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दिसम्बर 2024 में आने वाले सभी हिन्दू त्यौहारों और व्रतों की सूची

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दिसम्बर 2024 में हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्यौहार और व्रत बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाए जाएंगे। इस महीने की शुरुआत मोक्षदा एकादशी (11 दिसम्बर) से होती है, जो भगवान विष्णु की आराधना का प्रमुख दिन है। इसके बाद दत्तात्रेय जयंती (14 दिसम्बर) और प्रदोष व्रत (13 दिसम्बर) मनाए जाएंगे। मार्गशीर्ष पूर्णिमा (15 दिसम्बर) का विशेष महत्व है। पौष मास की शुरुआत के साथ ही संक्रांति से जुड़ी पूजा-अर्चना शुरू होगी। इसके अलावा, सफला एकादशी (26 दिसम्बर) और मासिक शिवरात्रि (29 दिसम्बर) का भी महत्व है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, ये त्यौहार आध्यात्मिकता और परंपरा को समर्पित होते हैं।

जुलाई 2024 – हिन्दू त्यौहारों और व्रतों की सूची

दिसम्बर 1, 2024अन्वाधानरविवार मार्गशीर्ष, कृष्ण चतुर्दशी
दिसम्बर 1, 2024मार्गशीर्ष अमावस्यारविवार पौष, कृष्ण अमावस्या
दिसम्बर 2, 2024इष्टिसोमवार मार्गशीर्ष, कृष्ण अमावस्या
दिसम्बर 3, 2024चन्द्र दर्शनमंगलवार मार्गशीर्ष, शुक्ल प्रतिपदा
दिसम्बर 5, 2024विनायक चतुर्थीबृहस्पतिवार मार्गशीर्ष, शुक्ल चतुर्थी
दिसम्बर 6, 2024विवाह पञ्चमीशुक्रवार मार्गशीर्ष, शुक्ल पञ्चमी
दिसम्बर 6, 2024सुब्रहमन्य षष्ठीशुक्रवार मार्गशीर्ष, शुक्ल षष्ठी
दिसम्बर 6, 2024नाग पञ्चमी *तेलुगुशुक्रवार मार्गशीर्ष, शुक्ल पञ्चमी
दिसम्बर 6, 2024स्कन्द षष्ठीशुक्रवार मार्गशीर्ष, शुक्ल षष्ठी
दिसम्बर 7, 2024चम्पा षष्ठीशनिवार मार्गशीर्ष, शुक्ल षष्ठी
दिसम्बर 8, 2024भानु सप्तमीरविवार मार्गशीर्ष, शुक्ल सप्तमी
दिसम्बर 8, 2024मासिक दुर्गाष्टमीरविवार मार्गशीर्ष, शुक्ल अष्टमी
दिसम्बर 11, 2024गीता जयन्तीबुधवार मार्गशीर्ष, शुक्ल एकादशी
दिसम्बर 11, 2024गुरुवायुर एकादशीबुधवार सौर कैलेण्डर पर आधारित
दिसम्बर 11, 2024मोक्षदा एकादशीबुधवार मार्गशीर्ष, शुक्ल एकादशी
दिसम्बर 12, 2024मत्स्य द्वादशीबृहस्पतिवार मार्गशीर्ष, शुक्ल द्वादशी
दिसम्बर 13, 2024हनुमान जयन्ती *कन्नड़शुक्रवार मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी
दिसम्बर 13, 2024कार्तिगाई दीपम्शुक्रवार सौर कैलेण्डर पर आधारित
दिसम्बर 13, 2024प्रदोष व्रतशुक्रवार मार्गशीर्ष, शुक्ल त्रयोदशी
दिसम्बर 14, 2024दत्तात्रेय जयन्तीशनिवार मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा
दिसम्बर 14, 2024रोहिणी व्रतशनिवार जैन कैलेण्डर पर आधारित
दिसम्बर 15, 2024अन्नपूर्णा जयन्तीरविवार मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा
दिसम्बर 15, 2024त्रिपुर भैरवी जयन्तीरविवार मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा
दिसम्बर 15, 2024धनु संक्रान्तिरविवार सूर्य का वृश्चिक से धनु राशि में प्रवेश
दिसम्बर 15, 2024मार्गशीर्ष पूर्णिमा व्रतरविवार मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा
दिसम्बर 15, 2024अन्वाधानरविवार मार्गशीर्ष, शुक्ल चतुर्दशी
दिसम्बर 16, 2024पौष प्रारम्भ *उत्तरसोमवार माघ, कृष्ण प्रतिपदा
दिसम्बर 16, 2024इष्टिसोमवार मार्गशीर्ष, शुक्ल पूर्णिमा
दिसम्बर 18, 2024अखुरथ संकष्टी चतुर्थीबुधवार पौष, कृष्ण चतुर्थी
दिसम्बर 22, 2024भानु सप्तमीरविवार पौष, कृष्ण सप्तमी
दिसम्बर 22, 2024कालाष्टमीरविवार पौष, कृष्ण अष्टमी
दिसम्बर 22, 2024मासिक कृष्ण जन्माष्टमीरविवार पौष, कृष्ण अष्टमी
दिसम्बर 26, 2024मण्डला पूजाबृहस्पतिवार मलयालम कैलेण्डर पर आधारित
दिसम्बर 26, 2024सफला एकादशीबृहस्पतिवार पौष, कृष्ण एकादशी
दिसम्बर 28, 2024शनि त्रयोदशीशनिवार पौष, कृष्ण त्रयोदशी
दिसम्बर 28, 2024प्रदोष व्रतशनिवार पौष, कृष्ण त्रयोदशी
दिसम्बर 29, 2024मासिक शिवरात्रिरविवार पौष, कृष्ण चतुर्दशी
दिसम्बर 30, 2024सोमवती अमावससोमवार पौष, कृष्ण अमावस्या
दिसम्बर 30, 2024हनुमान जयन्ती *तमिलसोमवार पौष, कृष्ण अमावस्या
दिसम्बर 30, 2024दर्श अमावस्यासोमवार पौष, कृष्ण अमावस्या
दिसम्बर 30, 2024अन्वाधानसोमवार पौष, कृष्ण चतुर्दशी
दिसम्बर 30, 2024पौष अमावस्यासोमवार माघ, कृष्ण अमावस्या
दिसम्बर 31, 2024इष्टिमंगलवार पौष, कृष्ण अमावस्या

 

॥ मोक्षदा एकादशी व्रत कथा ॥

गोकुल नाम के नगर में वैखानस नामक राजा राज्य करता था। उसके राज्य में चारों वेदों के ज्ञाता ब्राह्मण रहते थे। वह राजा अपनी प्रजा का पुत्रवत पालन करता था। एक बार रात्रि में राजा ने एक स्वप्न देखा कि उसके पिता नरक में हैं। उसे बड़ा आश्चर्य हुआ। प्रातः वह विद्वान ब्राह्मणों के पास गया और अपना स्वप्न सुनाया।

कहा- मैंने अपने पिता को नरक में कष्ट उठाते देखा है। उन्होंने मुझसे कहा कि हे पुत्र मैं नरक में पड़ा हूं। यहां से तुम मुझे मुक्त कराओ। जब से मैंने ये वचन सुने हैं तब से मैं बहुत बेचैन हूं। चित्त में बड़ी अशांति हो रही है। मुझे इस राज्य, धन, पुत्र, स्त्री, हाथी, घोड़े आदि में कुछ भी सुख प्रतीत नहीं होता।

क्या करूं? राजा ने कहा- हे ब्राह्मण देवताओं! इस दुःख के कारण मेरा सारा शरीर जल रहा है। अब आप कृपा करके कोई तप, दान, व्रत आदि ऐसा उपाय बताइए जिससे मेरे पिता को मुक्ति मिल जाए। उस पुत्र का जीवन व्यर्थ है जो अपने माता-पिता का उधार न कर सकें।एक उत्तम पुत्र जो अपने माता-पिता तथा पूर्वजों का उद्धार करता है, वह हजार मूर्ख पुत्रों से अच्छा है।

जैसे एक चंद्रमा सारे जगत में प्रकाश कर देता है, परंतु हजारों तारे नहीं कर सकते। ब्राह्मणों ने कहा- हे राजन! यहां पास ही भूत, भविष्य, वर्तमान के ज्ञाता पर्वत ऋषि का आश्रम है। आपकी समस्या का हल वे जरूर करेंगे। यह सुनकर राजा मुनि के आश्रम पर गया। उस आश्रम में अनेक शांत चित्त योगी और मुनि तपस्या कर रहे थे। उसी जगह पर्वत मुनि बैठे थे।

राजा ने मुनि को साष्टांग दंडवत किया। मुनि ने राजा से कुशलता के समाचार लिए। राजा ने कहा कि महाराज आपकी कृपा से मेरे राज्य में सब कुशल हैं, लेकिन अकस्मात मेरे चित में अत्यंत अशांति होने लगी है। ऐसा सुनकर पर्वत मुनि ने आंखें बंद की और भूत विचारने लगे।

फिर बोले हे राजन! मैंने योग के बल से तुम्हारे पिता के कुकर्मों को जान लिया है। उन्होंने पूर्व जन्म में कामातुर होकर एक पत्नी को रति दी, किंतु सौत के कहने पर दूसरे पत्नी को ऋतुदान मांगने पर भी नहीं दिया। उसी पाप कर्म के कारण तुम्हारे पिता को नरक में जाना पड़ा। तब राजा ने कहा इसका कोई उपाय बताइए।

मुनि बोले- हे राजन! आप मार्गशीर्ष एकादशी का उपवास करें और उस उपवास के पुण्य को अपने पिता को संकल्प कर दें। इसके प्रभाव से आपके पिता की अवश्य ही नरक से मुक्ति होगी। मुनि के ये वचन सुनकर राजा महल में आया और मुनि के कहने अनुसार कुटुम्ब सहित मोक्षदा एकादशी का व्रत किया।

इसके उपवास का पुण्य उसने पिता को अर्पण कर दिया। इसके प्रभाव से उसके पिता को मुक्ति मिल गई और स्वर्ग में जाते हुए वे पुत्र से कहने लगे हे पुत्र तेरा कल्याण हो। यह कहकर स्वर्ग चले गए।

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की मोक्षदा एकादशी का जो व्रत करते हैं, उनके समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत चिंतामणी के समान सब कामनाएं पूर्ण करने वाला तथा मोक्ष देता है। इस व्रत से बढ़कर मोक्ष देने वाला और कोई व्रत नहीं है। इस कथा को पढ़ने या सुनने से वायपेय यज्ञ का फल मिलता है।

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