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Chhath Puja 2024 – छठ पूजा विधि, छठ पूजा मुहूर्त (नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य, उषा अर्घ्य)

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इस साल छठ महापर्व 05 नवंबर 2024 से प्रारंभ हो रहा है। ‘नहाय-खाय’ के साथ यह चार दिवसीय पर्व 08 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न होगा। छठी मैया और सूर्य देव की आराधना का यह पर्व, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में विशेष रूप से मनाया जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, छठी मैया सृष्टि की रचयिता और प्रकृति की देवी हैं। माना जाता है कि उनकी पूजा से सुख-समृद्धि, शांति और संतान सुख की प्राप्ति होती है। छठी मैया को सूर्य देव की बहन और कार्तिकेय की पत्नी भी माना जाता है।

छठ पर्व में व्रत रखकर सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। इस पर्व के दौरान, श्रद्धालु नदियों या तालाबों में जाकर सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं। छठ पूजा का यह अद्भुत दृश्य विश्व प्रसिद्ध है।

छठ पूजा 2024 तिथियाँ (मुहूर्त)

  • नहाय खाय – 05 नवंबर 2023, शुक्रवार
    • सूर्योदय: 06:39 AM
    • सूर्यास्त: 05:41 PM
  • खरना – 06 नवंबर 2023, शनिवार
    • सूर्योदय: 06:39 AM
    • सूर्यास्त: 05:26 PM
  • संध्या अर्घ्य – 07 नवंबर 2023, रविवार
    • सूर्यास्त: 05:29 PM
  • उषा अर्घ्य – 08 नवंबर 2023, सोमवार
    • सूर्योदय: 06:37 AM

छठ पूजा की विधि

छठ पूजा में मंदिर में पूजा नहीं की जाती और ना ही घर की सफाई की जाती है। यह पूजा प्रकृति के साथ की जाती है। छठ पूजा की शुरुआत चतुर्थी से होती है। आइए, इसे आसान भाषा में समझते हैं:

  1. चतुर्थी: इस दिन पूजा करने वाले लोग स्नान करके, शुद्ध होकर भोजन करते हैं। इसे ‘नहाय खाय’ कहते हैं।
  2. पंचमी: इस दिन उपवास रखा जाता है। संध्या में लोग नदी या तालाब में स्नान करके सूर्य भगवान को अर्घ्य (पानी अर्पित) देते हैं और फिर बिना नमक का भोजन किया जाता है।
  3. षष्ठी: अगले दिन सुबह-सुबह स्नान करने के बाद संकल्प लिया जाता है। यह संकल्प सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए होता है। इसके बाद व्रती (जो उपवास रखते हैं) बिना अन्न और पानी के रहते हैं। शाम को नदी या तालाब जाकर अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
  4. अर्घ्य देने की विधि:
    • एक बांस के सूप में केला, फल, गन्ना और बिना नमक का प्रसाद रखकर इसे पीले कपड़े से ढक दिया जाता है।
    • इसके बाद दीया जलाकर सूप में रखा जाता है और सूर्य देव को हाथ जोड़कर तीन बार अर्घ्य दिया जाता है। छठ पूजा बहुत श्रद्धा और सादगी के साथ की जाती है।

नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य, उषा अर्घ्य का मतलब?

  • नहाय-खाय: छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इस दिन घर की पूरी सफाई की जाती है और शुद्ध शाकाहारी भोजन का सेवन किया जाता है। घर के अंदर और बाहर साफ-सफाई की जाती है, और खाने में सेंधा नमक का प्रयोग किया जाता है। इस दिन केवल एक समय भोजन किया जाता है और शाम को फलाहार का सेवन किया जाता है। नहाय-खाय के बाद नारंगी सिंदूर लगाकर छठ का प्रसाद बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। सूर्यदेव और छठी मैया को भोग अर्पित करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें। इसके बाद व्रती प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों में बांटते हैं। अगले दिन खरना की तैयारी की जाती है।
  • खरना: छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहा जाता है। इस दिन व्रती दिनभर निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी रोटी और फलों का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसे प्रसाद के रूप में घर के अन्य सदस्यों के साथ बांटा जाता है।
  • संध्या अर्घ्य: छठ का तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है और यह दिन विशेष होता है। कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर संध्या के समय सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है। बांस की टोकरी में ठेकुआ, चावल के लड्डू और अन्य फल रखकर पूजा का सूप सजाया जाता है। डूबते सूर्य को जल अर्पण कर अर्घ्य दिया जाता है और छठी मैया की आराधना की जाती है। रात में छठी माता के गीत गाए जाते हैं और व्रत कथा सुनाई जाती है। इस दिन भी व्रती पूरे दिन निराहार और निर्जला रहते हैं।
  • उदित सूर्य को अर्घ्य: चौथे दिन सुबह के समय उगते हुए सूर्य को नदी के घाट पर अर्घ्य दिया जाता है। पूजा समाप्ति के बाद व्रती कच्चे दूध का शरबत और थोड़ा प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करते हैं। इसी के साथ छठ महापर्व का समापन होता है।

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