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मिथिला माधुरी (Mithila Madhuri)

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मिथिला माधुरी पुस्तक भारतीय संस्कृति के गौरवशाली अंश, मिथिला की महान परंपराओं, साहित्य, और धार्मिक महत्व को दर्शाने वाला एक अनुपम ग्रंथ है। इसके लेखक श्री रामहर्षण दास जी, एक प्रसिद्ध संत, विद्वान, और मिथिला परंपरा के गहरे जानकार हैं। इस पुस्तक में मिथिला की सांस्कृतिक धरोहर, रामायणकालीन संदर्भ, और वहां की धार्मिक व साहित्यिक विरासत को गहराई से प्रस्तुत किया गया है।

मिथिला माधुरी पुस्तक की विशेषताएँ

  • पुस्तक में मिथिला के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व का विस्तार से वर्णन है। इसमें जनकपुर, राजा जनक की पवित्र भूमि, और मां सीता के जीवन की घटनाओं को विशेष रूप से उकेरा गया है।
  • “मिथिला माधुरी” में मैथिली भाषा, साहित्य, और वहां की परंपराओं को बड़े ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया गया है। यह ग्रंथ मिथिला की सांस्कृतिक विविधता को समझने के लिए एक सशक्त माध्यम है।
  • श्री रामहर्षण दास जी ने इस पुस्तक में मिथिला के धार्मिक अनुष्ठानों, त्योहारों, और आध्यात्मिक परंपराओं का वर्णन किया है। यह पाठकों को धर्म और अध्यात्म की गहराई से परिचित कराता है।
  • पुस्तक की भाषा सरल और काव्यात्मक है, जो पाठकों को सीधे उनके हृदय से जोड़ती है। यह पढ़ने वालों को न केवल ज्ञान प्रदान करती है, बल्कि भावनात्मक रूप से भी प्रेरित करती है।

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