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वट पूर्णिमा व्रत कैसे करें? जानिए महत्व, पूजा विधि, कथा और लाभ

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वट पूर्णिमा, जिसे सावित्री व्रत और अक्षय तृतीया के नाम से भी जाना जाता है, हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। यह ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं।

वट पूर्णिमा व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा किया जाता है। इस व्रत का मुख्य उद्देश्य अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करना है। वट पूर्णिमा का व्रत ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है और इसमें वट (बड़) के वृक्ष की पूजा की जाती है।

यह व्रत सावित्री और सत्यवान की पौराणिक कथा से संबंधित है, जिसमें सावित्री ने अपने पति सत्यवान के जीवन की रक्षा के लिए यमराज से संघर्ष किया था। इस व्रत को करने से पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।

वट पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

  • प्रातःकाल जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • वट वृक्ष के पास जाकर उसकी जड़ में जल अर्पित करें। फिर वट वृक्ष के चारों ओर सात बार सूत का धागा बांधें।
  • पूजा के लिए कच्चा दूध, जल, चंदन, अक्षत, पुष्प, रोली, मौली, नैवेद्य (फलों का भोग), दीपक, धूप, तिलक आदि सामग्री एकत्रित करें।
  • वट वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।
  • वट वृक्ष को कच्चे दूध, जल, चंदन और अक्षत अर्पित करें।
  • वृक्ष के चारों ओर मौली (सूत का धागा) बांधकर सात परिक्रमाएं करें।
  • सावित्री और सत्यवान की कथा का पाठ करें या सुनें।
  • नैवेद्य अर्पित करें और व्रत कथा का श्रवण करें।
  • अंत में भगवान विष्णु और वट वृक्ष की आरती करें।
  • अगले दिन सुबह व्रत का पारण करें।

वट पूर्णिमा व्रत का महत्व

  • यह व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए रखती हैं।
  • माना जाता है कि इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
  • वट पूर्णिमा व्रत ग्रहों की शांति के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
  • इस व्रत को रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।

वट पूर्णिमा व्रत के लाभ

  • इस व्रत को करने से पति की आयु लंबी होती है और उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है।
  • पति-पत्नी के बीच प्रेम और सामंजस्य बना रहता है।
  • व्रत करने और भगवान विष्णु की आरती से घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।
  • धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से स्त्रियों को पुण्य की प्राप्ति होती है और उनके सभी पापों का नाश होता है।
  • यह व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए अपने पति की दीर्घायु और अखंड सौभाग्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है।
  • वट पूर्णिमा व्रत रखने से सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है।
  • वट पूर्णिमा व्रत ग्रहों की शांति के लिए भी लाभकारी माना जाता है।
  • इस व्रत को रखने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
  • माना जाता है कि इस व्रत को रखने से पापों का नाश होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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