भगवान शिव को समर्पित सोमवार का व्रत हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है बल्कि भक्तों की मनोकामनाओं को भी पूर्ण करने वाला माना जाता है। विशेष रूप से 16 सोमवार का व्रत बहुत फलदायी माना गया है। आइए जानते हैं सोमवार व्रत की कथा, 16 सोमवार का व्रत कैसे किया जाता है और इसकी महिमा क्या है।
16 सोमवार व्रत कथा (16 Somvar Vrat PDF)
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय की बात है, एक नगर में एक धनी व्यापारी रहता था। उसके पास सब कुछ था, लेकिन कोई संतान नहीं थी। वह और उसकी पत्नी संतान प्राप्ति के लिए हमेशा चिंतित रहते थे। एक दिन, एक साधु व्यापारी के घर आए और उनकी चिंता का कारण जानकर उन्हें 16 सोमवार का व्रत करने की सलाह दी। साधु ने बताया कि सोमवार का व्रत करने और भगवान शिव की पूजा करने से उनकी मनोकामना अवश्य पूरी होगी।
व्यापारी और उसकी पत्नी ने साधु की बात मानकर विधिपूर्वक सोमवार का व्रत करना शुरू कर दिया। हर सोमवार वे भगवान शिव की पूजा करते और व्रत रखते। कुछ समय बाद, भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उन्हें एक पुत्र का आशीर्वाद दिया।
समय बीतता गया और व्यापारी का पुत्र बड़ा हो गया। एक दिन, वह अपनी पत्नी के साथ दूसरे नगर में व्यापार करने गया। वहां के राजा ने उन्हें बंदी बना लिया। व्यापारी और उसकी पत्नी अपने पुत्र के लिए बहुत दुखी हुए और फिर से सोमवार का व्रत करने लगे।
उसी नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी जो नियमित रूप से सोमवार का व्रत करती थी। भगवान शिव ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे व्यापारी के पुत्र और उसके साथी को बंधन मुक्त करने का स्वप्न दिया। ब्राह्मणी ने राजा को स्वप्न के बारे में बताया, जिससे राजा डर गया और उसने तुरंत व्यापारी के पुत्र और उसके साथी को रिहा कर दिया।
इस प्रकार, सोमवार का व्रत करने से व्यापारी को न केवल संतान की प्राप्ति हुई, बल्कि उसका खोया हुआ वैभव भी वापस मिल गया। इस कथा से सोमवार व्रत की महिमा और भगवान शिव की कृपा का पता चलता है।
16 सोमवार का व्रत कैसे करें?
16 सोमवार का व्रत श्रद्धा और विधि-विधान से किया जाता है। इसकी प्रक्रिया इस प्रकार है:
- पहले सोमवार को सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान शिव के समक्ष व्रत का संकल्प लें। आप मन में अपनी मनोकामना भी कह सकते हैं।
- प्रत्येक सोमवार को सुबह या शाम भगवान शिव की पूजा करें।
- पूजा में भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग पर जल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से अभिषेक करें। उन्हें चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा, फूल और फल अर्पित करें।
- “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें। सोमवार व्रत कथा पढ़ें या सुनें। आरती करें और भगवान शिव से अपनी मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना करें।
- सोमवार के दिन निराहार रहें। यदि निराहार रहना संभव न हो, तो दिन में एक बार फल, दूध या फलाहार ले सकते हैं। व्रत के दौरान नमक का सेवन न करें।
- व्रत के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करें। किसी भी प्रकार के बुरे विचार या नकारात्मकता से दूर रहें। गरीबों और जरूरतमंदों की सहायता करें।
- 16 सोमवार पूरे होने के बाद व्रत का उद्यापन करें। उद्यापन में भगवान शिव की विशेष पूजा करें।
- ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें दान-दक्षिणा दें। अपनी श्रद्धा अनुसार गरीबों को वस्त्र और अन्न दान करें।
सोमवार व्रत की महिमा
सोमवार का व्रत करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं:
- यह व्रत विशेष रूप से मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है। संतान प्राप्ति, विवाह, धन-समृद्धि और स्वास्थ्य संबंधी इच्छाएं इस व्रत से पूरी हो सकती हैं।
- सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन व्रत करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं।
- व्रत और पूजा-पाठ करने से मन शांत होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- मान्यता है कि सोमवार का व्रत करने से जीवन के कष्ट और परेशानियां दूर होती हैं।
- यह व्रत भक्तों को आध्यात्मिक रूप से उन्नत करने में सहायक होता है और उन्हें भगवान के करीब लाता है।
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