भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी, वाराणसी (काशी) को ‘मोक्ष की नगरी’ कहा जाता है। यह वह भूमि है, जहाँ स्वयं भगवान शिव ‘विश्वनाथ’ या ‘विश्वेश्वर’ के रूप में विराजमान हैं, जिसका अर्थ है ‘समस्त ब्रह्मांड के शासक’। द्वादश (12) ज्योतिर्लिंगों में, काशी विश्वनाथ का स्थान न केवल महत्त्वपूर्ण है, बल्कि कई पौराणिक कथाओं के अनुसार इसे सर्वोच्च और आदि-ज्योतिर्लिंग (पहला और सबसे महत्वपूर्ण) भी माना जाता है।
यह मंदिर, पवित्र गंगा नदी के पश्चिमी तट पर स्थित है, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है। आइए, इस अद्वितीय तीर्थस्थल की महिमा, दर्शन की सम्पूर्ण विधि और इसके गहरे महत्व को विस्तार से जानें।
काशी विश्वनाथ – सर्वोच्च स्थान क्यों?
भले ही कई ग्रंथों में काशी विश्वनाथ को सातवां या नौवां ज्योतिर्लिंग बताया गया हो, लेकिन इसकी महिमा और प्राचीनता इसे एक अद्वितीय स्थान प्रदान करती है।
- अविमुक्त क्षेत्र – काशी को ‘अविमुक्त क्षेत्र’ कहा जाता है, जिसका अर्थ है ऐसा स्थान जिसे भगवान शिव ने कभी नहीं छोड़ा। माना जाता है कि प्रलय के समय भी, भगवान शिव इस नगरी को अपने त्रिशूल पर धारण करके सुरक्षित रखते हैं।
- मोक्षदायिनी काशी – स्कंद पुराण और अन्य शास्त्रों के अनुसार, काशी में देह त्याग करने वाले को स्वयं भगवान शिव ‘तारक मंत्र’ देकर जन्म-मरण के चक्र से मुक्त कर देते हैं, यानी उसे सीधे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह विशेषता अन्य किसी तीर्थस्थल में नहीं पाई जाती, जो इसे ‘मोक्ष का द्वार’ और सभी ज्योतिर्लिंगों में प्रधान बनाती है।
- शक्ति और शिव का एकात्म – काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग में शिव और शक्ति दोनों का वास है। शिवलिंग के दाहिने भाग में माँ भगवती (शक्ति) विराजमान हैं और दूसरी ओर भगवान शिव (वाम रूप) विराजते हैं, इसलिए यह मुक्ति का मार्ग खोलता है।
काशी विश्वनाथ के दर्शन की सम्पूर्ण विधि
बाबा विश्वनाथ के दर्शन मात्र से ही जन्म-जन्मांतर के पाप कट जाते हैं। भक्तों की सुविधा के लिए, काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के निर्माण के बाद दर्शन की प्रक्रिया काफी सुगम हो गई है।
पवित्र गंगा स्नान
दर्शन का आरंभ पवित्र गंगा स्नान से करना अत्यंत शुभ माना जाता है। श्रद्धालु पास के दशाश्वमेध घाट या मणिकर्णिका घाट पर स्नान करते हैं। मान्यता है कि गंगा स्नान के बाद बाबा के दर्शन करने से यात्रा सफल होती है।
पूजा सामग्री और वेशभूषा
- पूजन सामग्री – आप मंदिर के बाहर बनी दुकानों से बेलपत्र, फूल, गंगाजल, दूध, धतूरा और भस्म आदि सामग्री खरीद सकते हैं।
- प्रतिबंध – मंदिर परिसर में मोबाइल फोन, कैमरा, बैग और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित है। इन्हें बाहर बने लॉकर (काउंटर) में जमा करना होता है।
- वस्त्र – सामान्यतः दर्शन के लिए साफ़ और शालीन वस्त्र (पुरुषों के लिए धोती-कुर्ता या पैंट-शर्ट, महिलाओं के लिए साड़ी या सलवार-कमीज) पहनना उचित माना जाता है।
मंदिर में प्रवेश और सुरक्षा जाँच
श्रद्धालु अब श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर के भव्य प्रवेश द्वारों (गेट नंबर 1 या 4) से प्रवेश करते हैं। प्रवेश से पहले सभी भक्तों को सुरक्षा जाँच (Security Check) से गुजरना होता है।
गर्भगृह में दर्शन
- श्रद्धालु निर्धारित लाइन में लगकर गर्भगृह तक पहुंचते हैं। भीड़ के अनुसार, दर्शन की अवधि कुछ सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक हो सकती है।
- सामान्य दिनों में, सुबह की आरती से पहले और दिन के कुछ समय भक्तों को शिवलिंग का स्पर्श करने की अनुमति होती है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेष अवसरों (जैसे श्रावण मास) पर भीड़ के कारण केवल दूर से ही दर्शन (झलक दर्शन) हो पाते हैं।
- आप शिवलिंग पर अपनी लाई हुई सामग्री (जल, दूध, बेलपत्र) अर्पित कर सकते हैं।
परिक्रमा और अन्य मंदिर
दर्शन के बाद, मंदिर परिसर की परिक्रमा करें। कॉरिडोर में माँ अन्नपूर्णा मंदिर, काल भैरव मंदिर, दंडपाणि मंदिर और अन्य देवी-देवताओं के छोटे मंदिर भी स्थित हैं, जहाँ दर्शन करना आवश्यक माना जाता है।
काशी विश्वनाथ का आध्यात्मिक महत्व
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह सनातन धर्म की अटूट आस्था और भारतीय संस्कृति का प्रतीक है।
महत्व का बिंदु विवरण
- मोक्ष की गारंटी यहाँ मृत्यु होने पर भगवान शिव स्वयं तारक मंत्र देते हैं, जिससे व्यक्ति को पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है।
- ज्ञान और वैराग्य काशी को ज्ञान और वैराग्य का केंद्र माना जाता है। यह आदिशंकराचार्य, तुलसीदास और कबीर जैसे संतों की साधना भूमि रही है।
- पापों का नाश शिव पुराण के अनुसार, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजन से व्यक्ति के सभी पापों का नाश हो जाता है और वह शिवलोक प्राप्त करता है।
- शक्तिपीठों से संबंध यहाँ माँ विशालाक्षी शक्तिपीठ भी स्थित है, जिससे काशी का महत्व और भी बढ़ जाता है।
काशी विश्वनाथ धाम – एक नया स्वरूप
काशी विश्वनाथ कॉरिडोर (विश्वनाथ धाम) के निर्माण ने इस मंदिर के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है।
- पहले मंदिर संकरी गलियों में सिमटा हुआ था, लेकिन अब यह धाम एक विशाल और भव्य रूप ले चुका है, जो सीधे गंगा घाटों से जुड़ता है।
- इस कॉरिडोर में यात्री सुविधा केंद्र, म्यूजियम, वैदिक केंद्र और विशाल परिक्रमा पथ का निर्माण किया गया है, जिससे तीर्थयात्रियों को अभूतपूर्व सुविधा मिलती है।
- कॉरिडोर की वास्तुकला भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जो प्राचीनता और आधुनिकता का सुंदर समन्वय प्रस्तुत करती है।
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