Misc

श्री अहोई अष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि

Shri Ahoi Ashtami Vrat Katha and Pooja Vidhi Hindi

MiscVrat Katha (व्रत कथा संग्रह)हिन्दी
Share This

Join HinduNidhi WhatsApp Channel

Stay updated with the latest Hindu Text, updates, and exclusive content. Join our WhatsApp channel now!

Join Now

अहोई अष्टमी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के लिए रखा जाता है। यह व्रत माताएँ तारों के दर्शन और उन्हें अर्घ्य देने के बाद खोलती हैं।

व्रत के दिन सुबह स्नान के बाद निर्जला उपवास रखा जाता है। शाम को दीवार पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाकर या कैलेंडर लगाकर उनकी पूजा की जाती है। पूजा में अहोई माता की कथा सुनी जाती है और उनसे बच्चों की रक्षा की प्रार्थना की जाती है। तारों को करवा से अर्घ्य देने के बाद व्रत का समापन होता है। व्रत की कथा में साहूकार की बहू की कहानी प्रचलित है, जिसे स्याहू माता (सेई) की सेवा से सात पुत्रों का आशीर्वाद मिला था। व्रत की संपूर्ण कथा और विधि PDF के रूप में उपलब्ध है, जिससे पूजा में आसानी होती है।

|| अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि ||

  • प्रातः जल्दी स्नान किया जाता हैं।
  • इसमें दिन भर का निर्जला व्रत किया जाता हैं।
  • शाम में सूरज ढलने के बाद अहोई अष्टमी की पूजा की जाती हैं।
  • इसमें अहोई अष्टमी माता का चित्र बनाया जाता हैं और विधि विधान से उनका पूजन किया जाता हैं।
  • चौक बनाया जाता हैं. इस पर चौकी को रख उस पर अहोई माता एवम सईं का चित्र रखा जाता हैं।
  • सर्वप्रथम कलश तैयार किया जाता हैं. गणेश जी की स्थापना की जाती है, इनके साथ ही अहोई अष्टमी माता का चित्र रखा जाता हैं।
  • आजकल बाजारों में यह चित्र मिल जाता हैं।
  • पूजा के बाद कुछ मातायें जल एवम फलाहार ग्रहण करती हैं।
  • इस दिन कई स्त्रियाँ चांदी की माता बनाती हैं पूजा के बाद इन्हें माला में पिरो कर धारण करती हैं।
  • इस माला को दिवाली के बाद उतारा जाता हैं और बड़ो का आशीष लिया जाता हैं।

|| अहोई अष्टमी व्रत कथा (Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF) ||

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

प्राचीन काल में एक साहूकार था, जिसके सात बेटे और सात बहुएं थी। इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी। दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं मिट्टी लाने जंगल में गई तो ननद भी उनके साथ चली गई।

साहूकार की बेटी जहां मिट्टी काट रही थी, उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने साथ बेटों से साथ रहती थी। मिट्टी काटते हुए गलती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया।  इस पर क्रोधित होकर स्याहु बोली- मैं तुम्हारी कोख बांधूंगी।

स्याहु के वचन सुनकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से एक-एक कर विनती करती हैं कि वह उसके बदले अपनी कोख बंधवा लें। सबसे छोटी भाभी ननद के बदले अपनी कोख बंधवाने के लिए तैयार हो जाती है। इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे होते हैं वे सात दिन बाद मर जाते हैं। सात पुत्रों की इस प्रकार मृत्यु होने के बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका कारण पूछा। पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी।

सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और उसे स्याहु के पास ले जाती है। रास्ते में थक जाने पर दोनों आराम करने लगते हैं। अचानक साहूकार की छोटी बहू की नजर एक ओर जाती हैं, वह देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डसने जा रहा है और वह सांप को मार देती है। इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और खून बिखरा हुआ देखकर उसे लगता है कि छोटी बहू ने उसके बच्चे को मार दिया है इस पर वह छोटी बहू को चोंच मारना शुरू कर देती है।

छोटी बहू इस पर कहती है कि उसने तो उसके बच्चे की जान बचाई है। गरूड़ पंखनी इस पर खुश होती है और सुरही सहित उन्हें स्याहु के पास पहुंचा देती है।

वहां स्याहु छोटी बहू की सेवा से प्रसन्न होकर उसे सात पुत्र और सात बहू होने का आशीर्वाद देती है। स्याहु के आशीर्वाद से छोटी बहू का घर पुत्र और पुत्र वधुओं से हरा भरा हो जाता है।

|| अहोई माता की जय ||

ahoi-ashtami-vrat-katha

Found a Mistake or Error? Report it Now

Download श्री अहोई अष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि MP3 (FREE)

♫ श्री अहोई अष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि MP3
श्री अहोई अष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि PDF

Download श्री अहोई अष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि PDF

श्री अहोई अष्टमी व्रत कथा एवं पूजा विधि PDF

Leave a Comment

Join WhatsApp Channel Download App