अग्नि पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक प्रमुख पुराण है। इसे वैदिक साहित्य के हिस्से के रूप में माना जाता है और यह अग्निदेव के नाम पर आधारित है। यह पुराण कई धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक विषयों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करता है। अग्नि पुराण का पाठ हर हिंदू के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इसमें धर्म, विज्ञान, ज्योतिष, आयुर्वेद, वास्तुशास्त्र, और युद्धकला से संबंधित ज्ञान का संग्रह है।
अग्नि पुराण की रचना महर्षि वेदव्यास ने की थी। इसमें कुल 383 अध्याय हैं, जिनमें विविध प्रकार की कथाओं, उपदेशों और नियमों का समावेश है। इस पुराण में ब्रह्मांड की उत्पत्ति, विभिन्न देवताओं की कथाएँ, और धार्मिक अनुष्ठानों के विवरण दिए गए हैं। इसके अलावा, इसमें पौराणिक कथाओं के माध्यम से नैतिक और धार्मिक शिक्षाएँ भी दी गई हैं।
अग्नि पुराण के प्रमुख विषय
- अग्नि पुराण में धार्मिक कर्तव्यों, यज्ञों और पूजा विधियों का विस्तार से वर्णन किया गया है। इसमें विभिन्न व्रतों और त्योहारों के महत्व और उनके पालन की विधियों का भी उल्लेख है।
- इस पुराण में ज्योतिष के सिद्धांतों, ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव, और कुंडली बनाने की विधि पर विस्तृत चर्चा की गई है।
- अग्नि पुराण में आयुर्वेदिक चिकित्सा, विभिन्न बीमारियों के उपचार, और स्वस्थ जीवन के नियमों का वर्णन है।
- इसमें वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों, घर बनाने की विधियों, और विभिन्न दिशा-निर्देशों का वर्णन है जो जीवन को सुखमय बनाने में सहायक होते हैं।
- अग्नि पुराण में धनुर्वेद, शस्त्रविद्या और युद्ध के विभिन्न रणनीतियों का भी विस्तृत वर्णन है।