अजा एकादशी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को कहते हैं। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है और इसे बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अजा एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यता है कि अजा एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को शांति, समृद्धि, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
अजा एकादशी व्रत 2024 शुभ मुहूर्त
- अजा एकादशी बृहस्पतिवार, अगस्त 29, 2024 को
- एकादशी तिथि प्रारम्भ – अगस्त 29, 2024 को 03:49 AM बजे
- एकादशी तिथि समाप्त – अगस्त 30, 2024 को 04:07 AM बजे
अजा एकादशी पूजा विधि
- अजा एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद भगवान विष्णु का ध्यान करना चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए।
- पूजा से पहले घट स्थापना की जाती है, जिसमें घड़े पर लाल रंग का वस्त्र सजाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है।
- इसके बाद चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें और गंगाजल से चारों तरफ छिड़काव करें। फिर रोली का टीका लगाते हुए अक्षत अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान को पीले फूल अर्पित करें और अजा एकादशी व्रत कथा का पाठ करें।
- अजा एकादशी के दिन पीपल के पत्ते पर दूध और केसर से बनी मिठाई रखकर भगवान को अर्पित करें।
- इस दिन दान का भी विशेष महत्व बताया गया है। व्रतधारी पूरे दिन भगवान का ध्यान करें और शाम को आरती के बाद फलाहार करें।
- साथ ही विष्णु सहस्त्रनाम पाठ भी कर सकते हैं। फिर घी में थोड़ी हल्दी मिलाकर भगवान विष्णु की आरती करें।
- अगले दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद गरीब और जरूरतमंद को भोजन कराएं और फिर स्वयं व्रत का पारण करें
अजा एकादशी पूजा सामग्री
अजा एकादशी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- दीपक, धूपबत्ती, कपूर
- पुष्प (गुलाब, कमल, चमेली)
- नैवेद्य (फल, मिठाई, नारियल)
- पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, शक्कर)
- चंदन, रोली, अक्षत (चावल)
- तुलसी के पत्ते
- पान, सुपारी, लौंग, इलायची
- भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर
- चौकी, आसन
- गंगाजल, स्वच्छ जल
अजा एकादशी मंत्र
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः।
- ॐ नमो नारायणाय
- लक्ष्मी नारायण नमः
- गोविंद गोपाल गोपिजंवलभ श्याम
- हरि ओम
- विष्णु भगवान विष्णु भगवान
अजा एकादशी व्रत के लाभ
- अजा एकादशी व्रत रखने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
- यह व्रत मोक्ष का द्वार खोलता है।
- इस व्रत से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
- इस व्रत से रोगों का नाश होता है और आरोग्य प्राप्त होता है।
- इस व्रत से धन-दौलत और समृद्धि प्राप्त होती है।
एकादशी व्रत आहार विकल्प और नियम
एकादशी व्रत, भगवान विष्णु को समर्पित, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है। इस व्रत के दौरान, भक्त विभिन्न प्रकार के आहार विकल्पों का चयन कर सकते हैं, जो उनकी इच्छाशक्ति और शारीरिक क्षमता पर निर्भर करता है। धार्मिक ग्रंथों में चार प्रकार के एकादशी व्रत का उल्लेख मिलता है:
जलाहार
इस प्रकार के व्रत में, केवल जल का सेवन किया जाता है। यह सबसे कठिन व्रत माना जाता है और आमतौर पर निर्जला एकादशी के दिन किया जाता है। हालांकि, भक्त अपनी सुविधानुसार इसे अन्य एकादशियों पर भी कर सकते हैं।
क्षीरभोजी
इस व्रत में, दूध और दूध से बने उत्पादों का सेवन किया जाता है। क्षीर का अर्थ है ‘दूध’ और इसमें पौधों से प्राप्त दूधिया रस भी शामिल है। हालांकि, एकादशी के दौरान, क्षीरभोजी का अर्थ है सभी प्रकार के दूध उत्पादों का सेवन करना।
फलाहारी
इस व्रत में, केवल फल का सेवन किया जाता है। उच्च श्रेणी के फलों जैसे आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता आदि का ही सेवन करना चाहिए। पत्तेदार सब्जियों का सेवन नहीं करना चाहिए।
नक्तभोजी
इस व्रत में, सूर्यास्त से पहले एक बार भोजन ग्रहण किया जाता है। यह भोजन अन्न, अनाज, दालें, सेम, गेहूं, चावल आदि से नहीं बनना चाहिए, जो एकादशी व्रत में निषिद्ध हैं।
नक्तभोजी में आमतौर पर साबूदाना, सिंघाड़ा, शकरकन्दी, आलू, मूंगफली आदि का सेवन किया जाता है। कुछ लोग कुट्टू का आटा और सामक चावल भी खाते हैं। हालांकि, इन दोनों पदार्थों को एकादशी भोजन के रूप में वैध माना जाता है या नहीं, इस पर बहस होती रहती है क्योंकि इन्हें अर्ध-अन्न या छद्म अन्न माना जाता है। व्रत के दौरान इनका सेवन न करना ही उचित है।
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