हनुमान जी की महिमा अपरंपार है। देश के हर कोने में ‘बजरंगबली’ के भक्त मिल जाएंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि उत्तर भारत और दक्षिण भारत (विशेषकर तमिलनाडु) में हनुमान जयंती मनाने की परंपराएं और तिथियां बिल्कुल अलग हैं?
अक्सर लोग इस बात को लेकर उलझन में रहते हैं कि एक ही देवता का जन्मोत्सव अलग-अलग समय पर क्यों मनाया जाता है। आइए विस्तार से समझते हैं उत्तर और दक्षिण भारत की हनुमान जयंती के बीच का अंतर और तमिल ‘हनुमथ जयंती’ का विशेष महत्व।
उत्तर बनाम दक्षिण – तिथियों का बड़ा अंतर
भारत के उत्तरी और मध्य भागों में हनुमान जयंती मुख्य रूप से चैत्र मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। भक्तों का मानना है कि इसी दिन केसरी नंदन ने पृथ्वी पर अवतार लिया था। इसके विपरीत, दक्षिण भारत में हनुमान जयंती की तिथियां अलग-अलग राज्यों के अनुसार बदल जाती हैं:
- कर्नाटक और आंध्र प्रदेश – यहाँ मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को ‘हनुमान व्रत’ के रूप में मनाया जाता है।
- तमिलनाडु – यहाँ हनुमान जयंती ‘मार्गशीर्ष अमावस्या’ को मनाई जाती है, जिसे ‘हनुमथ जयंती’ कहा जाता है।
ऐसा क्यों है?
इसका मुख्य कारण क्षेत्रीय कैलेंडर (चंद्र बनाम सौर कैलेंडर) और स्थानीय पौराणिक कथाओं का प्रभाव है। उत्तर भारत में जहाँ चंद्र मास का पालन किया जाता है, वहीं दक्षिण में सौर गणना और नक्षत्रों को अधिक महत्व दिया जाता है।
तमिल ‘हनुमथ जयंती’ की विशेषताएं
तमिलनाडु में हनुमान जयंती का त्योहार बहुत ही अनोखे और भक्तिपूर्ण तरीके से मनाया जाता है। यहाँ इसे ‘हनुमथ जयंती’ (Hanumath Jayanthi) कहा जाता है।
- मूल नक्षत्र का महत्व – तमिल परंपरा के अनुसार, भगवान हनुमान का जन्म मार्गशीर्ष माह के मूल नक्षत्र (Moola Nakshatra) में हुआ था। यह तिथि आमतौर पर अंग्रेजी कैलेंडर के दिसंबर या जनवरी महीने में आती है।
- ‘वडई माला’ (Vada Malai) का भोग – उत्तर भारत में हनुमान जी को बूंदी के लड्डू या सिंदूर चढ़ाने की परंपरा है, लेकिन तमिलनाडु में उन्हें ‘वडई माला’ (दाल के बड़े की माला) अर्पित की जाती है। माना जाता है कि राहु के दोषों को दूर करने के लिए हनुमान जी को उड़द की दाल से बने वड़ों की माला चढ़ाई जाती है।
- मक्खन का लेप (Vennai Alankaram) – तमिल मंदिरों में हनुमान जी की मूर्ति को ताजे मक्खन से लेपा जाता है। इसे ‘वेन्नई अलंकारम’ कहते हैं। भक्तों का विश्वास है कि रावण से युद्ध के दौरान हनुमान जी के शरीर पर जो चोटें आई थीं, मक्खन उन्हें शीतलता प्रदान करता है।
क्या है पौराणिक आधार?
विद्वानों का मत है कि हनुमान जी अमर (चिरंजीवी) हैं, इसलिए उनके जीवन की अलग-अलग घटनाओं को अलग-अलग क्षेत्रों में जयंती के रूप में मनाया जाता है। उत्तर भारत जहाँ उनके प्राकट्य दिवस (जन्म) को प्रधानता देता है, वहीं दक्षिण भारत में उनकी विजय और भक्ति के विशेष क्षणों को उत्सव के रूप में मनाया जाता है।
- तिथि – उत्तर भारतीय हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा (मार्च/अप्रैल) – तमिल हनुमथ जयंती मार्गशीर्ष अमावस्या (दिसंबर/जनवरी)
- मुख्य भोग – उत्तर भारतीय हनुमान जयंती लड्डू, चूरमा, – तमिल हनुमथ जयंती सिंदूर वडई माला, मक्खन, फल
- मान्यता – उत्तर भारतीय हनुमान जयंती जन्म दिवस का उत्सव – तमिल हनुमथ जयंती नक्षत्र आधारित जन्मोत्सव
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