|| हनुमान मंगल अष्टक स्तोत्र ||
वैशाखे मासि कृष्णायां दशम्यां मन्दवासरे।
पूर्वाभाद्रप्रभूताय मङ्गलं श्रीहनूमते।
करुणारसपूर्णाय फलापूपप्रियाय च।
नानामाणिक्यहाराय मङ्गलं श्रीहनूमते।
सुवर्चलाकलत्राय चतुर्भुजधराय च।
उष्ट्रारूढाय वीराय मङ्गलं श्रीहनूमते।
दिव्यमङ्गलदेहाय पीताम्बरधराय च।
तप्तकाञ्चनवर्णाय मङ्गलं श्रीहनूमते।
भक्तरक्षणशीलाय जानकीशोकहारिणे।
ज्वलत्पावकनेत्राय मङ्गलं श्रीहनूमते।
पम्पातीरविहाराय सौमित्रिप्राणदायिने।
सृष्टिकारणभूताय मङ्गलं श्रीहनूमते।
रम्भावनविहाराय गन्धमादनवासिने।
सर्वलोकैकनाथाय मङ्गलं श्रीहनूमते।
पञ्चाननाय भीमाय कालनेमिहराय च।
कौण्डिन्यगोत्रजाताय मङ्गलं श्रीहनूमते।
इति स्तुत्वा हनूमन्तं नीलमेघो गतव्यथः।
प्रदक्षिणनमस्कारान् पञ्चवारं चकार सः।
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