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Bhaum Pradosh Vrat – कर्ज़ और रोग से मुक्ति का महाउपाय! जानिए शिव और हनुमान जी की पूजा का रहस्य

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क्या आप कर्ज़ (Debt) के बोझ तले दबे हैं? क्या रोगों ने आपके जीवन को कष्टमय बना दिया है? हिंदू धर्म में, हर समस्या का समाधान है और उनमें से एक अत्यंत शक्तिशाली उपाय है – भौम प्रदोष व्रत। यह सिर्फ एक उपवास नहीं, बल्कि भगवान शिव और बजरंगबली हनुमान जी की संयुक्त कृपा प्राप्त करने का एक महायोग है, जो विशेष रूप से कर्ज़ और रोग मुक्ति के लिए जाना जाता है।

आइए, जानते हैं इस अद्भुत व्रत की महिमा, पूजा विधि और इसके पीछे छिपे गहरे आध्यात्मिक रहस्यों को, ताकि आपका जीवन सुख-समृद्धि और आरोग्य से भर जाए। (Let’s explore the spiritual secrets!)

क्या है भौम प्रदोष व्रत? (What is Bhaum Pradosh Vrat?)

प्रत्येक माह की त्रयोदशी तिथि (तेरहवीं तिथि) को प्रदोष व्रत रखा जाता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है। जब यह त्रयोदशी तिथि मंगलवार (Bhaumwar) के दिन पड़ती है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है। ‘भौम’ शब्द मंगल ग्रह (Planet Mars) से जुड़ा है, जिसे साहस, ऊर्जा और भूमि का कारक माना जाता है।

इस दिन शिव शक्ति की पूजा के साथ-साथ, मंगल ग्रह और उनके अधिदेवता हनुमान जी की पूजा का भी विशेष विधान है। यही कारण है कि यह व्रत उन लोगों के लिए सबसे अधिक फलदायी माना जाता है, जो जीवन में आर्थिक तंगी, कर्ज की समस्या (Financial Crisis) या गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं।

भौम प्रदोष व्रत का महत्व – कर्ज़ मुक्ति और आरोग्य का वरदान

मंगलवार का दिन हनुमान जी और मंगल ग्रह को समर्पित है। मंगल को ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है, लेकिन कुंडली में इसका कमजोर या दूषित होना कर्ज़, रोग, भूमि विवाद (Land Disputes) और दुर्घटनाओं का कारण बन सकता है।

इस दिन शिव और हनुमान जी की पूजा करने से ये अद्भुत लाभ मिलते हैं:

  • कर्ज़ से मुक्ति (Freedom from Debt) – मंगल ग्रह को ‘ऋणहर्ता’ (Destroyer of Debt) भी कहा जाता है। भौम प्रदोष पर शिव जी का रुद्राभिषेक और हनुमान चालीसा का पाठ करने से मंगल ग्रह की नकारात्मक ऊर्जा शांत होती है और कर्ज़ चुकाने के रास्ते खुलते हैं।
  • रोगों का नाश (Cure of Diseases) – यह व्रत महामृत्युंजय मंत्र के जाप के लिए भी उत्तम है। शिव जी मृत्युंजय हैं और हनुमान जी संकटमोचन। दोनों की कृपा से दीर्घकालिक और गंभीर रोगों से मुक्ति मिलती है, शरीर में नई ऊर्जा (Vitality) और बल का संचार होता है।
  • भूमि और संपत्ति का लाभ – चूंकि मंगल भूमि का कारक है, इसलिए इस दिन व्रत करने से संपत्ति संबंधी विवादों में सफलता मिलती है और घर-जमीन से जुड़े कार्यों में लाभ होता है।
  • शत्रुओं पर विजय (Victory over Enemies) – हनुमान जी की पूजा शत्रुओं के भय को दूर करती है और जीवन में आने वाली बाधाओं को समाप्त करती है।

शिव और हनुमान जी की पूजा का रहस्य

भौम प्रदोष व्रत पर भगवान शिव और हनुमान जी का एक साथ पूजन करना क्यों इतना चमत्कारी है?

  • मंगल (Mars) और शिव (Shiva) का संबंध – ज्योतिष के अनुसार, मंगल ग्रह के अधिदेवता भगवान शिव हैं। मंगल को रुद्रांश भी माना जाता है। शिव की आराधना से मंगल के क्रूर प्रभाव कम होते हैं।
  • मंगल (Mars) और हनुमान (Hanuman) का संबंध – हनुमान जी को मंगल ग्रह का नियंत्रक (Controller) देवता माना जाता है। हनुमान जी स्वयं रुद्रावतार हैं, यानी वे शिव का ही अंश हैं। इसलिए, भौम प्रदोष पर शिव-हनुमान की यह युगल पूजा व्यक्ति को असीमित सुरक्षा (Infinite Protection) और शक्ति प्रदान करती है।

शिव जी जीवन के कष्टों और पापों का हरण करते हैं, वहीं हनुमान जी हर संकट और बाधा को पल भर में दूर करते हैं। जब दोनों की कृपा एक साथ मिलती है, तो कर्ज़ और रोग जैसे बड़े कष्ट भी शीघ्र ही समाप्त हो जाते हैं।

भौम प्रदोष व्रत की सही पूजा विधि (The Correct Rituals)

यह व्रत विशेष रूप से ‘प्रदोष काल’ में किया जाता है, जो सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक रहता है।

  • सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें। स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प (Pledge) लें।
  • दिन भर निराहार रहें या फलाहार लें। इस दिन अन्न, नमक, लहसुन, प्याज का सेवन वर्जित है।
  • शाम को प्रदोष काल में पूजा की तैयारी करें – पूजा स्थान को साफ करें और गाय के गोबर से लीपें या गंगाजल से शुद्ध करें।
  • एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और हनुमान जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  • शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद, शक्कर और गन्ने के रस से रुद्राभिषेक करें।
  • शिव जी को बेलपत्र (3, 5, 7, 9 या 21), भांग, धतूरा, आक के फूल और शमी पत्र अर्पित करें।
  • हनुमान जी को लाल चंदन, लाल फूल (जैसे गुड़हल), सिन्दूर और चमेली का तेल अर्पित करें। गुड़ और चने का भोग लगाएं।
  • एक दीपक शुद्ध घी का और एक दीपक सरसों के तेल का (हनुमान जी के लिए) जलाएं।
  • पूजा के दौरान इन मंत्रों का जाप अवश्य करें:
  • भगवान शिव – पंचाक्षर मंत्र: “ॐ नमः शिवाय” का 108 बार जाप करें। रोग मुक्ति के लिए: महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
  • हनुमान जी – कर्ज़ मुक्ति के लिए: हनुमान चालीसा और ‘ऋणमोचन मंगल स्तोत्र’ का पाठ करें। यह स्तोत्र विशेष रूप से कर्ज़ से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।
  • प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें। भगवान शिव और हनुमान जी की आरती करें। प्रसाद वितरण करें और स्वयं फलाहार के साथ व्रत खोलें।

विशेष उपाय (Special Remedies)

कर्ज़ और रोग से तत्काल मुक्ति के लिए भौम प्रदोष के दिन ये उपाय अत्यंत प्रभावी माने जाते हैं:

  • गुड़ और गेहूं का दान – मंगलवार के दिन गुड़ (Jaggery) और गेहूं का दान करने से मंगल ग्रह मजबूत होता है और आर्थिक संकट दूर होता है।
  • लाल वस्त्र का प्रयोग – पूजा के समय लाल या नारंगी रंग के वस्त्र धारण करें।
  • पीपल के नीचे दीपक – शाम को सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान जी से कर्ज़ मुक्ति की प्रार्थना करें।

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