Durga Ji

श्री भगवती स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित

Bhagwati Stotram Hindi With Meaning Lyrics

Durga JiStotram (स्तोत्र संग्रह)संस्कृत
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

।।महर्षि व्यास कृत श्री भगवती देवी स्तोत्र।।

जय भगवति देवि नमो वरदे,
जय पापविनाशिनि बहुफलदे ।।
जय शुम्भनिशुम्भ कपालधरे,
प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे ।।

अर्थात्— हे वरदायिनी देवि ! हे भगवति ! तुम्हारी जय हो । हे पापों को नष्ट करने वाली और अनन्त फल देने वाली देवि ! तुन्हारी जय हो । हे शुम्भ-निशुम्भ के मुण्डों को धारण करने वाली देवि ! तुम्हारी जय हो । हे मनुष्यों की पीड़ा हरने वाली देवि ! मैं माँ आपको प्रणाम करता हूँ ।

जय चन्द्रदिवाकर नेत्रधरे,
जय पावकभूषित वक्त्रवरे ।
जय भैरवदेहनिलीन परे,
जय अन्धकदैत्य विशोषकरे ।।

अर्थात्—हे सूर्य-चन्द्रमा रूपी नेत्रों को धारण करने वाली देवि माँ ! तुम्हारी सदा ही जय हो । हे अग्नि के समान देदीप्यमान मुख से शोभित होने वाली ! तुम्हारी जय हो । हे भैरव-शरीर में लीन रहने वाली और अन्धकासुर का शोषण करने वाली देवि ! तुम्हारी जय हो, जय हो देवी माँ ।

जय महिषविमर्दिनि शूलकरे,
जय लोकसमस्तक पापहरे ।
जय देवि पितामह विष्णुनते,
जय भास्कर शक्र शिरोऽवनते ।।

अर्थात्—हे महिषासुर का मर्दन करने वाली देवी, शूलधारिणी और लोक के समस्त पापों को दूर करने वाली भगवति ! तुम्हारी जय हो । ब्रह्मा, विष्णु, सूर्य और इन्द्र से नमस्कृत होने वाली हे देवि ! आपकी जय हो, जय हो ।

जय षण्मुख सायुध ईशनुते,
जय सागरगामिनि शम्भुनुते ।
जय दु:खदरिद्र विनाश करे,
जय पुत्रकलत्र विवृद्धि करे ।।

अर्थात्—सशस्त्र शंकर और कार्तिकेयजी के द्वारा वन्दित होने वाली देवि माँ ! आपकी जय हो । शिव के द्वारा प्रशंसित एवं सागर में मिलने वाली गंगारुपिणी देवि ! आपकी जय हो । दु:ख और दरिद्रता का नाश तथा संतान और कुल की वृद्धि करने वाली हे देवि ! आपकी जय हो, जय हो ।

जय देवि समस्त शरीर धरे,
जय नाकविदर्शिति दु:ख हरे ।
जय व्याधि विनाशिनि मोक्ष करे,
जय वांछितदायिनि सिद्धि वरे ।।

अर्थात्—हे देवि ! आपकी जय हो । आप समस्त शरीरों को धारण करने वाली, स्वर्ग लोक के दर्शन कराने वाली और दु:खहारिणी माता हो । हे व्याधिनाशिनी देवि ! आपकी जय हो । मोक्ष तुम्हारे करतलगत है । हे मनोवांछित फल देने वाली माँ, अष्ट सिद्धियों से सम्पन्न करने वाली देवि ! आपकी सदा ही जय हो ।

एतद् व्यासकृतं स्तोत्रं,
य: पठेन्नियत: शुचि: ।
गृहे वा शुद्ध भावेन,
प्रीता भगवती सदा ।।

अर्थात्—जो मनुष्य कहीं भी रह कर पवित्र भावना से नियम-पूर्वक इस व्यासकृत स्तोत्र का पाठ करता है, अथवा शुद्ध भाव से घर पर ही पाठ करता है, उसके ऊपर माँ भगवती सदा ही प्रसन्न रहती हैं ।

॥ इति महर्षि व्यासकृतं श्री भगवती स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

Read in More Languages:

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download HinduNidhi App
श्री भगवती स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित PDF

Download श्री भगवती स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित PDF

श्री भगवती स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App