हिंदू पंचांग में हर महीने की अमावस्या तिथि को पितरों (Ancestors) को समर्पित माना जाता है, लेकिन जब यह तिथि पौष माह के कृष्ण पक्ष में आती है, तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। पौष अमावस्या (Paush Amavasya) को शास्त्रों में ‘मिनी श्राद्ध’ भी कहा गया है। यह वह शक्तिशाली दिन है जब सूर्य और चंद्रमा एक ही राशि में होते हैं, जिससे किए गए छोटे से उपाय भी बड़े परिणाम देते हैं।
यदि आपके जीवन में लगातार आर्थिक संकट, पारिवारिक कलह, बीमारी या पितृ दोष (Pitru Dosh) के कारण कोई काम नहीं बन पा रहा है, तो पौष अमावस्या पर “एक लोटा जल” का यह सरल और अचूक उपाय आपकी किस्मत बदल सकता है। आइए, जानते हैं पौष अमावस्या के महत्व, पूजा विधि और उस चमत्कारी जल के टोटके के बारे में जो आपकी हर इच्छा पूरी करेगा।
पौष अमावस्या का अलौकिक महत्व (Divine Significance)
पौष अमावस्या को विशेष रूप से सूर्य पूजा और पितृ शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।
- पितृों का आशीर्वाद – यह तिथि पितरों को मोक्ष दिलाने वाली मानी गई है। इस दिन तर्पण, श्राद्ध और दान करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और अपने वंशजों को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पितृ दोष से पीड़ित व्यक्तियों के लिए यह दिन वरदान साबित होता है।
- सूर्य देव की कृपा – पौष मास में सूर्यदेव की उपासना का विशेष महत्व है। अमावस्या के दिन सूर्य को अर्घ्य देने से कुंडली में सूर्य की स्थिति मजबूत होती है, जिससे मान-सम्मान, सरकारी नौकरी और आत्मविश्वास (Self-Confidence) में वृद्धि होती है।
- समस्त पापों का नाश – मान्यता है कि इस दिन पवित्र नदियों, खासकर गंगा में स्नान करने से व्यक्ति के समस्त पाप धुल जाते हैं और उसे लंबी आयु तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।
आपकी हर इच्छा पूरी करने वाला ‘एक लोटा जल’ का टोटका
यह उपाय इतना सरल है कि कोई भी व्यक्ति इसे आसानी से कर सकता है, लेकिन इसका प्रभाव अत्यंत शक्तिशाली माना जाता है। यह टोटका मुख्य रूप से पितरों की शांति और मनोकामना पूर्ति के लिए किया जाता है।
- यह उपाय पौष अमावस्या की सुबह स्नान के बाद करना चाहिए। यदि संभव हो, तो किसी नदी, सरोवर या पीपल के पेड़ के पास करें। घर पर भी यह उपाय किया जा सकता है।
- तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें। अब इसमें एक चुटकी काले तिल और कुछ बूँदें कच्चा दूध मिला लें।
- लोटे को हाथ में लें। दक्षिण दिशा (South Direction) की ओर मुख करके खड़े हों। अपने पितरों का स्मरण करें, उनका नाम लें और अपनी समस्या या मनोकामना (Wish) को मन में दोहराएं।
- लोटे का आधा जल “ॐ सूर्याय नमः” मंत्र बोलते हुए सूर्य देव को अर्पित करें।
- शेष आधा जल किसी पीपल के पेड़ की जड़ में या अपने घर के बाहर किसी गमले में, “ॐ पितृभ्यः नमः” या “ॐ सर्व पितृ देवाय नमः” मंत्र बोलते हुए धीरे-धीरे अर्पित करें।
- यह जल अर्पण करते समय आपके जूते-चप्पल नहीं पहने होने चाहिए।
- जल अर्पित करने के बाद, पीपल के पेड़ की 7 या 11 बार परिक्रमा (Circumambulation) करें (यदि संभव हो)। परिक्रमा करते समय अपनी इच्छा को दोहराते रहें।
इस उपाय से लाभ
- पितृ दोष का तुरंत निवारण होता है।
- घर में बरकत (Prosperity) आती है और दरिद्रता दूर होती है।
- अटके हुए काम पूरे होते हैं।
- मानसिक शांति और भय से मुक्ति मिलती है।
दरिद्रता दूर करने के लिए विशेष टोटका (Special Trick for Removing Poverty)
यदि आप लंबे समय से आर्थिक तंगी (Financial Crunch) से जूझ रहे हैं, तो पौष अमावस्या की शाम को यह विशेष उपाय करें:
- दीपक जलाना – शाम के समय, सूर्यास्त के तुरंत बाद, एक पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
- वापस न देखना – दीपक जलाकर चुपचाप वापस आ जाएं और पीछे मुड़कर न देखें।
- मछलियों को भोजन – अमावस्या के दिन आटे की गोलियां बनाकर किसी नदी या तालाब की मछलियों को खिलाना चाहिए। शास्त्रों में इसे दरिद्रता दूर करने का अचूक उपाय माना गया है।
पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें (Things to Remember during Worship)
- अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। यदि यह संभव न हो, तो नहाने के पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
- इस दिन घर की चौखट पर कपूर जलाना और पूरे घर में कपूर का धुआँ दिखाना नकारात्मक ऊर्जा (Negative Energy) को दूर करता है। इस दिन तुलसी में जल नहीं देना चाहिए, लेकिन तुलसी के पास घी का दीपक जलाया जा सकता है।
- पौष अमावस्या पर वस्त्र, अन्न, दूध, दही और काले तिल का दान करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन कराएं।
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