हर साल फाल्गुन माह में लक्ष्मी जयंती का पर्व बड़े ही श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करने से भक्तों को देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है और उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही, जीवन में सुख-समृद्धि और सौभाग्य की वृद्धि होती है। आइए जानते हैं कि इस वर्ष लक्ष्मी जयंती कब मनाई जाएगी और इसका धार्मिक महत्व क्या है।
लक्ष्मी जयंती का महत्व
हिंदू धर्म में मां लक्ष्मी को धन, ऐश्वर्य और समृद्धि की देवी माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जिन व्यक्तियों पर मां लक्ष्मी की कृपा होती है, उन्हें कभी भी आर्थिक तंगी या दरिद्रता का सामना नहीं करना पड़ता। यही कारण है कि फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर आने वाली लक्ष्मी जयंती को विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना गया है। इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।
लक्ष्मी जयंती 2025 शुभ मुहूर्त
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 13 मार्च 2025, सुबह 10:35 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 14 मार्च 2025, दोपहर 12:23 बजे
- लक्ष्मी जयंती पर्व: 14 मार्च 2025 (शुक्रवार)
चूंकि हिंदू पंचांग के अनुसार किसी भी व्रत और पर्व को उदयातिथि के आधार पर मनाया जाता है, इसलिए लक्ष्मी जयंती इस वर्ष होली के दिन, 14 मार्च को मनाई जाएगी।
क्यों मनाई जाती है लक्ष्मी जयंती?
लक्ष्मी जयंती को मां लक्ष्मी के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान फाल्गुन माह की पूर्णिमा तिथि पर ही माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इस कारण इस दिन को देवी लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्ति का शुभ अवसर माना जाता है।
लक्ष्मी जयंती के विशेष अनुष्ठान
इस पावन अवसर पर भक्तगण विशेष रूप से लक्ष्मी पूजन और हवन का आयोजन करते हैं। कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान इस प्रकार हैं:
- घर में धन-समृद्धि और सुख-शांति के लिए देवी लक्ष्मी के नाम से हवन किया जाता है।
- मां लक्ष्मी की विशेष कृपा पाने के लिए श्री सूक्त का पाठ किया जाता है।
- देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए हवन में शहद में डूबे कमल पुष्प की आहुति दी जाती है।
- इस दिन घर के हर कोने में दीप जलाने से नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
लक्ष्मी जयंती पर जपें ये मंत्र
- लक्ष्मी मूल मंत्र – ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नमः।।
- कुबेर अष्टलक्ष्मी मंत्र – ॐ ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं कुबेराय अष्ट-लक्ष्मी मम गृहे धनं पुरय पुरय नमः॥
- लक्ष्मी गायत्री मंत्र – ॐ महालक्ष्म्यै विद्महे विष्णुप्रियायै धीमहि। तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ||
लक्ष्मी जयंती का फल
जो भी साधक श्रद्धा और विश्वास के साथ इस दिन मां लक्ष्मी की उपासना करता है, उसके जीवन में कभी भी धन और ऐश्वर्य की कमी नहीं होती। इस दिन दान-पुण्य करने से व्यक्ति के पाप नष्ट होते हैं और घर में स्थायी रूप से लक्ष्मी का वास होता है।
इस लक्ष्मी जयंती पर मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए उपरोक्त अनुष्ठानों को अपनाएं और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।
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