपहर (मध्याह्न काल) में की जाती है, क्योंकि माना जाता है कि गणेश जी का जन्म इसी समय हुआ था।
- घर के उत्तर-पूर्व कोने (ईशान कोण) को साफ करके वहां एक चौकी बिछाएं और उस पर लाल कपड़ा रखें।
- चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। यदि संभव हो तो एक छोटा कलश भी स्थापित करें।
- गणेश जी को दूर्वा (घास) सबसे प्रिय है। इसके अलावा उन्हें लाल फूल (गुड़हल), सिंदूर, और मोदक या लड्डू का भोग जरूर लगाएं।
विघ्नेश्वर चतुर्थी क्या खाएं और क्या न खाएं?
चतुर्थी का व्रत अक्सर शाम को चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद या अगले दिन खोला जाता है।
- यदि आप पूरे दिन निराहार नहीं रह सकते, तो फल, दूध, और साबूदाने की खिचड़ी ले सकते हैं।
- इस दिन तामसिक भोजन (प्याज, लहसुन) और मांस-मदिरा का पूरी तरह त्याग करें।
- कोशिश करें कि सेंधा नमक का ही प्रयोग करें या बिना नमक का भोजन करें।
विघ्नेश्वर चतुर्थी पहली बार व्रत के लिए विशेष सावधानियां
पहली बार में अक्सर अनजाने में कुछ चूक हो जाती है। इन बातों का खास ख्याल रखें:
- चंद्र दर्शन से बचें – भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (मुख्य गणेश चतुर्थी) के दिन चंद्रमा को देखना वर्जित माना जाता है, क्योंकि इससे ‘कलंक’ लगने का भय रहता है। यदि आप अन्य महीनों की विनायक चतुर्थी कर रहे हैं, तो शाम को पूजा के बाद ही व्रत पूर्ण करें।
- क्रोध न करें – व्रत के दिन मन को शांत रखें। किसी की बुराई न करें और न ही घर में विवाद होने दें।
- तुलसी का प्रयोग मना है – भगवान गणेश की पूजा में कभी भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग न करें। पौराणिक कथाओं के अनुसार, गणेश जी ने तुलसी को अपनी पूजा से वर्जित किया है।
- अखंड ज्योति – यदि आपने घर में गणपति बैठाए हैं, तो ध्यान रखें कि दीया बुझने न पाए।
विघ्नेश्वर चतुर्थी पूजा सामग्री की चेकलिस्ट
- गणेश जी की प्रतिमा या तस्वीर
- दूर्वा (कम से कम 21 गांठें)
- मोदक या बेसन के लड्डू
- लाल चंदन और सिंदूर
- कलश, नारियल और आम के पत्ते
- धूप, दीप और कपूर
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