दिवाली हमारे सबसे बड़े त्योहारों में से एक है, और इसे कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है। इस साल दिवाली 31 अक्टूबर 2024 को है। इस दिन माँ लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा होती है। दिवाली पर मां लक्ष्मी और श्री गणेशजी की पूजा का विशेष महत्व है।
इस सामग्री सूची की मदद से आप दिवाली की पूजा की तैयारी कर सकते हैं। यह त्योहार पाँच दिनों तक चलता है, जिसमें धनतेरस से लेकर भाई दूज तक विभिन्न रस्में शामिल हैं। धनतेरस पर व्यापारी नए बहीखाते बनाते हैं, जबकि नरक चौदस पर सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है। अमावस्या का दिन यानी दिवाली का मुख्य दिन है, जब लक्ष्मी पूजन किया जाता है।
लक्ष्मी पूजन सामग्री (Diwali Puja Samagri List 2024)
- धूप बत्ती (अगरबत्ती)
- पाँच तरह के फल
- कमल का फूल
- चंदन
- कपूर
- केसर
- यज्ञोपवीत 5
- कुंकु, चावल, अबीर, गुलाल
- हल्दी
- सौभाग्य द्रव्य (मेहंदी, चूड़ी, काजल, पायल, बिछिया आदि)
- रुई
- रोली, सिंदूर
- सुपारी, पान के पत्ते
- पुष्प माला, कमलगट्टे
- धनिया, सप्तमृत्तिका, सप्तधान्य
- कुशा, दूर्वा
- पंच मेवा, गंगाजल
- शहद, शक्कर, घी, दही, दूध
- इलायची, लौंग, मौली, इत्र की शीशी
- तुलसी दल
- सिंहासन (चौकी, आसन)
- पंच पल्लव (बड़, गूलर, पीपल, आम, पाकर)
- औषधियाँ (जटामासी, शिलाजीत)
- लक्ष्मी जी की तस्वीर या मूर्ति, गणेश जी की मूर्ति, सरस्वती जी का चित्र
- चाँदी का सिक्का, लक्ष्मीजी व गणेशजी के वस्त्र, जल कलश, सफेद और लाल कपड़ा
- पंच रत्न (सामर्थ्य अनुसार), दीपक, बड़ा दीपक तेल सहित, नारियल, चावल, गेहूं
- लेखनी (कलम), बही-खाता, तुला (तराजू)
- गुलाब और लाल कमल के फूल, खील-बताशे, अर्घ्य पात्र
लक्ष्मी पूजन के मंत्र (Lakshmi Pooja Mantra)
- चंदन समर्पण मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः रक्तचन्दनं समर्पयामि।”
- दुर्वा समर्पण मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः दूर्वां समर्पयामि।”
- अक्षत समर्पण मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः अक्षतान समर्पयामि।”
- पुष्प माला समर्पण मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः पुष्पमालां समर्पयामि।”
- आभूषण समर्पण मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः आभूषण समर्पयामि।”
- वस्त्र समर्पण मंत्र: “ॐ उपैतु मां देवसुखः कीर्तिश्च मणिना सह।”
- घी स्नान मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः घृतस्नानं समर्पयामि।”
- जल स्नान मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः स्नानं समर्पयामि।”
- आसन समर्पण मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः आसनं समर्पयामि।”
- आवाहन मंत्र: “ॐ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम्।”
दीपावली पूजन विधि (Diwali Puja Vidhi)
- पहले पूजा स्थल को साफ करें और उस पर हल्दी और आटे से चौक बनाएं।
- लकड़ी की चौकी पर लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की प्रतिमाएं रखें।
- जलपात्र से सभी मूर्तियों पर जल छिड़कें और पूजा स्थल को पवित्र करें।
- हाथ में जल, चावल, फूल और एक सिक्का लेकर पूजा का संकल्प करें।
- सबसे पहले गणेश और गौरी पूजन करें।
- इसके बाद कलश और नवग्रहों की पूजा करें।
- लक्ष्मी सूक्त, कनकधारा स्तोत्र पाठ और आरती करें।
- माँ लक्ष्मी के सामने दीप जलाएं और अंत में पूजा समाप्ति के बाद क्षमा-प्रार्थना करें।
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