सनातन धर्म (Sanatan Dharma) में प्रदोष व्रत का अत्यधिक महत्व है, जो भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। जब यह पावन तिथि मंगलवार के दिन पड़ती है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत (Bhaum Pradosh Vrat) कहा जाता है। ‘भौम’ मंगल ग्रह का पर्याय है, और इस दिन शिव-शक्ति की पूजा के साथ-साथ मंगल देव (Mangal Dev) का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।
साल 2025 में, भौम प्रदोष व्रत का एक दुर्लभ योग बन रहा है, जो इसे और भी विशेष और फलदायी बना रहा है। यह व्रत न केवल कर्ज़ से मुक्ति दिलाता है, बल्कि धन, सुख, समृद्धि और संतान प्राप्ति का भी वरदान देता है। आइए, जानते हैं 2025 के इस खास भौम प्रदोष व्रत की तिथि, पूजा विधि और चमत्कारी उपायों के बारे में।
भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व (Special Significance)
मंगलवार को आने वाला प्रदोष व्रत, जिसे भौम प्रदोष कहा जाता है, अन्य प्रदोष व्रतों से अधिक शक्ति (Power) रखता है। इसके महत्व के तीन मुख्य कारण हैं:
- त्रयोदशी तिथि भगवान शिव को प्रिय है। इस दिन व्रत और पूजा करने से महादेव और माता पार्वती शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को सुख-शांति, आरोग्य (Health) और समृद्धि प्रदान करते हैं।
- मंगल ग्रह को “भूमि पुत्र” भी कहा जाता है और यह साहस, ऊर्जा, संपत्ति और कर्ज़ का कारक है। भौम प्रदोष के दिन मंगल देव की आराधना करने से कुंडली में मंगल के अशुभ प्रभाव (Mangal Dosh) दूर होते हैं, कर्ज़ (Loan/Debt) से मुक्ति मिलती है और भूमि-संपत्ति (Property) के कार्यों में सफलता मिलती है।
- यह व्रत विशेष रूप से ऋण (कर्ज़) से मुक्ति के लिए किया जाता है। जो व्यक्ति लगातार आर्थिक तंगी (Financial Crunch) और कर्ज़ के बोझ से परेशान हैं, उनके लिए यह व्रत एक संजीवनी के समान है।
भौम प्रदोष व्रत की सरल एवं सम्पूर्ण पूजा विधि
इस दिन पूरी श्रद्धा और निष्ठा (Dedication) से पूजा करने पर मनचाहा फल मिलता है:
- सुबह ब्रह्म मुहूर्त (Brahma Muhurta) में उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प (Vrat Sankalp) लें कि आप पूरे दिन व्रत रखकर प्रदोष काल में शिव-शक्ति की पूजा करेंगे।
- शाम के समय, प्रदोष काल शुरू होने से पहले, एक बार फिर स्नान करें। पूजा स्थल को साफ करें और शिवलिंग (Shivling) को गंगाजल से शुद्ध करें। एक चौकी पर शिव-पार्वती और नंदी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक (Abhishek) करें। शिवलिंग पर बेलपत्र (3 या 5), धतूरा, भांग, शमी पत्र और सफ़ेद चंदन अर्पित करें।
- माता पार्वती को सोलह श्रृंगार सामग्री (Solah Shringar), लाल चुनरी, सिंदूर और इत्र चढ़ाएं। दीपक जलाएं और धूप करें। “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का 108 बार जाप रुद्राक्ष की माला से करें। भौम प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें। अंत में शिव-पार्वती और हनुमान जी (मंगल के अधिष्ठाता) की आरती करें।
- पूजा के बाद फलों और मिष्ठान्न (Sweets) का भोग लगाएं। आरती के बाद प्रसाद सभी में वितरित करें। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद करें। व्रत के दिन केवल फलाहार ही करें।
धन, सुख और संतान प्राप्ति के चमत्कारी उपाय
भौम प्रदोष व्रत पर किए गए ये उपाय आपके जीवन को नई दिशा दे सकते हैं:
कर्ज़ मुक्ति के लिए (For Debt Relief)
- प्रदोष काल में हनुमान जी को चमेली के तेल में सिंदूर (Sindoor) मिलाकर लेप करें और उन्हें बूंदी के लड्डू का भोग लगाएं।
- “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः” मंत्र का जाप करें।
- शिवलिंग पर मसूर की दाल अर्पित करें।
संतान प्राप्ति के लिए (For Child Wish)
- प्रदोष काल में पति-पत्नी एक साथ मिलकर भगवान शिव को गन्ने के रस (Sugarcane Juice) से अभिषेक करें।
- शिवलिंग पर 21 बेलपत्र (Belpatra) पर चंदन से ‘राम’ लिखकर अर्पित करें।
- शिव-पार्वती के सामने बैठकर संतान गोपाल मंत्र का जाप करें।
धन और सुख-समृद्धि के लिए (For Wealth and Happiness)
- पूजा के दौरान शिवलिंग पर गुड़ (Jaggery) अर्पित करें। मंगल को गुड़ प्रिय है।
- शिव मंदिर में एक लाल वस्त्र (Red Cloth) का दान करें।
- “दारिद्र्य दहन स्तोत्र” (Daridrya Dahan Stotra) का पाठ करें। यह शिव स्तोत्र आर्थिक तंगी को दूर करने में बहुत प्रभावी माना जाता है।
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