शारदा दशक स्तोत्र एक पवित्र संस्कृत स्तोत्र है जो विद्या और ज्ञान की देवी, माँ शारदा (सरस्वती) को समर्पित है। ‘दशक’ का अर्थ है दस श्लोकों का संग्रह, इसलिए यह स्तोत्र दस छंदों में देवी की महिमा का वर्णन करता है। इस स्तोत्र को पढ़ने से बुद्धि, स्मरण शक्ति और वाक्पटुता में वृद्धि होती है, और यह भक्तों के सभी संशय और अज्ञान को दूर करने वाला माना जाता है। “PDF” प्रारूप में इसका उपलब्ध होना भक्तों के लिए इसे आसानी से डाउनलोड करने और पढ़ने की सुविधा प्रदान करता है, ताकि वे देवी शारदा की प्रार्थना करके ज्ञान और शांति प्राप्त कर सकें।
|| शारदा दशक स्तोत्र (Sharada Dashaka Stotram PDF) ||
करवाणि वाणि किं वा जगति प्रचयाय धर्ममार्गस्य।
कथयाशु तत्करोम्यहमहर्निशं तत्र मा कृथा विशयम्।
गणनां विधाय मत्कृतपापानां किं धृताक्षमालिकया।
तान्ताद्याप्यसमाप्तेर्निश्चलतां पाणिपङ्कजे धत्से।
विविधाशया मदीयं निकटं दूराज्जनाः समायान्ति।
तेषां तस्याः कथमिव पूरणमहमम्ब सत्वरं कुर्याम्।
गतिजितमरालगर्वां मतिदानधुरन्धरां प्रणम्रेभ्यः।
यतिनाथसेवितपदामतिभक्त्या नौमि शारदां सदयाम्।
जगदम्बां नगतनुजाधवसहजां जातरूपतनुवल्लीम्।
नीलेन्दीवरनयनां बालेन्दुकचां नमामि विधिजायाम्।
भारो भारति न स्याद्वसुधायास्तद्वदम्ब कुरु शीघ्रम्।
नास्तिकतानास्तिकताकरणात्कारुण्यदुग्धवाराशे।
निकटेवसन्तमनिशं पक्षिणमपि पालयामि करतोऽहम्।
किमु भक्तियुक्तलोकानिति बोधार्थं करे शुकं धत्से।
शृङ्गाद्रिस्थितजनतामनेकरोगैरुपद्रुतां वाणि।
विनिवार्य सकलरोगान्पालय करुणार्द्रदृष्टिपातेन।
मद्विरहादतिभीतान्मदेकशरणानतीव दुःखार्तान्।
मयि यदि करुणा तव भो पालय शृङ्गाद्रिवासिनो लोकान्।
सदनमहेतुकृपाया रदनविनिर्धूतकुन्दगर्वालिम्।
मदनान्तकसहजातां सरसिजभवभामिनीं हृदा कलये।
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