।। आरती ।।
ओम जय कलाधारी हरे,
स्वामी जय पौणाहारी हरे
भगत जनों की नइया,
भव से पार करे।
ओ३म् जय…
बालक उम्र सुहानी,
नाम बाबा बालक नाथा।
अमर हुए शंकर से,
सुन कर अमर गाथा।
ओम जय कलाधारी हरे…
शीश पे बाल सुनहरी,
गल रूद्राक्षी माला
हाथ में झोली चिमटा,
आसन मृगशाला।
ओम जय कलाधारी हरे…
सुन्दर सेली सिंगी,
वेरागन सोहे
गो पालक रखवाला,
भगतन मन मोहे।
ओम जय कलाधारी हरे…
अंग भभूत रमाई,
मूरति प्रभू अंगी
भय भंजन दुःख नाशक,
भर्तरी के संगी।
ओम जय कलाधारी हरे…
रोट चढ़त रविवार को,
फल मिश्री मेवा
धूप दीप चन्दन से,
आनन्द सिद्ध देवा।
ओम जय कलाधारी हरे…
भगतन हित अवतार लियो,
स्वामी देख के कलिकाला।
दुष्ट दमन शत्रुघ्न,
भगत प्रतिपाला।
ओम जय कलाधारी हरे…
बाबा बालक नाथ जी की आरती,
जो नित गावे।
कहत है निर्मल तेरा, कहत है सत्गुरु मेरा,
सुख सम्पत्ति पावे।
ओम जय कलाधारी हरे…
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