ब्रह्माण्डपुराण, अट्ठारह महापुराणों में से एक है। मध्यकालीन भारतीय साहित्य में इस पुराण को ‘वायवीय पुराण’ या ‘वायवीय ब्रह्माण्ड’ कहा गया है। ब्रह्माण्ड का वर्णन करनेवाले वायु ने व्यास जी को दिये हुए इस बारह हजार श्लोकों के पुराण में विश्व का पौराणिक भूगोल, विश्व खगोल, अध्यात्मरामायण आदि विषय हैं।
इस पुराण में देवी ललिता ( आदि पराशक्ति का एक रूप) और उनकी पूजा के साथ-साथ तंत्र की चर्चा का वर्णन है। यह भाग हयग्रीव और ऋषि अगस्त्य के बीच ललिता के अग्नि से उभरने पर एक संवाद के रूप में लिखा गया है जिसके बाद देवताओं के राजा इंद्र ने देवी (परम वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करने वाली देवी) की पूजा की।
इस पुराण में लगभग बारह हज़ार श्लोक और एक सौ छप्पन अध्याय हैं। इसमें सूर्यवंशी और चंद्रवंशी राजाओं की कहानियों के साथ-साथ भगवान परशुराम का भी वर्णन मिलता है।