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कन्या संक्रान्ति 2025 – सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश, जानें शुभ मुहूर्त, महत्व और विशेष उपाय

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भारतीय ज्योतिष और पंचांग के अनुसार, हर महीने सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे संक्रान्ति (Sankranti) कहा जाता है। इन सभी संक्रान्तियों में कन्या संक्रान्ति का विशेष महत्व होता है। यह वह समय है जब ग्रहों के राजा सूर्य देव सिंह राशि से निकलकर अपनी मित्र राशि कन्या में प्रवेश करते हैं। इस साल, कन्या संक्रान्ति 2025 में एक विशेष योग (auspicious combination) लेकर आ रही है।

आइए, इस ब्लॉग में हम विस्तार से जानते हैं कि कन्या संक्रान्ति 2025 कब है, इसका धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व क्या है, इस दिन क्या करना चाहिए और किन बातों से बचना चाहिए।

कन्या संक्रान्ति 2025 – तिथि और शुभ मुहूर्त (Date and Auspicious Time)

कन्या संक्रान्ति का पर्व हर साल सितंबर महीने में पड़ता है। इस वर्ष, सूर्य का कन्या राशि में गोचर (transit) 17 सितंबर 2025, बुधवार को होगा।

  • पुण्यकाल मुहूर्त (Punya Kaal Muhurta): 06:07 AM बजे से दोपहर 12:15 PM बजे तक
  • महापुण्यकाल मुहूर्त (Maha Punya Kaal Muhurta): 06:07 AM बजे से 08:10 AM बजे तक
  • कन्या संक्रान्ति का क्षण (Kanya Sankranti Moment): 01:55 AM बजे

यह मुहूर्त दान-पुण्य, स्नान और अन्य धार्मिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दौरान किए गए कार्य कई गुना फलदायी होते हैं।

कन्या संक्रान्ति का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व (Religious and Astrological Significance)

धार्मिक महत्व

कन्या संक्रान्ति का दिन भगवान सूर्य देव की पूजा के लिए समर्पित होता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने, सूर्य को अर्घ्य देने (offering water to Sun God) और जरूरतमंदों को दान देने का विधान है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-शांति आती है। यह दिन पितरों (ancestors) की आत्मा की शांति के लिए तर्पण और पिंडदान करने का भी शुभ समय होता है।

ज्योतिषीय महत्व

सूर्य का कन्या राशि में प्रवेश एक महत्वपूर्ण ज्योतिषीय घटना है। कन्या राशि बुध ग्रह द्वारा शासित होती है। बुध बुद्धि, व्यापार, संचार और विश्लेषण का कारक ग्रह है। जब सूर्य (जो ऊर्जा और आत्मा का प्रतिनिधित्व करते हैं) बुध की राशि में आते हैं, तो यह कई राशि वालों के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के प्रभाव ला सकता है।

  • सकारात्मक प्रभाव – जिन लोगों की कुंडली में सूर्य और बुध की स्थिति मजबूत है, उन्हें व्यापार, शिक्षा और करियर में सफलता मिल सकती है। इस गोचर (transit) के दौरान नए विचार और रचनात्मकता (creativity) बढ़ सकती है।
  • नकारात्मक प्रभाव – कुछ राशियों के जातकों को स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों या कार्यक्षेत्र में कुछ बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है।

कन्या संक्रान्ति पर क्या करें? (What to Do on Kanya Sankranti?)

यह दिन विशेष धार्मिक अनुष्ठान (religious rituals) और कार्यों के लिए बहुत शुभ होता है।

  • इस दिन किसी पवित्र नदी (जैसे गंगा, यमुना) या सरोवर में स्नान करें। यदि यह संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
  • स्नान के बाद तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें लाल फूल, रोली और अक्षत (चावल) डालकर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दें। इस दौरान “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र का जाप करें।
  • इस दिन दान का विशेष महत्व है। गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज, वस्त्र, तिल, गुड़ या दक्षिणा का दान करें। गायों को हरा चारा खिलाना भी शुभ माना जाता है।
  • यह समय पितृ पक्ष की शुरुआत का भी होता है। अपने पितरों की शांति के लिए तर्पण और श्राद्ध (rituals for ancestors) करें।
  • इस दिन प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन न करें। केवल सात्विक (pure vegetarian) भोजन करें।

कन्या संक्रान्ति पर क्या न करें? (What Not to Do on Kanya Sankranti?)

कुछ बातें हैं जिनसे इस दिन बचना चाहिए ताकि नकारात्मक ऊर्जा से बचा जा सके।

  • इस दिन किसी के बारे में बुरा न सोचें और न ही किसी से वाद-विवाद (argument) करें।
  • प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन करने से बचें।
  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संक्रान्ति के दिन बाल और नाखून काटना शुभ नहीं माना जाता है।
  • किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें, विशेषकर मदिरा (alcohol) से।
  • बुजुर्गों, गुरुओं और महिलाओं का अनादर न करें।

विशेष उपाय (Special Remedies) जो लाएंगे सुख-समृद्धि

  • जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, वे सूर्य स्तोत्र का पाठ करें और आदित्य हृदय स्तोत्र का जाप करें।
  • इस दिन गरीबों को भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है और धन-धान्य में वृद्धि होती है।
  • गायत्री मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति मिलती है और ऊर्जा का स्तर बढ़ता है।

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