स्कंद स्तुति

|| स्कंद स्तुति || षण्मुखं पार्वतीपुत्रं क्रौञ्चशैलविमर्दनम्। देवसेनापतिं देवं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्। तारकासुरहन्तारं मयूरासनसंस्थितम्। शक्तिपाणिं च देवेशं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्। विश्वेश्वरप्रियं देवं विश्वेश्वरतनूद्भवम्। कामुकं कामदं कान्तं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्। कुमारं मुनिशार्दूलमानसानन्दगोचरम्। वल्लीकान्तं जगद्योनिं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्। प्रलयस्थितिकर्तारं आदिकर्तारमीश्वरम्। भक्तप्रियं मदोन्मत्तं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्। विशाखं सर्वभूतानां स्वामिनं कृत्तिकासुतम्। सदाबलं जटाधारं स्कन्दं वन्दे शिवात्मजम्। स्कन्दषट्कं स्तोत्रमिदं यः…

गुह मानस पूजा स्तोत्र

|| गुह मानस पूजा स्तोत्र || गुकारो ह्याख्याति प्रबलमनिवार्यं किल तमो हकारो हानिं च प्रथयतितरामेव जगति। अतो मोहान्धत्वं शिथिलयति यन्नाम गुह इत्यमुं देवं ध्यायाम्यभिलषितसन्धाननिपुणम्। समाश्लिष्टं वल्ल्या समुपघटितं बाहुविटपैः स्वमूलायातानां समुचितफलप्रापणचणम्। स्वसेवानिष्ठानां सततमपि सौख्योपगमकं सदा ध्यायाम्येनं कमपि तु गुहाख्यं विटपिनम्। सुराणां सङ्घातैस्समुपगतैः सान्द्रकुतुकैः समाराध्य स्वामिन् भज विहितमावाहनमिदम्। समन्तात्सद्रत्नैः समुपहितसोपानसरणि- स्फुरन्नानाशोभं रचितमपि सिंहासनमिदम्। हृतं गङ्गातुङ्गाद्यखिलतटिनीभ्योऽतिविमलं सुतीर्थं पाद्यार्थं…

द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र

|| द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र || सौराष्ट्रदैशे वसुधावकाशे ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतम्सम्। भक्तिप्रदानाय कृतावतारं तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये। श्रीशैलशृङ्गे विविधप्रसङ्गे शेषाद्रिशृङ्गेऽपि सदा वसन्तम्। तमर्जुनं मल्लिकपूर्वमेनं नमामि संसारसमुद्रसेतुम्। अवन्तिकायां विहितावतारं मुक्तिप्रदानाय च सज्जनानाम्। अकालमृत्योः परिरक्षणार्थं वन्दे महाकालमहं सुरेशम्। कावेरिकानर्मदयोः पवित्रे समागमे सज्जनतारणाय। सदैव मान्धातृपुरे वसन्तम् ओङ्कारमीशं शिवमेकमीडे। पूर्वोत्तरे पारलिकाभिधाने सदाशिवं तं गिरिजासमेतम्। सुरासुराराधितपादपद्मं श्रीवैद्यनाथं सततं नमामि। आमर्दसंज्ञे नगरे च…

महाभैरव अष्टक स्तोत्र

|| महाभैरव अष्टक स्तोत्र || यं यं यं यक्षरूपं दिशि दिशि विदितं भूमिकम्पायमानं सं सं सम्हारमूर्तिं शिरमुकुटजटाशेखरं चन्द्रभूषम्। दं दं दं दीर्घकायं विकृतनखमुखं चोर्ध्वरोमं करालं पं पं पं पापनाशं प्रणमत सततं भैरवं क्षेत्रपालम्। रं रं रं रक्तवर्णं कटिकटिततनुं तीक्ष्णदंष्ट्राकरालं घं घं घं घोषघोषं घघघघघटितं घर्झरं घोरनादम्। कं कं कं कालपाशं दृढदृढदृढितं ज्वालितं कामदाहं तं तं…

वेदसार शिव स्तोत्र

|| वेदसार शिव स्तोत्र || पशूनां पतिं पापनाशं परेशं गजेन्द्रस्य कृत्तिं वसानं वरेण्यम्। जटाजूटमध्ये स्फुरद्गाङ्गवारिं महादेवमेकं स्मरामि स्मरारिम्। महेशं सुरेशं सुरारातिनाशं विभुं विश्वनाथं विभूत्यङ्गभूषम्। विरूपाक्षमिन्द्वर्क- वह्नित्रिनेत्रं सदानन्दमीडे प्रभुं पञ्चवक्त्रम्। गिरीशं गणेशं गले नीलवर्णं गवेन्द्राधिरूढं गुणातीतरूपम्। भवं भास्वरं भस्मना भूषिताङ्गं भवानीकलत्रं भजे पञ्चवक्त्रम्। शिवाकान्त शम्भो शशाङ्कार्धमौले महेशान शूलिन् जटाजूटधारिन्। त्वमेको जगद्व्यापको विश्वरूपः प्रसीद प्रसीद प्रभो पूर्णरूप।…

श्री शिव तांडव स्तोत्रम्

॥ शिव तांडव स्तोत्र ॥ जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले, गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं, चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥ जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी, विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥ धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर, स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि, क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥ जटा भुजङ्ग पिङ्गल स्फुरत्फणा मणिप्रभा, कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे, मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥ सहस्र लोचनप्रभृत्य शेष लेखशेखर, प्रसूनधूलिधोरणी विधूसरांघ्रिपीठभूः। भुजङ्ग राजमालया निबद्ध जाटजूटक,…

शिव रक्षा स्तोत्र

|| शिव रक्षा स्तोत्र || ओम् अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य। याज्ञवल्क्य-ऋषिः। श्रीसदाशिवो देवता। अनुष्टुप् छन्दः। श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थे शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः। चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्। अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्। गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्। शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः। गङ्गाधरः शिरः पातु भालमर्धेन्दुशेखरः। नयने मदनध्वंसी कर्णौ सर्पविभूषणः। घ्राणं पातु पुरारातिर्मुखं पातु जगत्पतिः। जिह्वां वागीश्वरः पातु कन्धरां शितिकन्धरः। श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ…

रसेश्वर पंचाक्षर स्तोत्र

|| रसेश्वर पंचाक्षर स्तोत्र || रम्याय राकापतिशेखराय राजीवनेत्राय रविप्रभाय। रामेशवर्याय सुबुद्धिदाय नमोऽस्तु रेफाय रसेश्वराय। सोमाय गङ्गातटसङ्गताय शिवाजिराजेन विवन्दिताय। दीपाद्यलङ्कारकृतिप्रियाय नमः सकाराय रसेश्वराय। जलेन दुग्धेन च चन्दनेन दध्ना फलानां सुरसामृतैश्च। सदाऽभिषिक्ताय शिवप्रदाय नमो वकाराय रसेश्वराय। भक्तैस्तु भक्त्या परिसेविताय भक्तस्य दुःखस्य विशोधकाय। भक्ताभिलाषापरिदायकाय नमोऽस्तु रेफाय रसेश्वराय। नागेन कण्ठे परिभूषिताय रागेन रोगादिविनाशकाय। यागादिकार्येषु वरप्रदाय नमो यकाराय रसेश्वराय। पठेदिदं…

शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र

|| शिव पंचाक्षर नक्षत्रमाला स्तोत्र || श्रीमदात्मने गुणैकसिन्धवे नमः शिवाय धामलेशधूतकोकबन्धवे नमः शिवाय। नामशेषितानमद्भवान्धवे नमः शिवाय पामरेतरप्रधानबन्धवे नमः शिवाय। कालभीतविप्रबालपाल ते नमः शिवाय शूलभिन्नदुष्टदक्षपाल ते नमः शिवाय। मूलकारणाय कालकाल ते नमः शिवाय पालयाधुना दयालवाल ते नमः शिवाय। इष्टवस्तुमुख्यदानहेतवे नमः शिवाय दुष्टदैत्यवंशधूमकेतवे नमः शिवाय। सृष्टिरक्षणाय धर्मसेतवे नमः शिवाय अष्टमूर्तये वृषेन्द्रकेतवे नमः शिवाय। आपदद्रिभेदटङ्कहस्त ते नमः शिवाय…

शिव चालीसा

॥ दोहा ॥ जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान । कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ ॥ चौपाई ॥ जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥ भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के ॥ अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥ वस्त्र खाल…

शिव जी आरती

॥आरती॥ ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ एकानन चतुरानन पंचानन राजे । हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे । त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव ओंकारा…॥ अक्षमाला वनमाला, मुण्डमाला…

भोलेनाथ को कैसे करें प्रसन्न? सावन सोमवार पर लगाएं ये पसंदीदा भोग, होगी मनोकामना पूरी

shiv manta

सावन का पवित्र महीना भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माना जाता है। इस महीने में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। कहा जाता है कि सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से उनकी विशेष कृपा प्राप्त होती है। भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए भक्तजन विभिन्न प्रकार…

सावन माह 2024 – क्या करें और क्या न करें? भगवान शिव की पूजा विधि, व्रत नियम

shiv pooja in sawan

सावन मास, भगवान शिव का प्रिय महीना, 2024 में 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त तक चलेगा। इस पवित्र महीने में, भक्त भगवान शिव की पूजा-अर्चना करते हैं, व्रत रखते हैं, और कावड़ यात्रा निकालते हैं। सावन माह हिन्दू धर्म में अत्यधिक पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस महीने में भगवान शिव की…

शिव अमृतवाणी

|| शिव अमृतवाणी || कल्पतरु पुन्यातामा प्रेम सुधा शिव नाम हितकारक संजीवनी शिव चिंतन अविराम पतिक पावन जैसे मधुर शिव रसन के घोलक भक्ति के हंसा ही चुगे मोती ये अनमोल जैसे तनिक सुहागा सोने को चमकाए शिव सुमिरन से आत्मा अध्भुत निखरी जाये जैसे चन्दन वृक्ष को डसते नहीं है नाग शिव भक्तो के…

श्री शिव पंचाक्षर स्तोत्रम् अर्थ सहित

।। शिव पंचाक्षर स्तोत्र की विधि ।। प्रात: काल सबसे पहले स्नान आदि करके शिवलिंग का दूध और जल से अभिषेक करें। इसके बाद भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा करें और अंत में शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पठन की शुरुआत करना चाहिए। ।। शिव पंचाक्षर स्तोत्र पाठ का लाभ ।। भगवान शिव के इस पंचाक्षर…

शिव जी व्रत कथा एवं पूजा विधि

।। सोमवार व्रत पूजा विधि ।। गाय के शुद्ध कच्चे दूध को शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। यह करने से मनुष्य के तन-मन-धन से जुड़ी सारी परेशानियां खत्म हो जाती है। इसके बाद शिवलिंग पर शहद या गन्ने का रस चढ़ाए। फिर कपूर, इत्र, पुष्प-धतूरे और भस्म से शिवजी का अभिषेक कर शिव आरती करना…

विश्वनाथ अष्टक स्तोत्र

|| विश्वनाथ अष्टक स्तोत्र || गङ्गातरङ्गरमणीयजटाकलापं गौरीनिरन्तरविभूषितवामभागम्। नारायणप्रियमनङ्गमदापहारं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्। वाचामगोचरमनेकगुणस्वरूपं वागीशविष्णुसुरसेवितपादपीठम्। वामेन विग्रहवरेण कलत्रवन्तं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्। भूताधिपं भुजगभूषणभूषिताङ्गं व्याघ्राजिनाम्बरधरं जटिलं त्रिनेत्रम्। पाशाङ्कुशाभयवरप्रदशूलपाणिं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्। शीतांशुशोभितकिरीटविराजमानं भालेक्षणानलविशोषितपञ्चबाणम्। नागाधिपारचितभासुरकर्णपूरं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्। पञ्चाननं दुरितमत्तमतङ्गजानां नागान्तकं दनुजपुङ्गवपन्नगानाम्। दावानलं मरणशोकजराटवीनां वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्। तेजोमयं सगुणनिर्गुणमद्वितीय- मानन्दकन्दमपराजितमप्रमेयम्। नागात्मकं सकलनिष्कलमात्मरूपं वाराणसीपुरपतिं भज विश्वनाथम्। रागादिदोषरहितं स्वजनानुरागं वैराग्यशान्तिनिलयं गिरिजासहायम्।…

दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र

|| दारिद्र्य दहन शिव स्तोत्र || विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय कर्णामृताय शशिशेखरभूषणाय। कर्पूरकुन्दधवलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय। गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिपकङ्कणाय। गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय। भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय ह्युग्राय दुर्गभवसागरतारणाय। ज्योतिर्मयाय पुनरुद्भववारणाय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय। चर्मम्बराय शवभस्मविलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय। मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय। पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डनाय। आनन्दभूमिवरदाय तमोहराय दारिद्र्यदुःखदहनाय नमः शिवाय। भानुप्रियाय दुरितार्णवतारणाय कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।…

शिव अपराध क्षमापण स्तोत्र

|| शिव अपराध क्षमापण स्तोत्र || आदौ कर्मप्रसङ्गात् कलयति कलुषं मातृकुक्षौ स्थितं मां विण्मूत्रामेध्यमध्ये क्वथयति नितरां जाठरो जातवेदाः। यद्यद्वै तत्र दुःखं व्यथयति नितरां शक्यते केन वक्तुं क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव भो श्रीमहादेव शम्भो। बाल्ये दुःखातिरेकान्मल- लुलितवपुः स्तन्यपाने पिपासा नो शक्तश्चेन्द्रियेभ्यो भवमलजनिताः जन्तवो मां तुदन्ति। नानारोगादि- दुःखाद्रुदितपरवशः शङ्करं न स्मरामि क्षन्तव्यो मेऽपराधः शिव शिव शिव…

भयहारक शिव स्तोत्र

|| भयहारक शिव स्तोत्र || व्योमकेशं कालकालं व्यालमालं परात्परम्| देवदेवं प्रपन्नोऽस्मि कथं मे जायते भयम्| शूलहस्तं कृपापूर्णं व्याघ्रचर्माम्बरं शिवम्| वृषारूढं प्रपन्नोऽस्मि कथं मे जायते भयम्| अष्टमूर्तिं महादेवं विश्वनाथं जटाधरम्| पार्वतीशं प्रपन्नोऽस्मि कथं मे जायते भयम्| सुरासुरैश्च यक्षश्च सिद्धैश्चाऽपि विवन्दितम्| मृत्युञ्जयं प्रपन्नोऽस्मि कथं मे जायते भयम्| नन्दीशमक्षरं देवं शरणागतवत्सलम्| चन्द्रमौलिं प्रपन्नोऽस्मि कथं मे जायते भयम्| लोहिताक्षं…

विश्वनाथ स्तोत्र

|| विश्वनाथ स्तोत्र || गङ्गाधरं जटावन्तं पार्वतीसहितं शिवम्| वाराणसीपुराधीशं विश्वनाथमहं श्रये| ब्रह्मोपेन्द्रमहेन्द्रादि- सेविताङ्घ्रिं सुधीश्वरम्| वाराणसीपुराधीशं विश्वनाथमहं श्रये| भूतनाथं भुजङ्गेन्द्रभूषणं विषमेक्षणम्| वाराणसीपुराधीशं विश्वनाथमहं श्रये| पाशाङ्कुशधरं देवमभयं वरदं करैः| वाराणसीपुराधीशं विश्वनाथमहं श्रये| इन्दुशोभिललाटं च कामदेवमदान्तकम्| वाराणसीपुराधीशं विश्वनाथमहं श्रये| पञ्चाननं गजेशानतातं मृत्युजराहरम्| वाराणसीपुराधीशं विश्वनाथमहं श्रये| सगुणं निर्गुणं चैव तेजोरूपं सदाशिवम्| वाराणसीपुराधीशं विश्वनाथमहं श्रये| हिमवत्पुत्रिकाकान्तं स्वभक्तानां मनोगतम्| वाराणसीपुराधीशं विश्वनाथमहं…

कोकिला व्रत कथा एवं पूजा विधि

|| कोकिला व्रत की पूजा विधि || इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करे। साथ ही इस दिन अपने दिन की शुरुआत सूर्य को अर्घ देने के साथ करें। इसके बाद माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करें। साथ ही शिवजी का दूध और गंगाजल के साथ अभिषेक…

सुंदरेश्वर स्तोत्र

|| सुंदरेश्वर स्तोत्र || श्रीपाण्ड्यवंशमहितं शिवराजराजं भक्तैकचित्तरजनं करुणाप्रपूर्णम्। मीनेङ्गिताक्षिसहितं शिवसुन्दरेशं हालास्यनाथममरं शरणं प्रपद्ये। आह्लाददानविभवं भवभूतियुक्तं त्रैलोक्यकर्मविहितं विहितार्थदानम्। मीनेङ्गिताक्षिसहितं शिवसुन्दरेशं हालास्यनाथममरं शरणं प्रपद्ये। अम्भोजसम्भवगुरुं विभवं च शंभुं भूतेशखण्डपरशुं वरदं स्वयंभुम्। मीनेङ्गिताक्षिसहितं शिवसुन्दरेशं हालास्यनाथममरं शरणं प्रपद्ये। कृत्याजसर्पशमनं निखिलार्च्यलिङ्गं धर्मावबोधनपरं सुरमव्ययाङ्गम्। मीनेङ्गिताक्षिसहितं शिवसुन्दरेशं हालास्यनाथममरं शरणं प्रपद्ये। सारङ्गधारणकरं विषयातिगूढं देवेन्द्रवन्द्यमजरं वृषभाधिरूढम्। मीनेङ्गिताक्षिसहितं शिवसुन्दरेशं हालास्यनाथममरं शरणं प्रपद्ये।

सर्वार्ति नाशन शिव स्तोत्र

|| सर्वार्ति नाशन शिव स्तोत्र || मृत्युञ्जयाय गिरिशाय सुशङ्कराय सर्वेश्वराय शशिशेखरमण्डिताय। माहेश्वराय महिताय महानटाय सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय। ज्ञानेश्वराय फणिराजविभूषणाय शर्वाय गर्वदहनाय गिरां वराय। वृक्षाधिपाय समपापविनाशनाय सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय। श्रीविश्वरूपमहनीय- जटाधराय विश्वाय विश्वदहनाय विदेहिकाय। नेत्रे विरूपनयनाय भवामृताय सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय। नन्दीश्वराय गुरवे प्रमथाधिपाय विज्ञानदाय विभवे प्रमथाधिपाय। श्रेयस्कराय महते त्रिपुरान्तकाय सर्वातिनाशनपराय नमः शिवाय। भीमाय लोकनियताय सदाऽनघाय मुख्याय…

ताण्डवेश्वर स्तोत्र

|| ताण्डवेश्वर स्तोत्र || वृथा किं संसारे भ्रमथ मनुजा दुःखबहुले पदाम्भोजं दुःखप्रशमनमरं संश्रयत मे। इतीशानः सर्वान्परमकरुणा- नीरधिरहो पदाब्जं ह्युद्धृत्याम्बुजनिभ- करेणोपदिशति। संसारानलतापतप्त- हृदयाः सर्वे जवान्मत्पदं सेवध्वं मनुजा भयं भवतु मा युष्माकमित्यद्रिशः। हस्तेऽग्निं दधदेष भीतिहरणं हस्तं च पादाम्बुजं ह्युद्धृत्योपदिशत्यहो करसरोजातेन कारुण्यधिः। ताण्डवेश्वर ताण्डवेश्वर ताण्डवेश्वर पाहि माम्। ताण्डवेश्वर ताण्डवेश्वर ताण्डवेश्वर रक्ष माम्। गाण्डिवेश्वर पाण्डवार्चित पङ्कजाभपदद्वयं चण्डमुण्डविनाशिनी- हृतवामभागमनीश्वरम्। दण्डपाणिकपालभैरव-…

चिरंजीव और आयुषमती की कथा

|| चिरंजीव और आयुषमती की कथा || चिरंजीव एक समय की बात है, एक ब्राह्मण के संतान नहीं थी। उसने महामाया की तपस्या की, और माता जी उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर उसे वरदान देने को तैयार हो गईं। ब्राह्मण ने पुत्र प्राप्ति की इच्छा जताई। माता जी ने कहा, “मेरे पास दो प्रकार के…

अघोर रुद्र अष्टक स्तोत्र

|| अघोर रुद्र अष्टक स्तोत्र || कालाभ्रोत्पलकाल- गात्रमनलज्वालोर्ध्व- केशोज्ज्वलं दंष्ट्राद्यस्फुटदोष्ठ- बिम्बमनलज्वालोग्र- नेत्रत्रयम्। रक्ताकोरक- रक्तमाल्यरुचिरं रक्तानुलेपप्रियं वन्देऽभीष्टफलाप्तये- ऽङ्घ्रिकमलेऽघोरास्त्र- मन्त्रेश्वरम्। जङ्घालम्बितकिङ्किणी- मणिगणप्रालम्बि- मालाञ्चितं दक्षान्त्रं डमरुं पिशाचमनिशं शूलं च मूलं करैः। घण्टाखेटक- पालशूलकयुतं वामस्थिते बिभ्रतं वन्देऽभीष्टफलाप्तये- ऽङ्घ्रिकमलेऽघोरास्त्र- मन्त्रेश्वरम्। नागेन्द्रावृतमूर्ध्निज- स्थितगलश्रीहस्त- पादाम्बुजं श्रीमद्दोःकटिकुक्षि- पार्श्वमभितो नागोपवीतावृतम्। लूतावृश्चिक- राजराजितमहा- हाराङ्कितोरःस्स्थलं वन्देऽभीष्टफलाप्तये- ऽङ्घ्रिकमलेऽघोरास्त्र- मन्त्रेश्वरम्। धृत्वा पाशुपतास्त्रनाम कृपया यत्कुण्डलि प्राणिनां पाशान्ये क्षुरिकास्त्रपाश- दलितग्रन्थिं…

गिरीश स्तुति

|| गिरीश स्तुति || शिवशर्वमपार- कृपाजलधिं श्रुतिगम्यमुमादयितं मुदितम्। सुखदं च धराधरमादिभवं भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्। जननायकमेक- मभीष्टहृदं जगदीशमजं मुनिचित्तचरम्। जगदेकसुमङ्गल- रूपशिवं भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्। जटिनं ग्रहतारकवृन्दपतिं दशबाहुयुतं सितनीलगलम्। नटराजमुदार- हृदन्तरसं भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्। विजयं वरदं च गभीररवं सुरसाधुनिषेवित- सर्वगतिम्। च्युतपापफलं कृतपुण्यशतं भज रे गिरिशं भज रे गिरिशम्।…

शिव पंचरत्न स्तोत्र

|| शिव पंचरत्न स्तोत्र || मत्तसिन्धुरमस्तकोपरि नृत्यमानपदाम्बुजं भक्तचिन्तितसिद्धि- दानविचक्षणं कमलेक्षणम्। भुक्तिमुक्तिफलप्रदं भवपद्मजाऽच्युतपूजितं कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्। वित्तदप्रियमर्चितं कृतकृच्छ्रतीव्रतपश्चरै- र्मुक्तिकामिभिराश्रितै- र्मुनिभिर्दृढामलभक्तिभिः। मुक्तिदं निजपादपङ्कज- सक्तमानसयोगिनां कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्। कृत्तदक्षमखाधिपं वरवीरभद्रगणेन वै यक्षराक्षसमर्त्यकिन्नर- देवपन्नगवन्दितम्। रक्तभुग्गणनाथहृद्भ्रम- राञ्चिताङ्घ्रिसरोरुहं कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्। नक्तनाथकलाधरं नगजापयोधरनीरजा- लिप्तचन्दनपङ्ककुङ्कुम- पङ्किलामलविग्रहम्। शक्तिमन्तमशेष- सृष्टिविधायकं सकलप्रभुं कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्। रक्तनीरजतुल्यपादप- योजसन्मणिनूपुरं पत्तनत्रयदेहपाटन- पङ्कजाक्षशिलीमुखम्। वित्तशैलशरासनं पृथुशिञ्जिनीकृततक्षकं कृत्तिवाससमाश्रये मम सर्वसिद्धिदमीश्वरम्। यः…

पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा

|| पुरुषोत्तम मास माहात्म्य कथा || पुराणों में अधिकमास, जिसे मलमास भी कहा जाता है, के पुरुषोत्तम मास बनने की एक बेहद रोचक कथा है। इस कथा के अनुसार बारह महीनों के अलग-अलग स्वामी हैं, लेकिन स्वामीविहीन होने के कारण अधिकमास को मलमास कहा जाने लगा, जिससे उसकी निंदा होने लगी। इस बात से दु:खी…

राजा मुचुकुन्द की कथा

|| राजा मुचुकुन्द की कथा || त्रेता युग में महाराजा मान्धाता के तीन पुत्र हुए: अमरीष, पुरू और मुचुकुन्द। युद्ध नीति में निपुण होने के कारण देवासुर संग्राम में इंद्र ने महाराज मुचुकुन्द को अपना सेनापति बनाया। युद्ध में विजय प्राप्त करने के बाद महाराज मुचुकुन्द ने विश्राम की इच्छा प्रकट की। देवताओं ने उन्हें…

पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा

|| पतिव्रता सती माता अनसूइया की कथा || भगवान को अपने भक्तों का यश बढ़ाना होता है और वे इसके लिए नाना प्रकार की लीलाएँ करते हैं। एक बार, श्री लक्ष्मी जी, माता सती और देवी सरस्वती जी को अपने पतिव्रत पर बहुत अभिमान हो गया। यह अभिमान भंग करने और अपनी परम भक्त, पतिव्रता…

सावन मे सोमवार व्रत कैसे करें, क्या खाएं और क्या ना खाएं

shiv bhagwan

सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित होता है और इस महीने में पड़ने वाले सोमवार को सावन सोमवार कहा जाता है। यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और मनोकामना पूर्ण करने के लिए रखा जाता है। सावन मास, भगवान शिव का प्रिय महीना, 2024 में 22 जुलाई से शुरू होकर 19 अगस्त…

चंद्रमौलि दशक स्तोत्र

|| चंद्रमौलि दशक स्तोत्र || सदा मुदा मदीयके मनःसरोरुहान्तरे विहारिणेऽघसञ्चयं विदारिणे चिदात्मने। निरस्ततोय- तोयमुङ्निकाय- कायशोभिने नमः शिवाय साम्बशङ्कराय चन्द्रमौलये। नमो नमोऽष्टमूर्तये नमो नमानकीर्तये नमो नमो महात्मने नमः शुभप्रदायिने। नमो दयार्द्रचेतसे नमोऽस्तु कृत्तिवाससे नमः शिवाय साम्बशङ्कराय चन्द्रमौलये। पितामहाद्यवेद्यक- स्वभावकेवलाय ते समस्तदेववासवादि- पूजिताङ्घ्रिशोभिने। भवाय शक्ररत्नसद्गल- प्रभाय शूलिने नमः शिवाय साम्बशङ्कराय चन्द्रमौलये। शिवोऽहमस्मि भावये शिवं शिवेन रक्षितः शिवस्य…

फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा

|| फाल्गुन संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा || प्रत्येक माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। यह व्रत माता पार्वती के पुत्र श्री गणेश को समर्पित है। इस दिन विधिपूर्वक भगवान श्री गणेश जी की पूजा करनी चाहिए। फाल्गुन माह की संकष्टी चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी के…

शिव कुलीर अष्टक स्तोत्र

|| शिव कुलीर अष्टक स्तोत्र || तवास्याराद्धारः कति मुनिवराः कत्यपि सुराः तपस्या सन्नाहैः सुचिरममनोवाक्पथचरैः। अमीषां केषामप्यसुलभममुष्मै पदमदाः कुलीरायोदारं शिव तव दया सा बलवती। अकर्तुं कर्तुं वा भुवनमखिलं ये किल भव- न्त्यलं ते पादान्ते पुरहर वलन्ते तव सुराः। कुटीरं कोटीरे त्वमहह कुलीराय कृतवान् भवान् विश्वस्येष्टे तव पुनरधीष्टे हि करुणा। तवारूढो मौलिं तदनधिगमव्रीलनमितां चतुर्वक्त्रीं यस्त्वच्चरणसविधे पश्यति विधेः।…

नटराज स्तुति

|| नटराज स्तुति || सदञ्चितमुदञ्चित- निकुञ्चितपदं झलझलञ्चलित- मञ्जुकटकं पतञ्जलिदृगञ्जन- मनञ्जनमचञ्चलपदं जननभञ्जनकरम्| कदम्बरुचिमम्बरवसं परममम्बुदकदम्ब- कविडम्बकगलं चिदम्बुधिमणिं बुधहृदम्बुजरविं परचिदम्बरनटं हृदि भज| हरं त्रिपुरभञ्जनमनन्त- कृतकङ्कणमखण्ड- दयमन्तरहितं विरिञ्चिसुरसंहति- पुरन्धरविचिन्तितपदं तरुणचन्द्रमकुटम्। परं पदविखण्डितयमं भसितमण्डिततनुं मदनवञ्चनपरं चिरन्तनममुं प्रणवसञ्चितनिधिं परचिदम्बरनटं हृदि भज| अवन्तमखिलं जगदभङ्गगुणतुङ्गममतं धृतविधुं सुरसरित्- तरङ्गनिकुरुम्ब- धृतिलम्पटजटं शमनदम्भसुहरं भवहरम्। शिवं दशदिगन्तरविजृम्भितकरं करलसन्मृगशिशुं पशुपतिं हरं शशिधनञ्जयपतङ्गनयनं परचिदम्बरनटं हृदि भज| अनन्तनवरत्नविलसत्कटक- किङ्किणिझलं झलझलं…

द्वादश ज्योतिर्लिंग भुजंग स्तोत्र

|| द्वादश ज्योतिर्लिंग भुजंग स्तोत्र || सुशान्तं नितान्तं गुणातीतरूपं शरण्यं प्रभुं सर्वलोकाधिनाथम्| उमाजानिमव्यक्तरूपं स्वयंभुं भजे सोमनाथं च सौराष्ट्रदेशे| सुराणां वरेण्यं सदाचारमूलं पशूनामधीशं सुकोदण्डहस्तम्| शिवं पार्वतीशं सुराराध्यमूर्तिं भजे विश्वनाथं च काशीप्रदेशे| स्वभक्तैकवन्द्यं सुरं सौम्यरूपं विशालं महासर्पमालं सुशीलम्| सुखाधारभूतं विभुं भूतनाथं महाकालदेवं भजेऽवन्तिकायाम्| अचिन्त्यं ललाटाक्षमक्षोभ्यरूपं सुरं जाह्नवीधारिणं नीलकण्ठम्| जगत्कारणं मन्त्ररूपं त्रिनेत्रं भजे त्र्यम्बकेशं सदा पञ्चवट्याम् भवं सिद्धिदातारमर्कप्रभावं…

शंकर भुजंग स्तुति

|| शंकर भुजंग स्तुति || महान्तं वरेण्यं जगन्मङ्गलं तं सुधारम्यगात्रं हरं नीलकण्ठम्। सदा गीतसर्वेश्वरं चारुनेत्रं भजे शङ्करं साधुचित्ते वसन्तम्। भुजङ्गं दधानं गले पञ्चवक्त्रं जटास्वर्नदी- युक्तमापत्सु नाथम्। अबन्धोः सुबन्धुं कृपाक्लिन्नदृष्टिं भजे शङ्करं साधुचित्ते वसन्तम्। विभुं सर्वविख्यात- माचारवन्तं प्रभुं कामभस्मीकरं विश्वरूपम्। पवित्रं स्वयंभूत- मादित्यतुल्यं भजे शङ्करं साधुचित्ते वसन्तम्। स्वयं श्रेष्ठमव्यक्त- माकाशशून्यं कपालस्रजं तं धनुर्बाणहस्तम्। प्रशस्तस्वभावं प्रमारूपमाद्यं भजे…

चिदंबरेश स्तोत्र

|| चिदंबरेश स्तोत्र || ब्रह्ममुखामरवन्दितलिङ्गं जन्मजरामरणान्तकलिङ्गम्। कर्मनिवारणकौशललिङ्गं तन्मृदु पातु चिदम्बरलिङ्गम्। कल्पकमूलप्रतिष्ठितलिङ्गं दर्पकनाशयुधिष्ठिरलिङ्गम्। कुप्रकृतिप्रकरान्तकलिङ्गं तन्मृदु पातु चिदम्बरलिङ्गम्। स्कन्दगणेश्वरकल्पितलिङ्गं किन्नरचारणगायकलिङ्गम्। पन्नगभूषणपावनलिङ्गं तन्मृदु पातु चिदम्बरलिङ्गम्। साम्बसदाशिवशङ्करलिङ्गं काम्यवरप्रदकोमललिङ्गम्। साम्यविहीनसुमानसलिङ्गं तन्मृदु पातु चिदम्बरलिङ्गम्। कलिमलकाननपावकलिङ्गं सलिलतरङ्गविभूषणलिङ्गम्। पलितपतङ्गप्रदीपकलिङ्गं तन्मृदु पातु चिदम्बरलिङ्गम्। अष्टतनुप्रतिभासुरलिङ्गं विष्टपनाथविकस्वरलिङ्गम्। शिष्टजनावनशीलितलिङ्गं तन्मृदु पातु चिदम्बरलिङ्गम्। अन्तकमर्दनबन्धुरलिङ्गं कृन्तितकामकलेबरलिङ्गम्। जन्तुहृदिस्थितजीवकलिङ्गं तन्मृदु पातु चिदम्बरलिङ्गम्। पुष्टधियःसु चिदम्बरलिङ्गं दृष्टमिदं मनसानुपठन्ति। अष्टकमेतदवाङ्मनसीयं ह्यष्टतनुं प्रति यान्ति नरास्ते।

अर्धनारीश्वर नमस्कार स्तोत्र

|| अर्धनारीश्वर नमस्कार स्तोत्र || श्रीकण्ठं परमोदारं सदाराध्यां हिमाद्रिजाम्| नमस्याम्यर्धनारीशं पार्वतीमम्बिकां तथा| शूलिनं भैरवं रुद्रं शूलिनीं वरदां भवाम्| नमस्याम्यर्धनारीशं पार्वतीमम्बिकां तथा| व्याघ्रचर्माम्बरं देवं रक्तवस्त्रां सुरोत्तमाम्| नमस्याम्यर्धनारीशं पार्वतीमम्बिकां तथा| बलीवर्दासनारूढं सिंहोपरि समाश्रिताम्| नमस्याम्यर्धनारीशं पार्वतीमम्बिकां तथा| काशीक्षेत्रनिवासं च शक्तिपीठनिवासिनीम्| नमस्याम्यर्धनारीशं पार्वतीमम्बिकां तथा| पितरं सर्वलोकानां गजास्यस्कन्दमातरम्| नमस्याम्यर्धनारीशं पार्वतीमम्बिकां तथा| कोटिसूर्यसमाभासं कोटिचन्द्रसमच्छविम्| नमस्याम्यर्धनारीशं पार्वतीमम्बिकां तथा| यमान्तकं यशोवन्तं विशालाक्षीं वराननाम्|…

रसेश्वर स्तुति

|| रसेश्वर स्तुति || भानुसमानसुभास्वरलिङ्गं सज्जनमानसभास्करलिङ्गम्| सुरवरदातृसुरेश्वरलिङ्गं तत् प्रणमामि रसेश्वरलिङ्गम्| छत्रपतीन्द्रसुपूजितलिङ्गं रौप्यफणीन्द्रविभूषितलिङ्गम्| ग्राम्यजनाश्रितपोषकलिङ्गं तत् प्रणमामि रसेश्वरलिङ्गम्| बिल्वतरुच्छदनप्रियलिङ्गं किल्बिषदुष्फलदाहकलिङ्गम्| सेवितकष्टविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि रसेश्वरलिङ्गम्| अब्जभगाग्निसुलोचनलिङ्गं शब्दसमुद्भवहेतुकलिङ्गम्| पार्वतिजाह्नविसंयुतलिङ्गं तत् प्रणमामि रसेश्वरलिङ्गम्| गन्धितचन्दनचर्चितलिङ्गं वन्दितपादसरोरुहलिङ्गम्| स्कन्दगणेश्वरभावितलिङ्गं तत् प्रणमामि रसेश्वरलिङ्गम्| पामरमानवमोचकलिङ्गं सकलचराचरपालकलिङ्गम्| वाजिजचामरवीजितलिङ्गं तत् प्रणमामि रसेश्वरलिङ्गम्| स्तोत्रमिदं प्रणिपत्य रसेशं यः पठति प्रतिघस्रमजस्रम्| सो मनुजः शिवभक्तिमवाप्य ब्रह्मपदं लभतेऽप्यपवर्गम्|

शिव तांडव स्तोत्र

|| शिव तांडव स्तोत्र || जटाटवीगलज्जल- प्रवाहपावितस्थले गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम्। डमड्डमड्डमड्डमन्निनाद- वड्डमर्वयं चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम्। जटाकटाहसम्भ्रम- भ्रमन्निलिम्पनिर्झरी- विलोलवीचिवल्लरी- विराजमानमूर्धनि। धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाट- पट्टपावके किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम। धराधरेन्द्रनन्दिनी- विलासबन्धुबन्धुर- स्फुरद्दिगन्तसन्तति- प्रमोदमानमानसे। कृपाकटाक्षधोरणी- निरुद्धदुर्धरापदि क्वचिद्दिगम्बरे मनो विनोदमेतु वस्तुनि। जटाभुजङ्गपिङ्गल- स्फुरत्फणामणिप्रभा- कदम्बकुङ्कुमद्रव- प्रलिप्तदिग्वधूमुखे। मदान्धसिन्धुर- स्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि। सहस्रलोचनप्रभृत्यशेष- लेखशेखर- प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः। भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक श्रियै…

महेश नवमी व्रत कथा

|| महेश नवमी व्रत कथा || एक समय की बात है जब राजा खडगलसेन शासन कर रहे थे। उनके पास कोई संतान नहीं थी। वे पुत्रकामेष्टी यज्ञ करने के बाद पुत्र की प्राप्ति के लिए उत्सुक थे, जिससे उन्हें एक पुत्र सुजान बच्चा हुआ। ऋषियों ने उन्हें चेतावनी दी कि उनके पुत्र को 20 वर्ष…

मार्गबन्धु स्तोत्र

|| मार्गबन्धु स्तोत्र || शम्भो महादेव देव| शिव शम्भो महादेव देवेश शम्भो| शम्भो महादेव देव| भालावनम्रत्किरीटम्, भालनेत्रार्चिषा दग्धपञ्चेषुकीटम्| शूलाहतारातिकूटम्, शुद्धमर्धेन्दुचूडं भजे मार्गबन्धुम्। शम्भो महादेव देव| शिव शम्भो महादेव देवेश शम्भो| शम्भो महादेव देव| अङ्गे विराजद्भुजङ्गम्, अभ्रगङ्गातरङ्गाभिरामोत्तमाङ्गम्। ओङ्कारवाटीकुरङ्गम्, सिद्धसंसेविताङ्घ्रिं भजे मार्गबन्धुम्। शम्भो महादेव देव| शिव शम्भो महादेव देवेश शम्भो| शम्भो महादेव देव| नित्यं चिदानन्दरूपम्, निह्नुताशेषलोकेशवैरिप्रतापम् ।…

वीरभद्र भुजंग स्तोत्र

|| वीरभद्र भुजंग स्तोत्र || गुणादोषभद्रं सदा वीरभद्रं मुदा भद्रकाल्या समाश्लिष्टमुग्रम्। स्वभक्तेषु भद्रं तदन्येष्वभद्रं कृपाम्भोधिमुद्रं भजे वीरभद्रम्। महादेवमीशं स्वदीक्षागताशं विबोध्याशुदक्षं नियन्तुं समक्षे। प्रमार्ष्टुं च दाक्षायणीदैन्यभावं शिवाङ्गाम्बुजातं भजे वीरभद्रम्। सदस्यानुदस्याशु सूर्येन्दुबिम्बे कराङ्घ्रिप्रपातैरदन्तासिताङ्गे। कृतं शारदाया हृतं नासभूषं प्रकृष्टप्रभावं भजे वीरभद्रम्। सतन्द्रं महेन्द्रं विधायाशु रोषात् कृशानुं निकृत्ताग्रजिह्वं प्रधाव्य। कृष्णवर्णं बलाद्भासभानं प्रचण्डाट्टहासं भजे वीरभद्रम्। तथान्यान् दिगीशान् सुरानुग्रदृष्ट्या ऋषीनल्पबुद्धीन् धरादेववृन्दान्।…

अरुणाचलेश्वर स्तोत्र

|| अरुणाचलेश्वर स्तोत्र || काश्यां मुक्तिर्मरणादरुणाख्यस्याचलस्य तु स्मरणात्। अरुणाचलेशसंज्ञं तेजोलिङ्गं स्मरेत्तदामरणात्। द्विधेह सम्भूय धुनी पिनाकिनी द्विधेव रौद्री हि तनुः पिनाकिनी। द्विधा तनोरुत्तरतोऽपि चैको यस्याः प्रवाहः प्रववाह लोकः। प्रावोत्तरा तत्र पिनाकिनी या स्वतीरगान् संवसथान्पुनानी। अस्याः परो दक्षिणतः प्रवाहो नानानदीयुक् प्रववाह सेयम्। लोकस्तुता याम्यपिनाकिनीति स्वयं हि या सागरमाविवेश। मनाक् साधनार्तिं विना पापहन्त्री पुनानापि नानाजनाद्याधिहन्त्री। अनायासतो या पिनाक्याप्तिदात्री…

जंबुनाथ अष्टक स्तोत्र

|| जंबुनाथ अष्टक स्तोत्र || कश्चन जगतां हेतुः कपर्दकन्दलितकुमुदजीवातुः। जयति ज्ञानमहीन्दुर्जन्मस्मृतिक्लान्तिहरदयाबिन्दुः। श्रितभृतिबद्धपताकः कलितोत्पलवननवमदोद्रेकः। अखिलाण्डमातुरेकः सुखयत्वस्मान् तपःपरीपाकः। कश्चन कारुण्यझरः कमलाकुचकलशकषणनिशितशरः। श्रीमान् दमितत्रिपुरः श्रितजम्बूपरिसरश्चकास्तु पुरः। शमितस्मरदवविसरः शक्राद्याशास्यसेवनावसरः। कविवनघनभाग्यभरो गिरतु मलं मम मनःसरः शफरः। गृहिणीकृतवैकुण्ठः गेहितजम्बूमहीरुडुपकण्ठम्। दिव्यं किमप्यकुण्ठं तेजःस्तादस्मदवनसोत्कण्ठम्। कृतशमनदर्पहरणं कृतकेतफणितिचारिरथचरणम्। शक्रादिश्रितचरणं शरणं जम्बुद्रुमान्तिकाभरणम्। करुणारसवारिधये करवाणि नमः प्रणम्रसुरविधये। जगतामानन्दनिधये जम्बूतरुमूलनिलयसन्निधये। कश्चन शशिचूडालं कण्ठेकालं दयौघमुत्कूलम्। श्रितजम्बूतरुमूलं शिक्षितकालं भजे जगन्मूलम्।