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जानिए भगवान शिव के अनजाने नाम और उनका महत्व – सावन मास 2025

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सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस महीने में भक्त भगवान शिव की पूजा, व्रत और ध्यान करते हैं। भगवान शिव को “शिव”, “महादेव”, “त्रिनेत्र”, “नीलकंठ” आदि अनेक नामों से जाना जाता है।

सावन मास हिन्दू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है। यह समय भगवान शिव की आराधना और उपासना का होता है। इस माह में शिव भक्त उपवास रखते हैं, जलाभिषेक करते हैं और शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान शिव के 1000 से भी अधिक नाम हैं? इनमें से कुछ नाम तो प्रसिद्ध हैं, लेकिन कुछ नाम कम ही लोगों को ज्ञात हैं।

सावन मास में शिव पूजा का महत्व

सावन मास में भगवान शिव की पूजा का विशेष महत्व है। इस महीने में किए गए उपवास और पूजा-अर्चना से भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। कहा जाता है कि इस समय भगवान शिव पृथ्वी पर अधिक सक्रिय रहते हैं और अपने भक्तों की प्रार्थनाओं को शीघ्र ही सुनते हैं।

इस सावन मास 2025 में भगवान शिव के इन अनजाने नामों का स्मरण करते हुए उनकी आराधना करें और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुखमय बनाएं। शिवजी की कृपा से सभी प्रकार के कष्टों और दुखों का नाश होता है और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है।

भगवान शिव के अनजाने नाम और उनका महत्व

भगवान शिव, जिन्हें भोलेनाथ, महादेव, पशुपति आदि नामों से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में सबसे पूजनीय देवताओं में से एक हैं।

प्रमुख नामों और उनके अर्थों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है

  • शिव: “कल्याणकारी” और “शुभ” का अर्थ है।
  • शम्भु: “आनंद देने वाले” और “शांति प्रदान करने वाले” का अर्थ है।
  • नीलकंठ: “नीला कंठ” वाला, जो हलाहल विष पीने से हुआ था।
  • महेश्वर: “ब्रह्मांड के स्वामी” का अर्थ है।
  • नटराज: “नृत्य के देवता” का अर्थ है।
  • पशुपति: “पशुओं के स्वामी” का अर्थ है, जो सभी जीवों के रक्षक हैं।
  • मृत्युंजय: “मृत्यु पर विजय प्राप्त करने वाला” का अर्थ है।
  • त्रिनेत्र: “तीन नेत्र” वाला, जो ज्ञान, कर्म और इच्छा का प्रतीक हैं।
  • पंचवक्त्र: “पांच मुख” वाला, जो पांच तत्वों का प्रतीक हैं।
  • कृत्तिवासा: “हाथी के चर्म” धारण करने वाले का अर्थ है।
  • शितिकंठ: “नीला कंठ” वाला, जो हलाहल विष पीने से हुआ था।
  • खंडपरशु: “खंडित परशु” वाला, जो दक्ष यज्ञ के समय भगवान विष्णु के परशु का टुकड़ा करने के बाद प्राप्त हुआ था।
  • प्रमथाधिव: “प्रमथों (शिव के अनुचरों) के स्वामी” का अर्थ है।
  • गंगाधर:गंगा नदी” को धारण करने वाले का अर्थ है।
  • रुद्र: “विनाशकारी” का अर्थ है, जो बुराई का नाश करते हैं।
  • विष्णु: “संरक्षक” का अर्थ है, जो ब्रह्मांड की रक्षा करते हैं।
  • पितामह: “ब्रह्मा” का एक नाम, जो सृष्टि के देवता हैं।
  • संसार वैद्य: “जग के डॉक्टर” का अर्थ है, जो सभी के रोगों का नाश करते हैं।

इन नामों के अलावा, भगवान शिव के अनेक अन्य नाम भी हैं, जिनमें से प्रत्येक उनकी शक्ति और गुणों का एक अलग पहलू दर्शाता है।

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग भारत में स्थित हैं, जिनकी पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। इनमें सोमनाथ, ओंकारेश्वर, महाकालेश्वर, केदारनाथ, भीमशंकर, विश्वनाथ, त्र्यंबकेश्वर, वैद्यनाथ, नागेश्वर, रामेश्वरम और घुश्मेश्वर शामिल हैं।

भगवान शिव और सृष्टि

हिंदू धर्म में, भगवान शिव को सृष्टि के रचयिता, विनाशक और रक्षक के रूप में देखा जाता है। वे ब्रह्मा और विष्णु के साथ मिलकर त्रिमूर्ति का निर्माण करते हैं। भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हिंदू धर्म में एक पवित्र और आदर्श विवाह माना जाता है।

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