|| अष्टक ||
जय गुरुदेव अलख अभेव
अतल अखेव सुखधाम।
अज्ञा दुखहारी नित सुखकारी
मंगलकारी तव नाम।
कष्ट कटीजे दुःख हरीजे सभ
सुख कीजे अभिरामा।
हे सर्वेश्वर हे परमेश्वर
हे जगदीश्वर सत कामा।
भो भगवंता सर्व नियंता
मेतहुं चिंता भयभरी।
रखऊं शरणा अपने चरणा
जनमहि मरणा कट जरी।
दीजे सुमति हरिए कुमति
निर्मल भक्ति दे प्यारी।
भाव जल भरा अहिं अपारा
तव आधार सद वरी।
सर्वस्वरूप अगम अनूप
अलख अरूप गुरुदेव।
तुम पित माता बंधु भ्राता
दीन त्राता गुरु देव।
घट घट वासी अज अविनाशी
प्रेम प्रकाशी गुरु देव।
करहुं जुहारा बरमबारा
हो रखवारा गुरु देव।
श्री तेऊनरामम सब सुखधामम
पूरण कामम नमो नमो।
सर्वानंदा दे आनंदा
सद बक्षंदा नमो नमो।
शान्तिप्रकाशा हरहुं निराशा
कठुं फासा नमो नमो।
हरि हरिदासा मेथुं त्रासा
तव भरवासा नमो नमो।
सएय वंदे प्राथ वंदे क्षरण
क्षरण वंदे जगत पति।
निश में वंदे दिवसे वंदे
पल पल वंदे दे सुमति।
पुरिए वंदे प्रष्टे वंदे
सर्वत वंदे प्राणपति।
पुरब वंदे पश्चिम वंदे
दश दिश वंदे सर्व गति।
नमो उधारी पर उपकारी
कर रखवारी दुःख हरो।
नमो उदासी सर्व निवासी
प्रेम प्रकाशी महेर करो।
नमो निरंतर परम स्वतंत्र
मम उद अंतर भक्ति भरो।
नमो नममि अलख अनमि
अंतर यमि ताप जरो।
नमो कृपाला नमो दयाला
नमो अकाल नमो नमो।
नमो अनूप सगुण सरूप
आगुण अरूप नमो नमो।
नमो विधाता अभय प्रदाता
सर्व ज्ञाता नमो नमो।
नमो अनंता नमो अचिंता
तुम बींता नमो नमो।
दैहिक रोग मानस शोक
कुमति कुयोग हर लीजे।
जनय निज जन हरिए अवगुण
मन में सदगुरं भर दीजे।
चरण कमल महि विरति लगाय
तहि प्रीति घटाए नही वर दीजे।
दुख विशाल हर प्रतिपला पार
कृपाला कर लीजे।
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