आदित्य कवच पाठ PDF संस्कृत
Download PDF of Aditya Kavacham Sanskrit
Surya Dev ✦ Kavach (कवच संग्रह) ✦ संस्कृत
आदित्य कवच पाठ संस्कृत Lyrics
॥ आदित्य कवच पाठ विधि ॥
- सर्वप्रथम नित्यकर्म आदि से निर्वत्त होकर एक लाल रंग का स्वच्छ आसान बिछायें।
- अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके पद्मासन में बैठ जायें
- अपने सामने भगवान सूर्यदेव का छायाचित्र अथवा मूर्ति स्थापित करें, दोनों में से कुछ भी उपलब्ध न होने की दशा में आकाश में पूर्व दिशा सूर्य देव की ओर मुख करके बैठ जायें।
- अब सूर्यदेव का आवाहन कर उन्हें आसन ग्रहण करायें।
- आसन ग्रहण करने के पश्चात सूर्यदेव को स्नान करवायें।
- अब ग्यारह बार सूर्य बीज मन्त्र “ॐ हृां हृीं हृौं स: सूर्याय नम:” का उच्चारण करें।
- एक ताम्र पात्र (ताँबे के लोटे) में शुद्ध जल, सिंदूर, गुड़ व अक्षत आदि डालकर अपने समक्ष रख ले।
- अब पूर्ण श्रद्धा भाव से आदित्य कवच का पाठ करें।
- पाठ सम्पूर्ण होने पर ताँबे के लोटे में रखा हुआ जल मंत्रोच्चारण करते हुये सूर्यदेव को अर्पित करें।
- अब सूर्य देव को धूप, दीप व सुगन्ध आदि अर्पित करते हुये उनका आशीष ग्रहण करें तथा अपने व प्रियजनों की सकुशलता हेतु प्रार्थना करें।
॥ आदित्य कवच ॥
।। अथ श्री आदित्यकवचम् ।।
ॐ अस्य श्रीमदादित्यकवचस्तोत्र
महामन्त्रस्य याज्ञवल्क्यो महर्षिः ।
अनुष्टुप्-जगतीच्छन्दसी ।
घृणिरिति बीजम् । सूर्य इति शक्तिः ।
आदित्य इति कीलकम् ।
श्रीसूर्यनारायणप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः ।
ध्यानं
उदयाचलमागत्य वेदरूपमनामयम् ।
तुष्टाव परया भक्त्या वालखिल्यादिभिर्वृतम् ॥ १॥
देवासुरैस्सदा वन्द्यं ग्रहैश्च परिवेष्टितम् ।
ध्यायन् स्तुवन् पठन् नाम यस्सूर्यकवचं सदा ॥ २॥
घृणिः पातु शिरोदेशं सूर्यः फालं च पातु मे ।
आदित्यो लोचने पातु श्रुती पातु प्रभाकरः ॥ ३॥
घ्राणं पातु सदा भानुः अर्कः पातु मुखं तथा ।
जिह्वां पातु जगन्नाथः कण्ठं पातु विभावसुः ॥ ४॥
स्कन्धौ ग्रहपतिः पातु भुजौ पातु प्रभाकरः ।
अहस्करः पातु हस्तौ हृदयं पातु भानुमान् ॥ ५॥
मध्यं च पातु सप्ताश्वो नाभिं पातु नभोमणिः ।
द्वादशात्मा कटिं पातु सविता पातु सृक्किणी ॥ ६॥
ऊरू पातु सुरश्रेष्ठो जानुनी पातु भास्करः ।
जङ्घे पातु च मार्ताण्डो गलं पातु त्विषाम्पतिः ॥ ७॥
पादौ ब्रध्नस्सदा पातु मित्रोऽपि सकलं वपुः ।
वेदत्रयात्मक स्वामिन् नारायण जगत्पते ।
अयातयामं तं कञ्चिद्वेदरूपः प्रभाकरः ॥ ८॥
स्तोत्रेणानेन सन्तुष्टो वालखिल्यादिभिर्वृतः ।
साक्षाद्वेदमयो देवो रथारूढस्समागतः ॥ ९॥
तं दृष्ट्वा सहसोत्थाय दण्डवत्प्रणमन् भुवि ।
कृताञ्जलिपुटो भूत्वा सूर्यस्याग्रे स्थितस्तदा ॥ १०॥
वेदमूर्तिर्महाभागो ज्ञानदृष्टिर्विचार्य च ।
ब्रह्मणा स्थापितं पूर्वं यातयामविवर्जितम् ॥ ११॥
सत्त्वप्रधानं शुक्लाख्यं वेदरूपमनामयम् ।
शब्दब्रह्ममयं वेदं सत्कर्मब्रह्मवाचकम् ॥ १२॥
मुनिमध्यापयामास प्रथमं सविता स्वयम् ।
तेन प्रथमदत्तेन वेदेन परमेश्वरः ॥ १३॥
याज्ञवल्क्यो मुनिश्रेष्ठः कृतकृत्योऽभवत्तदा ।
ऋगादिसकलान् वेदान् ज्ञातवान् सूर्यसन्निधौ ॥ १४॥
इदं प्रोक्तं महापुण्यं पवित्रं पापनाशनम् ।
यः पठेच्छृणुयाद्वापि सर्वपापैः प्रमुच्यते ।
वेदार्थज्ञानसम्पन्नस्सूर्यलोकमावप्नुयात् ॥ १५॥
इति स्कान्दपुराणे गौरीखण्डे आदित्यकवचं समाप्तम् ।
॥ आदित्य कवच लाभ व महत्व ॥
- यूँ तो आपको नियमित रूप से प्रतिदिन ही सूर्य देव की उपासना करनी चाहिये, किन्तु ऐसा सम्भव न होने की स्थिति में आप प्रति रविवार को भगवान सूर्य के इस शक्तिशाली आदित्य कवच का पाठ कर उनकी कृपा ग्रहण कर सकते हैं।
- आदित्य कवच का पाठ करने से समस्त प्रकार के रोगों एवं शारीरिक व्याधियों से रक्षा होती है।
- यदि आप आजीविका सम्बन्धित समस्याओं से जूझ रहे हैं तो आप को इस दिव्य कवच का पाठ करते हुये भगवान सूर्य की उपासना करनी चाहिये, जिसके प्रभाव से आपको शीघ्र ही आजीविका सम्बन्धी समस्याओं से मुक्त हो जायेंगे।
- आदित्य कवच के नियमित पाठ से जातक का आभामण्डल जाग्रत होता है।
- इस दिव्या कवच के फलस्वरूप व्यक्ति के शरीर में सकारात्क ऊर्जा का संचार होता है
- जिन व्यक्तियों का आत्मबल क्षीण हो चुका हो उन्हें इस कवच का पाठ अवश्य करना चाहिये।
- भगवान सूर्य के समक्ष आदित्य कवच का उच्चारण करने से जातक में आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।
Join HinduNidhi WhatsApp Channel
Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!
Join Nowआदित्य कवच पाठ
READ
आदित्य कवच पाठ
on HinduNidhi Android App