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दत्तात्रेय जयंती पर करें ये सरल पूजा विधि और मंत्र जाप – धन-समृद्धि और गुरु कृपा पाने का अचूक तरीका।

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मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि को भगवान दत्तात्रेय (Lord Dattatreya) का जन्मोत्सव मनाया जाता है, जिसे दत्तात्रेय जयंती के नाम से जाना जाता है। भगवान दत्तात्रेय को ब्रह्मा, विष्णु और महेश (Brahma, Vishnu, Mahesh) तीनों देवताओं का संयुक्त स्वरूप (Combined form) माना जाता है। इनमें गुरु और ईश्वर दोनों रूप समाहित हैं, इसलिए इन्हें ‘श्री गुरुदेव दत्त’ भी कहते हैं।

इस पावन दिन पर सरल पूजा विधि और विशेष मंत्र जाप से न केवल धन-समृद्धि (Wealth and Prosperity) मिलती है, बल्कि जीवन में सच्चा गुरु ज्ञान और उनकी अलौकिक कृपा (Divine Grace) भी प्राप्त होती है। यह जयंती उन साधकों के लिए एक स्वर्णिम अवसर है जो जीवन में अध्यात्म (Spirituality), भौतिक सुख (Material Comforts) और पितरों के आशीर्वाद (Blessings of Ancestors) की तलाश में हैं।

क्यों खास है दत्तात्रेय जयंती? (Significance of Dattatreya Jayanti)

भगवान दत्तात्रेय को योग, तंत्र और वेदों का ज्ञाता माना जाता है। उन्होंने 24 गुरुओं से शिक्षा ली थी, जिसमें पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु जैसे तत्व भी शामिल थे। इस दिन उनकी पूजा करने से निम्नलिखित लाभ होते हैं:

  • तीनों देवों का स्वरूप होने के कारण इनकी पूजा से एक साथ तीनों देवों की कृपा प्राप्त होती है, जिससे सभी संकटों (Problems) का नाश होता है।
  • भगवान दत्तात्रेय पितृ दोष (Ancestral Dosh) शांत करने वाले देवता माने जाते हैं। इस दिन किया गया मंत्र जाप पूर्वजों को शांति प्रदान करता है।
  • गुरु रूप में पूजा करने से विद्या, ज्ञान और सही-गलत का विवेक (Consciousness) मिलता है।
  • इनकी कृपा से दरिद्रता दूर होती है और घर में स्थायी लक्ष्मी (Permanent Lakshmi) का वास होता है।

दत्तात्रेय जयंती पर सरल और अचूक पूजा विधि

यह पूजा विधि अत्यंत सरल है, जिसे कोई भी भक्त पूरी श्रद्धा (Devotion) से कर सकता है:

  • जयंती के दिन सूर्योदय (Sunrise) से पूर्व उठकर पवित्र स्नान करें। घर के मंदिर या पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।
  • एक चौकी पर लाल या पीला वस्त्र बिछाकर भगवान दत्तात्रेय की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। (यदि मूर्ति उपलब्ध न हो तो भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं)।
  • हाथ में जल लेकर व्रत या पूजा का संकल्प (Vow) लें। भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं। सफेद या पीला चंदन, हल्दी और कुमकुम का तिलक लगाएं। पीले फूल, तुलसी के पत्ते और माला अर्पित करें। शुद्ध घी का दीपक और सुगंधित धूप जलाएं मिठाई, फल और विशेष रूप से खीर का भोग लगाएं, क्योंकि खीर उन्हें अत्यंत प्रिय है।
  • भगवान के सामने बैठ कर रुद्राक्ष की माला से नीचे दिए गए मंत्रों में से किसी एक का जाप करें। जाप कम से कम 108 बार या अपनी श्रद्धा अनुसार अधिक कर सकते हैं। अंत में भगवान दत्तात्रेय की आरती (Aarti) गाएं और हाथ जोड़कर अपनी मनोकामना (Wish) व्यक्त करें।
  • पूजा के बाद भोग को प्रसाद के रूप में वितरित (Distribute) करें। इस दिन वस्त्र, अन्न या कंबल का दान करना अत्यंत शुभकारी माना गया है। इससे आपकी हर इच्छा पूरी होती है।

धन-समृद्धि और गुरु कृपा के लिए विशेष मंत्र जाप

दत्तात्रेय जयंती पर इन विशेष मंत्रों का जाप करना सभी समस्याओं (All Problems) का समाधान माना जाता है:

  • महामंत्र (Mahamantra) (गुरु कृपा और मोक्ष के लिए) – यह मंत्र गुरु कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल और प्रभावी तरीका है।
  • मंत्र – दिगंबरा दिगंबरा श्रीपाद वल्लभ दिगंबरा।।
  • तांत्रोक्त मंत्र (Tantrokta Mantra) (धन, समृद्धि और संकट नाश के लिए) – यह मंत्र शीघ्र फलदायक (Quick Results) है और आर्थिक तंगी (Financial Crunch) को दूर करता है।
    मंत्र – ॐ द्रां दत्तात्रेयाय नम:।।
  • दत्त गायत्री मंत्र (Gayatri Mantra) (बुद्धि, विवेक और ज्ञान के लिए) – जो छात्र (Students) या ज्ञान की तलाश में हैं, उन्हें इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
  • मंत्र – ॐ दिगंबराय विद्महे योगीश्रारय् धीमही तन्नो दत: प्रचोदयात।।

दत्तात्रेय जयंती के दिन क्या करें? (What to do on this day?)

  • गुरुचरित्र पाठ – भगवान दत्तात्रेय के जीवन चरित्र पर आधारित ‘गुरुचरित्र’ (Gurucharitra) का पाठ करना या सुनना बेहद कल्याणकारी होता है।
  • अवधूत गीता पाठ – यदि संभव हो, तो ‘अवधूत गीता’ का पाठ करें। यह भगवान दत्तात्रेय के उपदेशों (Teachings) का सार है।
  • पीपल के पेड़ की पूजा – भगवान दत्तात्रेय का वास पीपल के पेड़ में माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ को जल दें और दीपक जलाएं।
  • कुत्तों को भोजन – भगवान के साथ हमेशा चार कुत्ते (Dogs) होते हैं, जो चार वेदों के प्रतीक हैं। इस दिन कुत्तों को भोजन कराने से विशेष पुण्य (Special virtue) प्राप्त होता है।

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