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कितने गुरुवार व्रत रखें? जानिए व्रत की कथा और पूजा विधि, बृहस्पतिवार व्रत के फायदे

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बृहस्पतिवार का व्रत भगवान बृहस्पति को समर्पित है, जो ज्ञान, धन और बुद्धि के देवता हैं। यह व्रत करने से व्यक्ति को इन सभी गुणों की प्राप्ति होती है। बृहस्पतिवार व्रत की कई कथाएं प्रचलित हैं। इन कथाओं में भगवान बृहस्पति के भक्तों की भक्ति और उनके द्वारा प्राप्त फल का वर्णन होता है। इन कथाओं को सुनने से मन शांत होता है और भगवान के प्रति श्रद्धा बढ़ती है।

कोई भी व्यक्ति इस व्रत को रख सकता है। चाहे वह पुरुष हो या महिला, किसी भी जाति या धर्म का हो। बृहस्पतिवार का व्रत एक बहुत ही पवित्र व्रत है। इसे करने से व्यक्ति को कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। यदि आप भी इस व्रत को करना चाहते हैं, तो आप अपनी श्रद्धा और इच्छानुसार इसे रख सकते हैं।

कितने गुरुवार व्रत रखना शुभ होता है?

ज्योतिषियों के अनुसार, गुरुवार व्रत की शुरुआत किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से की जा सकती है, बस पौष महीने को छोड़कर। यह समय व्रत शुरू करने के लिए सबसे शुभ माना जाता है।

भगवान विष्णु और बृहस्पति देव की कृपा पाने के लिए लगातार 16 गुरुवार का व्रत रखना चाहिए। 17वें गुरुवार को व्रत का उद्यापन किया जाता है। महिलाएं मासिक धर्म के दौरान व्रत नहीं रख सकतीं। आप चाहें तो यह व्रत 1, 3, 5, 7 या 9 साल तक भी रख सकते हैं, या फिर आजीवन पालन कर सकते हैं।

बृहस्पति व्रत विधि

  • गुरुवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के कपड़े पहनें।
  • भगवान सूर्य, मां तुलसी और शालिग्राम भगवान को जल अर्पित करें।
  • मंदिर में भगवान विष्णु की पूजा करें और पूजा में पीली चीजों का इस्तेमाल करें जैसे पीले फूल, चने की दाल, पीली मिठाई, पीले चावल और हल्दी।
  • केले के पेड़ के तने की चने की दाल के साथ पूजा करें और हल्दी मिला जल चढ़ाएं।
  • पेड़ की जड़ों में चने की दाल और मुनक्के चढ़ाएं।
  • घी का दीपक जलाकर केले के पेड़ की आरती करें और वहीं बैठकर बृहस्पतिवार व्रत कथा का पाठ करें।
  • पूरे दिन उपवास रखें और सूर्य ढलने के बाद ही भोजन करें। भोजन में पीली चीजें खाएं और नमक का इस्तेमाल न करें।
  • प्रसाद के रूप में केले को दान करें, खुद न खाएं।
  • पूजा के बाद बृहस्पति देव की कथा सुनना जरूरी है, इससे व्रत पूरा माना जाता है।

बृहस्पतिवार व्रत के फायदे

गुरुवार का व्रत बहुत ही फलदायी माना जाता है। इस व्रत और कथा से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं और कुंडली में मौजूद बृहस्पति ग्रह के सारे दोष दूर होते हैं। अनुराधा नक्षत्र वाले गुरुवार से व्रत शुरू करके 7 गुरुवार तक उपवास करने से बृहस्पति ग्रह की सभी पीड़ाओं से मुक्ति मिलती है। इस व्रत से व्यक्ति को सुख, समृद्धि, बुद्धि और शक्ति का वरदान मिलता है। जिनका विवाह नहीं हो रहा, उनका विवाह जल्दी होता है, आर्थिक स्थिति में सुधार आता है और संतान की प्राप्ति होती है।

गुरुवार व्रत के लाभ

  • हिन्दू धर्म में हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है और गुरुवार का दिन भगवान विष्णु के लिए खास माना जाता है।
  • इस दिन व्रत रखने और विष्णु जी की पूजा करने से जीवन में सुख-शांति और धन-संपत्ति की वृद्धि होती है।
  • निःसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है और परिवार में खुशहाली आती है।
  • नियमित रूप से गुरुवार व्रत करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और बृहस्पति देव का आशीर्वाद मिलता है।

गुरुवार व्रत आरती

ॐ जय बृहस्पति देवा, जय बृहस्पति देवा।
छिन-छिन भोग लगाऊं, कदली फल मेवा।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।
जगतपिता जगदीश्वर, तुम सबके स्वामी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े।
प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

दीनदयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।
पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो।
विषय विकार मिटाओ, संतन सुखकारी।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

जो कोई आरती तेरी प्रेम सहित गावे।
जेष्टानंद बंद सो-सो निश्चय पावे।।

ॐ जय बृहस्पति देवा।।

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