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पूजा में घी का दीपक और रुई की बाती – क्यों है यह ज़रूरी? जानें इसके पीछे का गुप्त रहस्य!

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भारतीय संस्कृति में पूजा-पाठ (Worship Rituals) का एक विशेष स्थान है। और जब भी हम किसी देवी-देवता के सामने नतमस्तक होते हैं, तो सबसे पहले एक दीप प्रज्वलित करते हैं। यह दीपक केवल प्रकाश का स्रोत नहीं, बल्कि ज्ञान, शुद्धता और सकारात्मकता (Positivity) का प्रतीक है।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि घी का दीपक जलाते समय रुई की बाती (Cotton Wick) ही क्यों अनिवार्य है? किसी और सामग्री का उपयोग क्यों नहीं किया जाता? इसके पीछे केवल धार्मिक कारण नहीं, बल्कि गहरे वैज्ञानिक और आध्यात्मिक रहस्य (Spiritual Secrets) छिपे हैं, जो शायद आपको पहले पता न हों।

दीपक – अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक

दीपक की लौ हमें सिखाती है कि हम अपने जीवन से अज्ञानता और निराशा के अंधकार को दूर कर ज्ञान और आशा के प्रकाश की ओर बढ़ें। दीपक के मुख्य तीन घटक होते हैं: दीपक (मिट्टी या धातु), घी/तेल, और बाती। इन तीनों का अपना विशिष्ट महत्व है।

1. घी (Ghee): शुद्धता और दिव्यता का स्रोत

शास्त्रों में गाय के शुद्ध घी को अत्यंत पवित्र माना गया है।

  • सकारात्मक ऊर्जा – जब घी अग्नि के संपर्क में आता है, तो यह वातावरण में एक विशेष प्रकार की सुगंध और सकारात्मक ऊर्जा का संचार (Communication of Positive Energy) करता है।
  • वैज्ञानिक पहलू – घी जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon Dioxide) की जगह ऑक्सीजन (Oxygen) बनाता है, जिससे आसपास का वातावरण शुद्ध होता है, जो पूजा के लिए अत्यंत आवश्यक है।

रुई की बाती ही क्यों? गुप्त रहस्य

रुई (Cotton) एक प्राकृतिक और पवित्र पदार्थ है। घी के दीपक में रुई की बाती का उपयोग करने के पीछे कई गहन कारण हैं:

रहस्य 1: अहंकार (Ego) और समर्पण का प्रतीक

रुई की बाती अपने स्वरूप में अत्यंत नरम (Soft) और सहज होती है। सनातन धर्म में ‘रुई’ को ‘जीवात्मा’ (The Soul) का प्रतीक माना गया है। जब यह रुई घी (भक्ति/प्रेम) में डूबकर जलती है, तो यह हमें सिखाती है कि हमारा जीवन भी घी रूपी भक्ति में डूबकर, बाती की तरह धीरे-धीरे जलते हुए, बिना किसी ‘अहंकार’ के प्रभु को समर्पित हो जाना चाहिए। यह जलना वास्तव में हमारी इच्छाओं और अहंकार को त्यागने (Sacrifice) का प्रतीक है, जिससे हमें ज्ञान रूपी प्रकाश प्राप्त होता है।

रहस्य 2: अवशोषण और एकरूपता का सिद्धांत

रुई की संरचना ऐसी होती है कि यह घी को आसानी से सोख लेती है।

  • उत्कृष्ट वाहक (Excellent Carrier): रुई घी को दीपक के निचले हिस्से से लौ तक पहुंचाने का काम करती है। यह निरंतरता (Continuity) बनाए रखती है, जिससे लौ स्थिर और शांत बनी रहती है।
  • तत्त्वों का संगम: बाती, घी और अग्नि का यह संगम (Confluence) दर्शाता है कि मनुष्य का शरीर (बाती), मन (घी) और आत्मा (अग्नि) जब एक साथ आते हैं, तभी सच्चा प्रकाश यानी मोक्ष प्राप्त होता है।

रहस्य 3: शुद्धता और शुभता

रुई को प्रकृति का एक अत्यंत शुद्ध उपहार (Pure Gift) माना जाता है।

  • पवित्रता: पूजा के लिए उपयोग की जाने वाली रुई को किसी भी प्रकार की गंदगी या अशुद्धि से दूर रखा जाता है। इसकी प्राकृतिक पवित्रता दीपक की दिव्यता (Divinity) को बढ़ाती है।
  • सफेद रंग का महत्व: रुई का सफेद रंग शांति, शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है। यह मन की निर्मलता को दर्शाता है।

किस प्रकार की बाती का करें प्रयोग?

दीपक में बाती के भी दो प्रमुख प्रकार होते हैं, और दोनों का अपना महत्व है:

  • गोल बाती (Puff-Wick) – नियमित पूजा, इष्टदेव की आराधना के लिए इसे उत्तम माना जाता है। धन, समृद्धि और सुख-शांति में वृद्धि को दर्शाती है।
  • लंबी बाती (Thread-Wick) – विशेष अनुष्ठान, माता लक्ष्मी, पितरों की पूजा के लिए इसका प्रयोग अधिक होता है। जीवन में स्थिरता (Stability) और प्रगति (Progress) को दर्शाती है।

पुराणों में रुई को ‘महामाया’ (Cosmic Illusion) का भी प्रतीक माना गया है। हम जिस जीवन में हैं, वह एक माया है। जब यह रुई घी के साथ मिलकर जलती है, तो यह सिखाती है कि हमें इस माया (Worldly Attachments) से ऊपर उठकर ज्ञान (Divine Knowledge) की ओर बढ़ना है, जो दीपक की लौ है।

अगली बार जब आप पूजा में घी और रुई की बाती से दीपक जलाएंगे, तो इसे केवल एक क्रिया नहीं, बल्कि अपनी आत्मा के समर्पण (Devotion) का एक गहरा और पवित्र अनुष्ठान समझेंगे।

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