नवरात्रि, हिंदू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण और श्रद्धापूर्ण त्योहारों में से एक है, जो भक्तिभाव, उपवास और उल्लास का समय होता है। इस नौ दिवसीय उत्सव में भक्त देवी दुर्गा के नौ विभिन्न स्वरूपों की पूजा करते हैं, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। इस साल 2024 में नवरात्रि का प्रारंभ गुरुवार, 3 अक्टूबर से हो रहा है और इसका समापन शनिवार, 12 अक्टूबर को होगा।
नवरात्रि के हर दिन देवी दुर्गा के एक विशेष रूप की पूजा की जाती है, जो विशिष्ट दिव्य गुणों का प्रतीक होते हैं। इन दिनों में प्रमुख अनुष्ठानों में देवी के प्रत्येक स्वरूप को प्रसाद चढ़ाना भी शामिल है, जो देवी से आशीर्वाद प्राप्त करने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।
मां दुर्गा के हर स्वरूप का अपना महत्व है, और उसी के अनुसार उन्हें अर्पित किए जाने वाले प्रसाद का भी विशेष महत्व होता है। देवी के प्रसाद को अत्यंत शुभ माना जाता है और इसे देवी की प्रसन्नता और उनके आशीर्वाद का माध्यम समझा जाता है। आइए जानते हैं 2024 की नवरात्रि में आप कौन-कौन से पारंपरिक भोग चढ़ा सकते हैं।
नवरात्रि हिंदुओं का एक बहुत बड़ा और पवित्र त्योहार है। यह त्योहार 9 दिनों तक चलता है, जिसमें मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा होती है। इन 9 दिनों में हर दिन मां दुर्गा के एक रूप की पूजा की जाती है और हर दिन के लिए एक खास भोग (प्रसाद) चढ़ाया जाता है जिससे मां दुर्गा खुश होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।
Navratri Bhog 9 Days List – नवरात्रि के नौ दिनों में माता रानी का भोग
पहला दिन: मां शैलपुत्री
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है, जिन्हें पहाड़ों की बेटी माना जाता है। उन्हें देसी घी का भोग बहुत पसंद है। मान्यता है कि जो लोग मां को देसी घी का भोग चढ़ाते हैं, उनके घर में सेहत और खुशहाली बनी रहती है।
दूसरा दिन: मां ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है, जो तपस्या और धैर्य की देवी हैं। इस दिन उन्हें चीनी का भोग चढ़ाया जाता है, जिससे जीवन में मिठास और शांति आती है।
तीसरा दिन: मां चंद्रघंटा
तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है। वह भगवान शिव की पत्नी हैं और उनके माथे पर अर्धचंद्र होता है। उन्हें खीर का भोग लगाया जाता है, जिससे जीवन में साहस और शक्ति आती है।
चौथा दिन: मां कुष्मांडा
मां कुष्मांडा को चौथे दिन पूजा जाता है। उन्हें अंधकार को दूर करने वाली देवी माना जाता है। इस दिन उन्हें मालपुए का भोग चढ़ाया जाता है, जो समृद्धि और उज्ज्वल भविष्य का प्रतीक है।
पांचवा दिन: मां स्कंदमाता
पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है। उन्हें केले का भोग चढ़ाया जाता है, जो दीर्घायु और सफलता का प्रतीक है।
छठा दिन: मां कात्यायनी
छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होती है। वह महिषासुर नाम के राक्षस का वध करने वाली देवी हैं। इस दिन उन्हें शहद का भोग चढ़ाया जाता है, जो मिठास और संतुलन का प्रतीक है।
सातवां दिन: मां कालरात्रि
सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है। वह मां दुर्गा का क्रूर रूप हैं, जो नकारात्मकता को दूर करती हैं। इस दिन उन्हें गुड़ का भोग चढ़ाया जाता है, जिससे बुरी शक्तियां दूर होती हैं और सुरक्षा मिलती है।
आठवां दिन: मां महागौरी
आठवें दिन मां महागौरी की पूजा होती है, जो पवित्रता और शांति की देवी हैं। उन्हें नारियल का भोग चढ़ाया जाता है, जिससे पापों से मुक्ति और समृद्धि मिलती है।
नौवां दिन: मां सिद्धिदात्री
नवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है। उन्हें तिल का भोग चढ़ाया जाता है, जो आध्यात्मिक ज्ञान और सिद्धियों का प्रतीक है।
नवरात्रि में सही भोग चढ़ाने से मां दुर्गा की कृपा मिलती है और घर में शांति और समृद्धि आती है। इसके साथ ही इन 9 दिनों में साफ-सफाई का खास ध्यान रखना चाहिए और घर में प्याज-लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
नवरात्रि प्रसाद: ईश्वर से जुड़ने का एक मार्ग
नवरात्रि में नवदुर्गा के प्रत्येक स्वरूप को समर्पित प्रसाद का अपना खास महत्व होता है। सही भोग अर्पित करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, जिससे परिवार में शांति, समृद्धि और सुख का वास होता है। भक्त अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करने के लिए इन पारंपरिक भोगों को देवी को अर्पित करते हैं, जिससे नवरात्रि के दिन और भी पवित्र और मंगलमय बनते हैं।
अनुष्ठानों का पालन
नवरात्रि के दौरान भक्तों को विशेष रूप से शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। घर में प्याज और लहसुन का प्रयोग वर्जित है। मांसाहार भोजन का सेवन और इसे पकाना वर्जित होता है। उपवास के दौरान, मां दुर्गा के भोग का प्रसाद स्वयं तैयार करना अधिक शुभ माना जाता है।
मंत्र जाप और पूजा
भोग चढ़ाते समय भक्त “त्वदीयं वस्तु गोविन्द तुभ्यमेव समर्पये”, “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके” जैसे मंत्रों का जाप कर सकते हैं, जिससे देवी की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि के ये नौ दिन मां दुर्गा के प्रति समर्पण और भक्ति के होते हैं, और सही विधि से पूजा-अर्चना और भोग अर्पण करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
नवरात्रि पूजा विधि
नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यहां शारदीय नवरात्रि की पूजा विधि को विस्तार से बताया गया है:
- पहले दिन सुबह स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- पूजा स्थल को साफ करके, एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं।
- चौकी के ऊपर मिट्टी का कलश (घड़ा) स्थापित करें। इसमें जल भरें और आम के पत्ते तथा नारियल रखें।
- कलश की स्थापना करते समय निम्न मंत्र का जाप करें:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे नमः” - पूजा के दौरान अखंड दीपक जलाएं। यह दीपक पूरे नवरात्रि में निरंतर जलता रहना चाहिए।
- मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें और निम्न मंत्र के द्वारा उनका आवाहन करें:
“ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते” - नवरात्रि के दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पढ़ें।
- माता रानी को फूल, नारियल, वस्त्र, मिठाई और फल का भोग चढ़ाएं।
- प्रतिदिन ताजे फूलों से मां दुर्गा की आरती करें और उन्हें समर्पित करें।
- अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है। नौ कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें आदरपूर्वक विदा करें।
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