हम भारतीय संस्कृति के उस अनमोल खजाने को अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जो हमारे वेदों और पुराणों में छिपा है। आज हम ऐसे ही एक महामंत्र की बात करेंगे, जो सिर्फ एक पूजा-विधि नहीं, बल्कि जीवन के हर कष्ट और कामना का समाधान है – जिसका नाम है शतरुद्रीय।
क्या आप जानते हैं कि आपके दुःख, भय और यहां तक कि मृत्यु पर विजय पाने का मार्ग एक ही पाठ में समाहित है? जी हां, यही वो रहस्य है जिसे जानकर प्राचीन ऋषि भी अमरत्व (अमृत तत्त्व) की कामना करते थे।
क्या है शतरुद्रीय का गूढ़ अर्थ?
“शतरुद्रीय” दो शब्दों से मिलकर बना है: ‘शत’ (अर्थात सौ) और ‘रुद्र’ (अर्थात दुःखों का नाश करने वाले शिव)।
यह स्तुति शुक्ल यजुर्वेद संहिता के सोलहवें अध्याय से ली गई है और रुद्राष्टाध्यायी का हृदय कही जाती है। इसमें भगवान रुद्र के सौ से अधिक नामों से उन्हें नमस्कार किया गया है। हर नाम भगवान शिव के एक अलग स्वरूप, शक्ति और भाव को दर्शाता है।
शतरुद्री का शाब्दिक अर्थ है: “जिसमें सौ रुद्रों का वर्णन हो।”
असल में यह पाठ केवल सौ नामों का जाप नहीं है, बल्कि भगवान शिव के प्रचंड और कल्याणकारी दोनों स्वरूपों को प्रणाम करने की एक गहन प्रक्रिया है।
यह हमें सिखाता है कि जिस रुद्र को हम कभी संहारक समझते हैं, वे ही प्रकृति और पुरुष के रूप में आदिदेव, साकार ब्रह्म हैं।
शतरुद्रीय की महिमा – क्यों है यह सर्वश्रेष्ठ?
शतरुद्रीय को वेदों का सार माना गया है। इसकी महिमा इतनी अधिक है कि इसके पाठ को केवल किसी धार्मिक कर्मकांड तक सीमित नहीं रखा जा सकता।
1. अमरत्व का रहस्य (अमृत तत्त्व)
एक प्राचीन प्रसंग के अनुसार, जब याज्ञवल्क्य ऋषि से शिष्यों ने पूछा, “किसके जप से अमृत तत्त्व (अमरता) की प्राप्ति होती है?” तब ऋषि ने स्पष्ट उत्तर दिया – “शतरुद्रीय के जप से।”
इसका अर्थ यह नहीं कि आपको भौतिक अमरता मिलेगी, बल्कि यह है कि इसके पाठ से मनुष्य रोग, पाप, भय और अज्ञान से मुक्त होकर मृत्यु के भय पर विजय प्राप्त करता है और परमपद मोक्ष को पाता है।
2. संपूर्ण पापों का नाश
शास्त्रों में कहा गया है कि शतरुद्रीय का नित्य पाठ करने वाला व्यक्ति अग्नि से पूत, वायु से पूत और आत्मा से पूत हो जाता है। यह ब्रह्महत्या और सुरापान जैसे घोर पापों के दोषों से भी मुक्ति दिलाता है।
3. ऐहिक कामनाओं की पूर्ति
भले ही यह मोक्ष का मार्ग हो, पर शतरुद्रीय भौतिक जीवन की सभी इच्छाओं को भी पूरा करने की शक्ति रखता है: घर में शांति, धन-धान्य और सकारात्मक ऊर्जा का वास। रोग, कष्ट और व्याधियाँ शांत होती हैं। जीवन की बाधाएं और विरोधी शांत होते हैं। दीर्घायु और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
