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ओणम 2025 कब है? जानिए तिथि, पूजन विधि, कथा और ओणसद्या की परंपरा

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ओणम, केरल का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार, अपनी समृद्ध संस्कृति, पारंपरिक उत्साह और भव्यता के लिए जाना जाता है। यह त्योहार फसल, समृद्धि और पौराणिक राजा महाबली के घर वापसी का प्रतीक है। हर साल, यह पर्व मलयालम कैलेंडर के चिंगम महीने में आता है, और 2025 में भी यह अपनी पूरी शान के साथ मनाया जाएगा। तो, आइए जानते हैं ओणम 2025 की विस्तृत जानकारी, जिसमें इसकी तिथि, पूजन विधि, इससे जुड़ी पौराणिक कथा और ओणसद्या की अनूठी परंपरा शामिल है।

ओणम 2025 – महत्वपूर्ण तिथियाँ

ओणम का त्योहार दस दिनों तक चलता है, जिसमें प्रत्येक दिन का अपना महत्व होता है। मुख्य ओणम उत्सव, जिसे ‘थिरुवोनम’ के नाम से जाना जाता है, सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है।

  • 2025 में थिरुवोनम (मुख्य ओणम): शुक्रवार, 5 सितंबर 2025
  • ओणम उत्सव की शुरुआत (अथम): मंगलवार, 26 अगस्त 2025
  • ओणम उत्सव का समापन (अनियम): शनिवार, 06 सितंबर 2025

क्यों है थिरुवोनम खास?

थिरुवोनम वह दिन है जब माना जाता है कि राजा महाबली अपनी प्रजा से मिलने पाताल लोक से पृथ्वी पर आते हैं। इस दिन घरों को भव्य रूप से सजाया जाता है, विशेष पकवान बनाए जाते हैं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

ओणम पूजन विधि – कैसे करें इस पवित्र पर्व को सेलिब्रेट?

ओणम केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि एक भावना है जो केरल की संस्कृति में गहराई से समाई हुई है। इसकी पूजन विधि अत्यंत सरल और भक्तिपूर्ण होती है:

  • अथम से शुरुआत (फूलों के कालीन) – ओणम उत्सव की शुरुआत अथम (पहला दिन) से होती है। इस दिन से घरों के सामने ‘अथम पूकलम’ या ‘ओणम पूकलम’ बनाना शुरू किया जाता है। यह ताजे फूलों से बनी रंग-बिरंगी आकर्षक रंगोली होती है, जिसे प्रतिदिन बड़ा किया जाता है और नए फूलों से सजाया जाता है। यह राजा महाबली के स्वागत का प्रतीक है।
  • थिरुवोनम पर विशेष पूजा – थिरुवोनम के दिन, लोग सुबह जल्दी उठकर स्नान करते हैं और नए वस्त्र धारण करते हैं। घर में ‘थ्रिक्काकरप्पन’ (मिट्टी से बनी राजा महाबली की प्रतिमा) स्थापित की जाती है और उसकी पूजा की जाती है। इस दिन घर में दीये जलाए जाते हैं और प्रार्थनाएँ की जाती हैं।
  • पारंपरिक खेलों और कला का प्रदर्शन – ओणम के दौरान विभिन्न पारंपरिक खेल, जैसे ‘वल्लम कलि’ (नाव दौड़), ‘पुलीकलि’ (बाघ नृत्य), ‘कैकॉटिकलि’ (एक प्रकार का नृत्य) और ‘ओनाथाप्पन’ (एक प्रकार का खेल) आयोजित किए जाते हैं। ये खेल त्योहार के उल्लास को बढ़ाते हैं।
  • पारंपरिक वेशभूषा – पुरुष आमतौर पर ‘मुंडु’ (पारंपरिक धोती) और शर्ट पहनते हैं, जबकि महिलाएँ ‘केरल साड़ी’ या ‘सेट्टू मुंडु’ (पारंपरिक दो टुकड़ों वाली साड़ी) पहनती हैं।

ओणम से जुड़ी पौराणिक कथा – राजा महाबली की वापसी

ओणम का उत्सव राजा महाबली की वापसी की पौराणिक कथा से जुड़ा है।

कथा के अनुसार – प्राचीन काल में, राजा महाबली एक अत्यंत शक्तिशाली, उदार और न्यायप्रिय असुर राजा थे। उनके शासनकाल में केरल में सुख-समृद्धि थी और सभी लोग आनंदमय जीवन व्यतीत करते थे। उनकी बढ़ती हुई शक्ति से देवता भी चिंतित हो गए।
भगवान विष्णु ने वामन (एक छोटे ब्राह्मण लड़के) का रूप धारण किया और राजा महाबली के पास आए। वामन ने महाबली से तीन कदम भूमि दान में माँगी। राजा महाबली, अपनी उदारता के लिए जाने जाते थे, उन्होंने तुरंत वामन की इच्छा पूरी करने की स्वीकृति दे दी।

जैसे ही राजा ने दान की स्वीकृति दी, वामन ने अपना विराट रूप धारण कर लिया। अपने पहले कदम में, उन्होंने पूरी पृथ्वी को माप लिया। दूसरे कदम में, उन्होंने स्वर्ग को माप लिया। अब वामन ने पूछा कि तीसरा कदम कहाँ रखें, क्योंकि उनके पास मापने के लिए और कोई स्थान नहीं बचा था।

राजा महाबली, अपनी प्रजा के प्रति असीम प्रेम और अपने वचन के प्रति निष्ठा के कारण, बिना किसी हिचकिचाहट के अपना सिर आगे कर दिया और वामन से तीसरा कदम उनके सिर पर रखने का अनुरोध किया। वामन ने उनके सिर पर तीसरा कदम रखा, और राजा महाबली को पाताल लोक भेज दिया गया।

उनकी उदारता और भक्ति से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि वे साल में एक बार अपनी प्रजा से मिलने के लिए पृथ्वी पर लौट सकते हैं। यही दिन थिरुवोनम के रूप में मनाया जाता है, जब केरल के लोग अपने प्रिय राजा महाबली का भव्य स्वागत करते हैं।

ओणसद्या – स्वाद और संस्कृति का संगम

ओणसद्या (Onasadya) ओणम का एक अभिन्न अंग है और इस त्योहार का सबसे स्वादिष्ट पहलू है। यह एक विस्तृत शाकाहारी दावत है, जिसमें 20 से अधिक प्रकार के व्यंजन शामिल होते हैं, जिन्हें केले के पत्ते पर परोसा जाता है।

ओणसद्या की कुछ खास बातें

  • ओणसद्या में चावल, सांभर, अवियल, तोरण, एरिसेरी, कलां, ओलन, रसम, मोरुकूटन, पचड़ी, किचड़ी, इनजिपुलि, पपड़म, केले के चिप्स और विभिन्न प्रकार के ‘पायसम’ (खीर) जैसे व्यंजन शामिल होते हैं।
  • सभी व्यंजन पारंपरिक रूप से केले के पत्ते पर परोसे जाते हैं, जो न केवल प्राकृतिक है बल्कि स्वाद को भी बढ़ाता है।
  • परिवार और दोस्तों के साथ एक साथ बैठकर ओणसद्या का आनंद लेना ओणम की भावना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  • पायसम, जो कई प्रकार का होता है (जैसे पालाड़ा पायसम, परिप्पु पायसम), दावत का मीठा समापन होता है।
    ओणसद्या सिर्फ एक भोजन नहीं, बल्कि केरल की पाक कला, आतिथ्य और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है।

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