भारतीय संस्कृति में ज्ञान (Knowledge), बुद्धि (Wisdom) और कला (Art) को सर्वोच्च स्थान दिया गया है, और इन सब की अधिष्ठात्री देवी हैं माँ सरस्वती। इन्हें ‘वीणावादिनी’, ‘शारदा’ और ‘हंसवाहिनी’ जैसे नामों से भी पुकारा जाता है। आमतौर पर, माँ सरस्वती की पूजा बसंत पंचमी (Basant Panchami) के दिन की जाती है, लेकिन शारदीय नवरात्रि के दौरान भी विशेष रूप से ‘दक्षिण सरस्वती पूजा’ का विधान है।
दक्षिणी भारत और पूर्वी भारत के कुछ हिस्सों में यह पूजा अत्यंत श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाती है। यह त्योहार ज्ञान, रचनात्मकता और अज्ञान के अंधकार को दूर करने का प्रतीक है। आइए, जानते हैं कि 2025 में यह पावन पर्व कब मनाया जाएगा, इसकी पूजन सामग्री क्या है और इसे कैसे विधि-विधान से संपन्न किया जाता है।
दक्षिण सरस्वती पूजा 2025 – तिथि और शुभ मुहूर्त (Date and Auspicious Time)
शरद नवरात्रि के दौरान माँ सरस्वती की पूजा चार दिनों तक चलती है, जिसकी शुरुआत सरस्वती आवाहन (Avahan) से होती है और समापन सरस्वती विसर्जन (Visarjan) पर होता है।
- सरस्वती आवाहन (सरस्वती पूजा का प्रथम दिन) – 29 सितंबर 2025 सोमवार (Monday)
- सरस्वती प्रधान पूजा (मुख्य दिन) – 30 सितंबर 2025 मंगलवार (Tuesday)
- सरस्वती बलिदान/दक्षिण सरस्वती पूजा – 1 अक्टूबर 2025 बुधवार (Wednesday)
- सरस्वती विसर्जन और विद्यारम्भम् – 2 अक्टूबर 2025 गुरुवार (Thursday)
- नोट – ‘दक्षिण सरस्वती पूजा’ मुख्य रूप से नवरात्रि की नवमी तिथि (1 अक्टूबर 2025) को ‘सरस्वती बलिदान’ के रूप में मनाई जाती है, जिसे कुछ क्षेत्रों में ‘आयुध पूजा’ भी कहते हैं। इस दिन पुस्तकों, वाद्य यंत्रों और औज़ारों (Tools) की पूजा का विशेष महत्व है।
दक्षिण सरस्वती पूजा का महत्व (Significance)
दक्षिण सरस्वती पूजा का विशेष महत्व है क्योंकि इस दिन माँ सरस्वती के साथ-साथ ज्ञान और कर्म से जुड़े सभी उपकरणों (Instruments) की भी पूजा की जाती है।
- विद्यार्थी (Students) इस दिन माँ सरस्वती से एकाग्रता, बुद्धि और विद्या में सफलता (Success) के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
- संगीतकार (Musicians), कलाकार और लेखक अपनी कला के उपकरणों (जैसे वाद्य यंत्र, कलम आदि) की पूजा करके रचनात्मक ऊर्जा (Creative Energy) को बढ़ाने की कामना करते हैं।
- इस पूजा को ‘आयुध पूजा’ भी कहा जाता है, जिसमें औज़ारों, शस्त्रों और व्यवसायों से जुड़ी वस्तुओं की पूजा की जाती है। यह श्रम और कर्म (Work) के प्रति सम्मान व्यक्त करने का एक तरीका है।
पूजन सामग्री की सूची (List of Puja Samagri)
दक्षिण सरस्वती पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री (Essentials) तैयार करनी चाहिए:
- माँ सरस्वती की मूर्ति या तस्वीर (पीले वस्त्र में सजी हुई)
- पीले/सफेद फूल (गेंदा, गुलाब या कमल), फूल माला
- पीला वस्त्र (चौकी पर बिछाने के लिए)
- कुमकुम, हल्दी, सफेद चंदन
- अक्षत (चावल)
- गंगाजल या शुद्ध जल
- घी का दीपक और अगरबत्ती/धूप
- फल (विशेषकर बेर), मिठाई (केसरिया हलवा, बेसन के लड्डू, या अन्य पीली/सफेद मिठाई)
- पान के पत्ते, सुपारी, इलायची
- कलश (जल से भरा हुआ)
- पुस्तकें, कलम, वाद्य यंत्र (Music instruments), या कोई अन्य उपकरण/औज़ार जिनकी पूजा करनी हो।
सरस्वती पूजा की विधि (Puja Method)
पूजा को स्वच्छ और सात्विक मन से करना चाहिए। यहाँ सरल पूजा विधि दी गई है:
- पूजा के मुख्य दिन (Navami – 1 अक्टूबर 2025) सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले या सफेद रंग के स्वच्छ वस्त्र (Clean clothes) धारण करें।
- पूजा स्थल को साफ़ करें और चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर माँ सरस्वती की मूर्ति/तस्वीर स्थापित करें।
- मूर्ति के पास अपनी पुस्तकें, कलम (Pen), वाद्य यंत्र या कार्य से जुड़े अन्य उपकरण श्रद्धापूर्वक रखें।
- सर्वप्रथम गणेश जी का ध्यान करें और कलश स्थापना करके उनका पूजन करें।
- माँ सरस्वती का आह्वान (Invocation) करें और उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं।
- उन्हें सफेद या पीले रंग के वस्त्र, चंदन, कुमकुम, हल्दी, अक्षत (चावल) और पुष्प माला अर्पित करें। घी का दीपक और धूप जलाएं।
- पुस्तकें और उपकरणों पर भी हल्दी-कुमकुम का तिलक लगाएं और फूल चढ़ाएं।
- माँ सरस्वती को फल और विशेष रूप से तैयार की गई पीली/सफेद मिठाई या केसरिया भात का भोग (Bhog) लगाएं।
- हाथ जोड़कर माँ सरस्वती के मंत्रों का जाप करें। आप ‘ॐ ऐं सरस्वत्यै नमः’ मंत्र का 108 बार जाप कर सकते हैं।
- सरस्वती वंदना और सरस्वती चालीसा का पाठ करें।
- अपनी विद्या, बुद्धि और कला में सफलता के लिए सच्चे मन से प्रार्थना (Heartfelt Prayer) करें।
- अंत में, कपूर जलाकर माँ सरस्वती की आरती करें और उपस्थित सभी लोगों में प्रसाद वितरित करें।
- अगले दिन (2 अक्टूबर 2025) पुस्तकों और उपकरणों को प्रणाम कर उनका विसर्जन (विसर्जन की परंपरा हो तो) करें, अन्यथा सामान्य तरीके से वापस अपने स्थान पर रख दें और अध्ययन/कार्य फिर से शुरू करें।
पूजा के महत्वपूर्ण नियम (Important Niyam and Do’s/Don’ts)
दक्षिण सरस्वती पूजा के दौरान कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है:
- पूजा के दिन पीले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें, क्योंकि ये रंग शुद्धता और ज्ञान का प्रतीक हैं।
- इस दिन वाणी पर नियंत्रण रखें और यथासंभव मधुर व सत्य (Truthful) बोलें। कुछ लोग मौन व्रत (Silent Fast) भी रखते हैं।
- पूजन के दिन (मुख्यतः नवमी और बलिदान के दिन) पुस्तकों का उपयोग केवल पूजा के लिए किया जाता है; उनका अध्ययन या पठन-पाठन नहीं किया जाता है।
- इस दिन लहसुन, प्याज और मांसाहार का सेवन पूरी तरह से वर्जित है। परिवार के सभी सदस्यों को सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए।
- घर में शांत और सकारात्मक (Positive) वातावरण बनाए रखें।
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