श्री तारा देवी आरती
|| आरती || जय तारा तुम जग विख्यात, ब्रह्माणी रूप सुन्दर भात। चंद्रमा कोहनी भ्राजत, हंस रूप बन माँ तुम आई। कनकवाले केशों में, धूप-दीप फिर सजे। कंबल नीला, वस्त्र सुंदर, चरणों में अंगूर सजे। चन्दन बासम बिलोचन पर, बेल पत्रानि मला धरू। भक्तों के काज राखो, शंकर मन्दिर विशेष आयूं। जय तारा तुम जग…