|| श्री युगलाष्टकम् ||
श्रीमाधवेन्द्रपुरीविरचितम् ।
वृन्दावनविहाराढ्यौ सच्चिदानन्दविग्रहौ ।
मणिमण्डपमध्यस्थौ राधाकृष्णौ नमाम्यहम् ॥ १॥
पीतनीलपटौ शान्तौ श्यामगौरकलेवरौ ।
सदा रासरतौ सत्यौ राधाकृष्णौ नमाम्यहम् ॥ २॥
भावाविष्टौ सदा रम्यौ रासचातुर्यपण्डितौ ।
मुरलीगानतत्त्वज्ञौ राधाकृष्णौ नमाम्यहम् ॥ ३॥
यमुनोपवनावासौ कदम्बवनमन्दिरौ ।
कल्पद्रुमवनाधीशौ राधाकृष्णौ नमाम्यहम् ॥ ४॥
यमुनास्नानसुभगौ गोवर्धनविलासिनौ ।
दिव्यमन्दारमालाढ्यौ राधाकृष्णौ नमाम्यहम् ॥ ५॥
मञ्जीररञ्जितपदौ नासाग्रगजमौक्तिकौ ।
मधुरस्मेरसुमुखौ राधाकृष्णौ नमाम्यहम् ॥ ६॥
अनन्तकोटिब्रह्माण्डे सृष्टिस्थित्यन्तकारिणौ ।
मोहनौ सर्वलोकानां राधाकृष्णौ नमाम्यहम् ॥ ७॥
परस्परसमाविष्टौ परस्परगणप्रियौ ।
रससागरसम्पन्नौ राधाकृष्णौ नमाम्यहम् ॥ ८॥
इति श्रीमाधवेन्द्रपुरीविरचितं श्रीयुगलाष्टकं सम्पूर्णम् ।
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