अमृत पर्व: दशहरा स्वामी सनातन श्री द्वारा लिखित एक अद्वितीय पुस्तक है जो भारतीय संस्कृति, आध्यात्मिकता, और दशहरा उत्सव के गूढ़ रहस्यों पर प्रकाश डालती है। इस पुस्तक में दशहरा के ऐतिहासिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक पहलुओं को बेहद सरल और प्रभावी भाषा में प्रस्तुत किया गया है।
स्वामी सनातन श्री ने इस पुस्तक को लिखने का उद्देश्य न केवल दशहरा की महत्ता को समझाना बताया है, बल्कि इसके आध्यात्मिक आयामों पर भी चर्चा की है। इसमें यह बताया गया है कि कैसे दशहरा केवल रावण पर श्री राम की विजय का प्रतीक नहीं, बल्कि मानव जीवन के भीतर मौजूद बुराईयों पर अच्छाई की जीत का प्रतीक भी है।
अमृत पर्व: दशहरा प्रमुख विषय
- पुस्तक में दशहरा की उत्पत्ति, इसके पौराणिक संदर्भ और रामायण की कहानियों को विस्तार से समझाया गया है।
- यह पुस्तक दशहरा को एक आध्यात्मिक यात्रा के रूप में देखती है और बताती है कि कैसे रावण के दस सिर हमारे भीतर मौजूद काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार आदि विकारों का प्रतीक हैं।
- स्वामी सनातन श्री ने पुस्तक में भारतीय परंपराओं और संस्कारों का महत्व भी बताया है। दशहरा का उत्सव केवल पूजा-अर्चना नहीं, बल्कि समाज और परिवार के साथ मेलजोल और आपसी सद्भावना बढ़ाने का पर्व भी है।
- लेखक ने दशहरा की प्रासंगिकता को आधुनिक जीवन में जोड़ा है। यह बताया गया है कि कैसे यह पर्व हमें अपने भीतर के रावण को पहचानने और अच्छाई को अपनाने की प्रेरणा देता है।