स्वामी रामभद्राचार्य जी द्वारा रचित ‘हनुमान चालीसा पाठ’ एक अनूठा और शक्तिशाली पाठ है। यह हनुमान जी की महिमा का गुणगान करता है और भक्तों को उनकी कृपा प्राप्त करने का मार्ग दिखाता है। इस पाठ की विशेषता यह है कि यह हनुमान चालीसा के प्रत्येक पद के गूढ़ अर्थ को सरल भाषा में समझाता है, जिससे भक्तजन पाठ के वास्तविक लाभ को समझ पाते हैं।
‘रामभद्राचार्य हनुमान चालीसा पाठ’ का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है, भय दूर होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह पाठ न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है, बल्कि शारीरिक और मानसिक कष्टों से भी मुक्ति दिलाता है।
|| हनुमान चालीसा पाठ रामभद्राचार्य (Hanuman Chalisa Rambhadracharya PDF) ||
॥ दोहा ॥
श्री गुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।।
॥ चौपाई ॥
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि–पुत्र पवनसुत नामा।।
महावीर विक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन विराज सुवेसा।
कानन कुण्डल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै।
काँधे मूँज जनेऊ साजै।
‘शंकर स्वयं केसरी नंदन’।
तेज प्रताप महा जगबन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
विकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र जी के काज संवारे।।
लाय संजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो यश गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिक्पाल जहां ते।
कवि कोविद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राजपद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र विभीषन माना।
लंकेश्वर भये सब जग जाना।।
जुग सहस्र योजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डरना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत–पिशाच निकट नहिं आवै।
महावीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन-क्रम-वचन ध्यान जो लावै।।
‘सब पर राम राय सिर ताजा‘।
तिनके काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
तासो अमित जीवन फल पावे।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु सन्त के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता।
अस वर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
‘ सादर हो रघुपति के दासा ‘।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख ‘बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबरपुर जाई।
जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेई सर्व सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
‘यह सत बार पाठ कर जोई’ l
छूटहि बंदि महासुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय महँ डेरा।।
॥ दोहा ॥
पवन तनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप।।
॥ जय-घोष ॥
बोलो सियावर रामचंद्र की जय
बोलो पवनसुत हनुमान की जय
बोल बजरंगबली की जय।
पवनपुत्र हनुमान की जय॥
|| रामभद्राचार्य हनुमान चालीसा पाठ की विधि ||
- सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पाठ शुरू करने से पहले भगवान राम, माता सीता और हनुमान जी का ध्यान करें।
- हनुमान जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और उनके समक्ष दीपक जलाएं।
- हनुमान जी को पुष्प, धूप, और प्रसाद अर्पित करें।
- रामभद्राचार्य जी द्वारा रचित हनुमान चालीसा पाठ का विधि-विधान से पाठ करें। पाठ के दौरान मन को शांत रखें और एकाग्रता बनाए रखें।
- पाठ समाप्ति के बाद हनुमान जी की आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें।
|| रामभद्राचार्य हनुमान चालीसा पाठ के लाभ ||
- यह पाठ मन को शांत करता है और तनाव को दूर करने में मदद करता है।
- हनुमान जी की कृपा से सभी प्रकार के भय और नकारात्मकता दूर होती है।
- इस पाठ से घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
- नियमित पाठ करने से शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- यह पाठ आध्यात्मिक प्रगति में सहायक है और व्यक्ति को मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।
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