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पुत्रदा एकादशी पर तुलसी का अद्भुत उपाय – धन, संतान और वैकुण्ठ धाम की प्राप्ति (Exclusive Tips)

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हर महीने आने वाली एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है, लेकिन इन सबमें पुत्रदा एकादशी का महत्व (Importance) कुछ खास है। वर्ष में यह दो बार आती है – एक पौष मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी श्रावण मास के शुक्ल पक्ष में। शास्त्रों में इसे ‘वैकुण्ठ एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है, क्योंकि इस दिन व्रत करने वाले को न केवल संतान सुख, बल्कि मृत्यु के बाद वैकुण्ठ धाम में स्थान प्राप्त होता है।

इस पावन अवसर पर तुलसी (Holy Basil) से जुड़ा एक विशेष उपाय आपके जीवन में चमत्कारिक बदलाव ला सकता है, जिससे धन (Wealth) और संतान सुख (Child Bliss) की प्राप्ति के योग बनते हैं। आइए, जानते हैं वो खास उपाय और पूजा की सही विधि।

पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व (Significance)

पुत्रदा एकादशी का व्रत मुख्य रूप से संतान प्राप्ति की कामना से रखा जाता है। जिन दंपत्तियों को संतान सुख नहीं मिल पा रहा है, उनके लिए यह व्रत किसी वरदान से कम नहीं है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन सच्चे मन से भगवान विष्णु की उपासना और व्रत करने से निःसंतान दंपत्ति को गुणवान और योग्य संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह व्रत संतान के उज्जवल भविष्य और लंबी उम्र के लिए भी रखा जाता है।

तुलसी: श्री हरि और मां लक्ष्मी का वास (Home of Prosperity)

सनातन धर्म में तुलसी को अत्यंत पवित्र और पूजनीय माना गया है। तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी (Goddess Lakshmi) का वास होता है और यह भगवान विष्णु को अति प्रिय है। तुलसी के बिना भगवान विष्णु का भोग और पूजन अधूरा माना जाता है। इसलिए, एकादशी के दिन तुलसी से जुड़े उपाय करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी, दोनों की संयुक्त कृपा प्राप्त होती है, जिससे धन और समृद्धि घर आती है।

पुत्रदा एकादशी पर करें तुलसी का ये खास उपाय (The Exclusive Tulsi Remedy)

पुत्रदा एकादशी के दिन शाम के समय (Evening Time) गोधूलि बेला में यह उपाय करना सबसे शुभ माना जाता है।

उपाय की विधि (The Method)

  • सबसे पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र (Clean clothes) धारण करें। पूजा की तैयारी करें।
  • तुलसी के पौधे के पास गाय के शुद्ध घी का एक दीपक (Diya) जलाएं।
  • अब, तुलसी के पौधे को लाल चुनरी या लाल रंग का शुद्ध कलावा (Sacred Thread) अर्पित करें। लाल रंग सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  • इस घी के दीपक में एक चुटकी हल्दी (Turmeric) मिला दें। हल्दी को शुभता और बृहस्पति ग्रह का प्रतीक माना जाता है, जो संतान और धन का कारक है।
  • दीपक जलाने के बाद तुलसी माता की 11 या 21 बार परिक्रमा करें। परिक्रमा करते समय या दीपक के सम्मुख बैठकर इस मंत्र का यथाशक्ति (As per capacity) जाप करें: “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” (Lord Vishnu Mantra) या संतान गोपाल मंत्र – “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः।”

इस उपाय का लाभ (Benefits of the Ritual)

  • लाल चुनरी और संतान गोपाल मंत्र का जाप संतान प्राप्ति की इच्छा को तीव्र करता है, और तुलसी माता के आशीर्वाद से निःसंतान दंपत्ति को शीघ्र संतान की प्राप्ति होती है।
  • घी के दीपक में हल्दी मिलाकर जलाने से मां लक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं। यह उपाय घर से आर्थिक तंगी (Financial Crisis) को दूर करता है और धन के आगमन के नए मार्ग खोलता है।
  • तुलसी के पास दीपक जलाने और मंत्र जाप करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा (Positive Energy) का संचार होता है, जिससे घर की सुख-शांति बनी रहती है और वास्तु दोष (Vastu Dosha) भी दूर होते हैं।
  • तुलसी को कलावा अर्पित करने से वैवाहिक जीवन (Married Life) में प्रेम और सामंजस्य (Harmony) बढ़ता है।

पुत्रदा एकादशी पूजा के अन्य नियम (Other Important Rules)

  • ध्यान रहे, एकादशी के दिन तुलसी को जल अर्पित नहीं किया जाता है और न ही इस दिन तुलसी के पत्ते तोड़ने चाहिए। पत्तों का उपयोग एक दिन पहले ही कर लेना चाहिए।
  • भगवान विष्णु की पूजा में पंचामृत और भोग (Prasad) में तुलसी दल (Tulsi leaves) अवश्य शामिल करें।
  • एकादशी के दिन गरीब और जरूरतमंदों को अपनी श्रद्धानुसार दान (Donation) अवश्य करें। तुलसी का पौधा दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।

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