श्री विन्ध्येश्वरी आरती

|| आरती || सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी, कोई तेरा पार ना पाया । पान सुपारी ध्वजा नारियल, ले तेरी भेट चढ़ाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥ सुवा चोली तेरी अंग विराजे, केसर तिलक लगाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी ॥ नंगे पग माँ अकबर आया, सोने का छत्र चढ़ाया ॥ सुन मेरी देवी पर्वतवासिनी…